नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा, इसे लेकर पिछले कुछ महीनों में ढेर सारी अटकलें लग चुकी हैं। जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी, 2023 में ही समाप्त हो गया था इसलिए तब से कई बार कई नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर चर्चा में आ चुके हैं लेकिन अब जो मीडिया में ताजा और बड़ी जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक बीजेपी पहली बार किसी महिला को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना सकती है।
जिन महिलाओं के नाम इस दौड़ में आगे चल रहे हैं उनमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, आंध्र प्रदेश बीजेपी की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डी. पुरंदेश्वरी और बीजेपी महिला मोर्चा की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष वनथी श्रीनिवासन जैसे अहम चेहरे शामिल हैं। ध्यान देना जरूरी होगा कि यह तीनों ही महिलाएं दक्षिण भारत से आती हैं।
नड्डा, संतोष के साथ हुई सीतारमण की बैठक
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, निर्मला सीतारमण की हाल ही में मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ दिल्ली के हेडक्वार्टर में एक हाई प्रोफाइल बैठक हुई। उन्हें इस पद के लिए मजबूत दावेदार माना जा रहा है। उनके पास राजनीति में काम करने का लंबा अनुभव भी है।
अगर सीतारमण बीजेपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनती हैं तो पार्टी को दक्षिण भारत में अपना विस्तार करने में मदद मिल सकती है। बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार लोकसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण से जुड़ा कानून भी बना चुकी है। निर्मला सीतारमण भारत सरकार में रक्षा मंत्री रही है, उन्हें पार्टी के संगठन के मामलों का भी काफी अनुभव है।
बंद कमरे में हुई अहम बैठक
इन तमाम चर्चाओं के बीच, जेपी नड्डा ने 28 जून को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाहक दत्तात्रेय होसबोले और संघ के अन्य प्रमुख नेताओं के साथ बंद कमरे में एक अहम बैठक की। यह बैठक संघ के दिल्ली कार्यालय में हुई और माना जा रहा है कि इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई है।बीजेपी में इस बात को लेकर भी आम सहमति बनाई गई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए तय किए गए नाम को लेकर अंतिम फैसला लेंगे।
खट्टर, भूपेंद्र, धर्मेंद्र प्रधान, प्रहलाद जोशी का भी नाम
इसके अलावा केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, मनोहर लाल खट्टर, धर्मेंद्र प्रधान, प्रहलाद जोशी का नाम भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चर्चा में है। खट्टर मोदी की पहली पसंद हैँ, जबकि भूपेंद्र यादव को संगठन के मामलों का काफी अनुभव है और वह भारत की राजनीति में ताकतवर ओबीसी समुदाय से आते हैं। यादव ने महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित कई राज्यों में बीजेपी के लिए चुनावी रणनीति बनाने का काम किया है। ऐसे में उनका दावा भी इस पद के लिए मजबूत माना जा रहा है।
आरएसएस का स्टैंड है कि दूसरे दलों से आए नेताओं के बजाय पार्टी को अपने नेताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए। खबरों के मुताबिक, संघ राज्यों में ऐसे नेताओं पर जोर दे रहा है जिनकी वैचारिक समझ काफी मजबूत हो।
मोदी कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा
यह लगभग तय है कि अगले दो हफ्ते में बीजेपी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा। पार्टी 2029 के लोकसभा चुनाव और इससे पहले तमाम राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ ही जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को देखते हुए ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन करेगी। इस बात की भी चर्चा है कि संगठन में कुछ फेरबदल होने के साथ ही कैबिनेट में भी फेरबदल हो सकते हैं।