UP BJP 100 से ज्यादा विधायकों का टिकट काटेगी:80 सीटों पर नए चेहरे उतरेंगे, सहयोगियों के लिए मेगा प्लान

लखनऊ। यूपी में भाजपा ने विधानसभा चुनाव-2027 में हैट्रिक लगाने के लिए चुनावी तैयारी शुरू कर दी है। मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान से पार्टी ने तैयारी का आगाज किया।

पार्टी और सरकार को फील्ड से फीडबैक मिल रहा है कि उसे यूपी में लगातार तीसरी बार भगवा परचम फहराने के लिए कई सख्त कदम उठाने होंगे। ऐसे में पार्टी ने 100 से ज्यादा मौजूदा विधायकों के टिकट काटने का मन बना लिया है। साथ 60 से 80 सीटों पर नए चेहरे उतारे जाएंगे।
विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी ने 403 में से 376 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इसमें से 255 सीटों पर पार्टी जीती थी। उस दौरान अपना दल (एस) और निषाद पार्टी का गठबंधन था। अपना दल (एस) ने गठबंधन में मिली 18 में से 12 सीटें जीती थीं। निषाद पार्टी को गठबंधन में सीधे तौर पर 10 सीटें मिली थीं। हालांकि 6 सीटों पर चुनाव जीत सकी थी।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि 2022 में योगी सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर नहीं थी। बीजेपी के अंदर भी गुटबाजी और असंतोष दिखाई नहीं देता था। सपा के पास PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का फॉर्मूला भी नहीं था।

screenshot 20250816 1629144612377958242833760

भाजपा के सामने चुनौती क्या है?

अब परिस्थितियां बदली हुई हैं लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से परिस्थितियां बदली हुई हैं। लालजी सुमन और करणी सेना विवाद के बाद से दलित वोट बैंक में बीजेपी से नाराजगी है। वहीं, बनारस में भी करणी सेना और राजभर समाज के झगड़े से राजभर वोट बैंक में अंदर ही अंदर नाराजगी पनप रही है।

पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल 2022 के मुकाबले कमजोर है। आरएसएस, बीजेपी और योगी सरकार के मंत्रियों के बीच भी गुटबाजी खुलेआम दिखाई दे रही है। बिजली, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार जैसे मुद्दों को लेकर कहीं न कहीं आम जनता में भी असंतोष पनप रहा है।

विधायकों से भी नाराजगी बढ़ी है इतना ही नहीं, बीजेपी के विधायकों से भी जनता की नाराजगी बढ़ रही है। विधायकों के क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहने, जनता के छोटे-छोटे काम नहीं कराने, जनता के साथ व्यवहार अच्छा नहीं है। विधायकों के खिलाफ बालू, मौरंग, गिट्‌टी के अवैध खनन, ठेके-पट्‌टे की शिकायतें भी लखनऊ से दिल्ली तक पहुंचती है।
हाल ही में झांसी में बीजेपी विधायक राजीव सिंह पारीछा के लोगों ने ट्रेन में एक यात्री की पिटाई की थी। यात्री की पिटाई का लाइव सीन आरएसएस के सह सर कार्यवाह अरुण कुमार ने खुद देखा था। अरुण कुमार ही बीजेपी, संघ और सरकार के बीच समन्वयक की भूमिका निभाते हैं।

भाजपा के सामने रास्ता क्या है?

टिकट काटना ही बड़ा विकल्प राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी की हार का बड़ा कारण प्रत्याशी नहीं बदलना था। बीजेपी ने 66 में से 49 सांसदों को फिर मौका दिया था। इनमें से 18 ही चुनाव जीत सके। ऐसा कहा जाता है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी दो दर्जन से अधिक सांसदों के टिकट काटने का सुझाव दिया था। योगी की सूची में जिन सांसदों की हार बताई गई थी उनमें से 20 से अधिक सांसद चुनाव हार भी गए।

