Shivraj Padyatra: सत्ता के साकेत में हड़कंप, निशाना मोहन पर या दिल्ली की ओर…?

भोपाल। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर पदयात्रा पर निकल गए हैँ। बताने के लिए इसका उद्देश्य जो भी हो, लेकिन पहले ही दिन से सत्ता में बैठे लोगों के चेहरों पर सलवटें साफ देखि जा सकती हैँ। कोई अभियान यूँ ही नहीं चलाया जाता, इसी तरह शिवराज की पदयात्रा के भी मायने निकाले जाने लगवा हैँ। शिवराज मध्य प्रदेश के सबसे लम्बे कार्यकाल वाले सी एम रहे हैँ और अभी केंद्रीय मंत्री हैँ, पर इससे हटकर शिवराज बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के दावेदार हैँ। प्रधानमंत्री पद की भी उनकी दावेदारी कमजोर नहीं है।

मोदी, शाह के लिए शिवराज एक समस्या की तरह भी माने जाते हैँ। बमुश्किल उन्हें प्रदेश से हटाया गया, पर वो राज्य की सक्रिय राजनीति में अपनी हिस्सेदारी कम नहीं होने दवना चाहते। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैँ कि प्रदेश में उनके निशाने पर निश्चित तौर पर सीएम मोहन यादव ही है, जो कहीं न कहीं बहुत कमजोर मुख्यमंत्री माने जा रहे हैँ। यही कारण है कि मोहन खेमे में घबराहट साफ देखी जा रही है।

जहाँ तक दिल्ली कि बात है तो शिवराज भाजपा अध्यक्ष के प्रबल दावेदार आज भी हैँ. मोदी और अमित शाह उन्हें ये पद देना नहीं चाहते, संघ का एक तबका उनके पक्ष में है। उन्हें संगठन का भी अनुभव है, राष्ट्रीय महामंत्री रह चुके हैँ, प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैँ। शिवराज कि खासियत ये रही है कि वे अपना औरा तो बढ़ाते ही हैँ, सामने वाले का औरा कम करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ते। पदयात्रा के दौरान उमड़ी भीड़ से भी सत्ता के साकेत में हड़कंप मचा हुआ है।

कहा जा रहा है कि शिवराज सिंह एमपी की जनता से लगातार जुड़े हुए रहना चाहते हैं। शिवराज ने रविवार को सीहोर के लाड़कुई-भादाकुई गांव से अपनी पदयात्रा शुरू की। उन्होंने वहां किसानों से बातचीत की। लोगों ने उन्हें कंधे पर उठा लिया और वे अपने परिवार के साथ खूब नाचे। उनकी पत्नी साधना सिंह, बेटे कार्तिकेय और बहू अमानत भी पदयात्रा में शामिल हुए। शिवराज सिंह चौहान ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर भी बात की। उन्होंने कहा कि भारत की ताकत सबने देखी है। यह नया भारत है। हमने कह दिया है कि हम किसी को छेड़ेंगे नहीं, लेकिन अगर किसी ने छेड़ा तो छोड़ेंगे भी नहीं। ऐसा भारत सबके सामने सीना तानकर खड़ा करना है।

कहने को शिवराज सिंह चौहान की इस पदयात्रा का मकसद लोगों को विकसित भारत के सपने से जोड़ना है यही बताया जा रहा है। वे चाहते हैं कि लोग अपने गांव के विकास में सक्रिय रूप से भाग लें। उनका मानना है कि जब गांव विकसित होंगे, तभी भारत विकसित होगा। वे लोगों को प्रेरित करने के लिए खुद पैदल चल रहे हैं। ताकि लोग भी अपने गांव के लिए कुछ करने के लिए आगे आएं। वे चाहते हैं कि हर कोई विकसित भारत के इस संकल्प में अपना योगदान दे। इसे लेकर उन्होंने कहा कि अच्छे विकास के लिए गांव में सफाई, पानी की व्यवस्था, आंगनवाड़ी, स्कूल, महिला सशक्तिकरण और बेहतर रोजगार को प्राथमिकता देनी होगी।

1991 में की थी पूरे विदिशा लोकसभा क्षेत्र की पदयात्रा

शिवराज सिंह चौहान ने 1991 में पूरे विदिशा लोकसभा क्षेत्र की पदयात्रा की थी। इस पदयात्रा के बाद उनको क्षेत्र के लोग पांव-पांव वाले भैया के नाम से पुकारने लगे थे। अब करीब 25 साल बाद वे फिर से अपने संसदीय क्षेत्र से पद यात्रा निकालने जा रहे हैं। आमतौर पर शिवराज सिंह चौहान शनिवार और रविवार को विदिशा संसदीय क्षेत्र के दौरे पर आते हैं। वे कार से दौरे करते हैं लेकिन, अब वे पदयात्रा करते हुए अपने क्षेत्र के लोगों के बीच जाएंगे।

1991 का फोटो
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