Politics : शिवराज सिँह चौहान… नजर भाजपा अध्यक्ष पद पर थी, अब बंगला भी खतरे में पड़ा…!
संजय सक्सेना

भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। नजर थी भाजपा अध्यक्ष के पद पर, सुरक्षा भी बढ़ गईं, लेकिन बात कुछ बनी नहीं…। अब एक लाइन लोग गा रहे हैँ, नजर लागी राजा तोहरे बँगले पर…।

वर्तमान में केंद्रीय कृषि मंत्री। भाजपा का सौम्य, परंतु ठेठ राजनीतिक चेहरा। घाघ राजनेता की छवि बना चुके शिवराज के भोपाल और दिल्ली निवास की अचानक सुरक्षा बढ़ाई गई, तो चर्चाएं चल निकलीं कि शिवराज को भाजपा का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। लेकिन भाजपा ठहरी चौंकाने की राजनीति करने वाली पार्टी। एक दिन बाद ही यह भ्रम भी तोड़ दिया कि संघ की पसंद कहे जाने वाले शिवराज की ताजपोशी अध्यक्ष के तौर पर होगी। बिहार के सवर्ण वर्ग के चेहरे नितिन नवीन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर सभी को चौंका दिया।
शिवराज की बात करें तो शिवराज ने मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री बने रहने का कीर्तिमान बनाया था। वह भी तब, जब पार्टी हाईकमान ही उन्हें पसंद नहीं करता था। हाईकमान की परेशानी यह है कि जैसे ही किसी नेता का कद बढऩे लगता है, तो तत्काल उसकी कटाई-छंटाई शुरू कर दी जाती है। यही बात शिवराज पर लागू की जा रही थी। लेकिन शिवराज ठहरे घाघ नेता। उन्होंने संघ की दाढ़ में इतना खून लगा दिया कि उसके पदाधिकारी शिवराज के प्रशंसक बन गए। शिवराज दिल्ली में मोदी को चुनौती देने लगे तो मोदी-शाह को उन्हें मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद से हटाना पड़ा।
हालांकि मोदी-शाह को शिवराज को पूरी तरह से हाशिये पर धकेलना संभव नहीं दिख रहा था, सो उन्हें केंद्र में कृषि मंत्री बना दिया। इसके पहले कृषि मंत्री के रूप में नरेंद्र तोमर कथित तौर पर असफल हो गए थे। उनकी असफलता कायदे से उनकी स्वयं की या उनके मंत्रालय की नहीं थी, यह असफलता सही मायने में मोदी और शाह तथा उनकी किसान नीतियों की थी। ठीकरा नरेंद्र तोमर पर फोड़ दिया गया।
शिवराज ने कृषि मंत्रालय की चुनौती स्वीकार करते हुए वहां अपना प्रभाव छोडऩा शुरू कर दिया। कहने को तो उन्हें केंद्र सरकार की नीतियों पर ही चलना पड़ रहा है, लेकिन शिवराज अपनी शैली में काम करते हुए किसानों के बीच में पहुंचने लगे। संघ के प्यारे तो वह पहले से ही थे, सो फिर संघ ने पार्टी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि संजय जोशी को अध्यक्ष नहीं बनाना तो मत बनाओ, शिवराज को बना दो। वह पार्टी का उदारवादी चेहरा बन गये हैं। लेकिन मोदी-शाह को यह गवारा नहीं था। शिवराज का बढ़ता कद मोदी के लिए आज भी बड़ी चिंता का विषय है। मोदी का ग्राफ जिस तेजी से गिरता जा रहा है, वह पार्टी और संघ जानते हैं। लेकिन फिलहाल कुछ कर नहीं सकते।
शिवराज का दायरा कैसे समेटा जाए? ये प्रश्न भाजपा हाईकमान को परेशान कर रहा था और आज भी कर रहा है। कुछ दिन पहले शिवराज के भोपाल निवास पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी गेंहू की बोरी लेकर घुस गये थे। उस समय तो पटवारी और अन्य कांग्रेस पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं का शिवराज ने स्वागत कर दिया। लेकिन बाद में उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिख कर इसे सुरक्षा का मुद्दा बना दिया। इधर, शिवराज खेमे ने यह प्रचारित करना शुरू कर दिया था कि पटवारी प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के इशारे पर वहां घुसे थे।

यहां एक बात और। शिवराज की सुरक्षा का मुद्दा आते ही भाजपा के  ाथ ही कांग्रेस की तरफ से भी उनके भोपाल वाले बंगले का मुद्दा उठने लगा है। यह शायद पहली बार हुआ है कि दो शासकीय बंगलों को मिलाकर एक कर दिया गया हो। शिवराज ने अपनी पसंद के बंगले के बाजू वाला बंगला किरार समाज की अध्यक्ष श्रीमती साधना सिंह के नाम आवंटित करवा लिया। साधना सिंह उनकी पत्नी हैं। इस तरह दोनों ही बंगले उनके पास हो गये। अब लोगों ने कहना शुरू कर दिया गया है कि शिवराज के ये बंगले मुख्य मार्ग पर स्थित हैं, ऐसे में उन्हें ज्यादा खतरा हो सकता है। इसलिए उनका निवास भी बदल दिया जाए। इस बंगले की जगह उन्हें सुरक्षित स्थान पर नया बंगला आवंटित कर दिया जाए। कांग्रेस की प्रवक्ता संगीता शर्मा ने तो बाकायदा सोशल मीडिया पर इसकी मांग भी कर दी है। शिवराज के इन बंगलों पर भी कई नेताओं की नजर है। सो, अब उनसे ये बंगले भी छीने जाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। अब देखना होगा, शिवराज ये बंगले कैसे बचाते हैं?

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