पार्टी के सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव मिले सबक के बाद भाजपा अब 2027 में टिकट काटने में ज्यादा परहेज नहीं करेगी। पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, आरएसएस और बीजेपी के शीर्ष नेताओं का एक मात्र लक्ष्य 2027 में यूपी में बीजेपी की सरकार बनाना है। इस लक्ष्य के मार्ग में जो भी बाधक होगा, पार्टी उसे रास्ते से हटाने में जरा भी संकोच नहीं करेगी।
पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच दिल्ली में बीते दो-तीन महीने से हो रहे मंथन में भी यह चर्चा हुई है कि विधानसभा चुनाव में यदि 160 से 180 सीटों पर प्रत्याशी नहीं बदले गए तो हैट्रिक लगाना संभव नहीं होगा। इनमें बीजेपी के मौजूदा 258 में से करीब 100 से 120 विधायकों के टिकट काटे जाएंगे। रालोद और सुभासपा को गठबंधन में जाने वाली सीटों के कारण भी वहां प्रत्याशी बदल जाएंगे।

भाजपा क्या रणनीति अपना रही है?
प्रत्याशी चुनने के लिए कई स्तर पर सर्वे होगा बीजेपी विधानसभा चुनाव से पहले प्रत्याशी चयन के लिए चार लेवल पर सर्वे कराएगी। पहला गोपनीय सर्वे सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से कराया जाएगा। दूसरा सर्वे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की निगरानी में होगा। तीसरा सर्वे भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और चौथा गृहमंत्री अमित शाह के स्तर से कराया जाएगा। चारों सर्वे में संभावित उम्मीदवार के लिए जो कॉमन नाम सामने आएंगे, उन पर ही प्रत्याशी चयन के समय मंथन किया जाएगा।

जिलों से आएगा पैनल बीजेपी प्रत्याशी चयन के लिए संगठनात्मक जिलों से पैनल तैयार कराएगी। जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी, सांसद मिलकर प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में तीन-तीन संभावित उम्मीदवार का पैनल तैयार करेंगे। क्षेत्रीय अध्यक्ष भी प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए उम्मीदवारों का पैनल तैयार करेंगे। वह पैनल प्रदेश कोर कमेटी के सामने रखा जाएगा। कोर कमेटी प्रत्येक जिलाध्यक्ष और जिला प्रभारी के साथ पैनल में नामित नामों से नाम तय करेगी।
कोर कमेटी बीजेपी को हिस्से वाली सीटों पर प्रत्याशियों का पैनल तैयार कर केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष पेश करेगी। केंद्रीय नेतृत्व, प्रदेश से मिली सूची, गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष के सर्वे में आए नामों के आधार पर एक कॉमन पैनल तैयार करेंगे। उस पैनल पर लंबी चर्चा, सामाजिक, राजनीतिक और जातीय संतुलन देखते हुए प्रत्याशी तय किए जाएंगे।

सहयोगी दलों को हारी हुई सीटें ज्यादा मिलेंगी बीजेपी के एक प्रदेश महामंत्री का मानना है कि सहयोगी दलों को अपने कब्जे वाली सीटें पार्टी आसानी से नहीं देगी। रालोद, सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल (एस) को उनकी मौजूदा सीटों के अतिरिक्त वही सीटें मिलेंगी, जहां अभी सपा के विधायक हैं। इससे सहयोगी दलों की राजनीतिक क्षमता और उनके नेताओं के राजनीतिक कौशल की परीक्षा होगी। वहीं, बीजेपी अपनी सीटें गठबंधन के दायरे से बाहर रखने में सफल होगी।

अपना दल (एस) की 18 सीटें भी पक्की अपना दल (एस) का 2014 से बीजेपी के साथ गठबंधन है। 2022 में अपना दल को गठबंधन में 18 सीटें मिली थीं। पार्टी ने 12 सीटें जीती थीं, रामपुर की स्वार सीट से उप चुनाव जीतने के बाद वर्तमान में पार्टी के कुल 12 विधायक हैं। जानकार मानते हैं कि बीजेपी के सहयोगी दलों में अपना दल सबसे ताकतवर है। ऐसे में पार्टी को 2027 में भी 18 या उससे अधिक सीटें ही मिलेंगी।
निषाद पार्टी को करना पड़ेगा संघर्ष निषाद पार्टी ने 2022 में बीजेपी गठबंधन किया था। पार्टी को गठबंधन में कुल 15 सीटें मिली थीं। इनमें से पांच सीटों पर बीजेपी ने अपने सिंबल पर चुनाव लड़ा था। जबकि 10 सीटों पर निषाद पार्टी ने अपने सिंबल पर चुनाव लड़ा। निषाद पार्टी 6 सीटों पर चुनाव जीती थी। मझवां से पार्टी के विधायक डॉ. विनोद बिंद ने बीजेपी के टिकट पर 2024 में भदोही से लोकसभा चुनाव लड़ा।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

Related Articles