MP : एक बार फिर शुरू हुईं कैबिनेट फेरबदल और निगम मण्डलों में नियुक्तियों की कवायद….!

भोपाल। मप्र में मोहन सरकार के दो साल पूरे होने के साथ ही प्रदेश के निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियों की चर्चाएं एक बार फिर तेज हो गईं हैँ। इसके अलावा मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर कवायद भी दिखने लगी है। भाजपा के साथ ही सत्ता के सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार का खाका लगभग तैयार हो गया है। अब उचित समय की प्रतीक्षा की जा रही है। कहा तो ये भी जा रहा है कि लिस्टों को हरि झंडी का इंतजार है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद प्रदेश सरकार और संगठन में सक्रियता बढ़ती दिखाई दे रहीj है। प्रदेश में खाली निगम मंडल, बोर्ड और प्राधिकरणों में नियुक्तियों को लेकर पिछले तीन महीने से बैठकों का दौर चल रहा है, पर कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है। इस कड़ी में गत दिनों मुख्यमंत्री निवास पर हुई बैठक को अहम माना जा रहा है। इस बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, क्षेत्रीय सह संगठन महामंत्री अजय जामवाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद के बीच कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
खबर तो ये है कि निगम मंडल, बोर्ड और प्राधिकरण के अलावा एल्डरमैन और प्रदेश के सरकारी कॉलेजों की जनभागीदारी समितियों में भी नियुक्तियां किये जाने पर सहमति बन गईं है। पहली सूची में भोपाल विकास प्राधिकरण, उज्जैन विकास प्राधिकरण, इंदौर विकास प्राधिकरण और कुछ निगम मंडलों में नियुक्ति की जा सकती है। इसके बाद अन्य नियुक्तियां होंगी।
एक दर्जन से अधिक नामों पर बनी सहमति
मप्र में पिछले पौने 2 साल से नेता राजनीतिक नियुक्तियों की आस लगाए बैठे हैं। सूत्रों का कहना है कि सत्ता और संगठन की सहमति के बाद राजनीतिक नियुक्तियों की तैयारी शुरू हो गई है। एक दर्जन से अधिक नामों पर सहमति बन चुकी है। इसकी पहली सूची जल्द जारी हो सकती है। नियुक्तियों की दूसरी लिस्ट भी इसी महीने जारी करने की तैयारी है। उल्लेखनीय है कि निगम मंडल, बोर्ड और प्राधिकरणों की सभी नियुक्तियों को मोहन सरकार ने फरवरी 2024 में निरस्त कर दिया था। निगम-मंडलों में नियुक्ति के साथ ही एल्डरमैन की नियुक्तियां भी होंगी।
भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर नगर निगमों में 12-12 एल्डरमैन नियुक्त किए जाएंगे, जबकि मुरैना, सिंगरौली, रीवा, सतना, छिंदवाड़ा, उज्जैन, सागर, बुरहानपुर, खंडवा, देवास, रतलाम, कटनी नगर निगमों में 8-8 एल्डरमैन की नियुक्तियां की जाना है। इसके अलावा 99 नगर पालिकाओं में से लगभग 70 नगर पालिकाओं में 6-6 एल्डरमैन और 264 में से लगभग 180 नगर परिषदों में 4-4 एल्डरमैन के नाम तय करने की कवायद जारी है। दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर निगमों में 12-12 एल्डरमैन नियुक्त किए जा सकते हैं। नगर पालिकाओं में यह संख्या कम होती है।
दावेदारों की सक्रियता
पौने दो साल से यहां अध्यक्ष सहित अन्य पद खाली पड़े है। इसके बाद से कई बार इन राजनीतिक नियुक्तियों की कवायद चली, लेकिन नियुक्तियां नहीं हो पाई। अब अगले साल होने वाले नगरीय निकाय चुनाव और उसके बाद विधानसभा चुनाव को देखते हुए दिग्गज नेता और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को साधने निगम-मंडल, बोर्ड और प्राधिकरणों में नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इन पदों पर नियुक्तियों से न सिर्फ संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूती मिलेगी, बल्कि सरकार को भी प्रशासनिक स्तर पर लाभ होगा। खासतौर पर वे नेता, जो विधानसभा या लोकसभा चुनाव में टिकट से वंचित रह गए थे या जो हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं, खुद को इन पदों के लिए उचित दावेदार के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।
साथ ही संगठन में लंबे समय से सक्रिय कार्यकर्ता को भी बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा संगठन और सरकार के बीच हुए समन्वय में यह बात भी स्पष्ट हुई है कि इन नियुक्तियों के माध्यम से भाजपा के स्थानीय नेताओं को उपकृत किया जाएगा, खासकर ऐसे नेताओं को जो संगठन में लगातार सक्रिय रहे हैं, लेकिन हाल ही में घोषित जिला कार्यकारिणी में जगह नहीं पा सके हैं। पार्टी ने अब तक करीब 40 जिलों की कार्यकारिणी घोषित की है, इन जिलों में सबसे पहले एल्डरमैन की नियुक्तियां की जाएगी। भाजपा इस प्रक्रिया को एक राजनीतिक रणनीति के रूप में देख रही है, जिला कार्यकारिणी में स्थान नहीं मिलने से कार्यकर्ताओं में अंदरूनी नाराजगी को दूर किया जा सके। इसी क्रम में, प्रदेश के लगभग 300 कॉलेजों में जनभागीदारी समितियों के गठन की तैयारी भी जोरों पर है।
रिव्यू हो गया अब नतीजे कब आएंगे?
मोहन यादव कैबिनेट में बदलाव की अटकलें जोर पकडऩे लगी हैं। एक-एक विभाग की समीक्षा के बाद मंत्रियों की सी आर तैयार कर ली गई है। बताया जा रहा है कि करीब आधा दर्जन मंत्रियों की परफॉर्मेंस से मुख्यमंत्री संतुष्ट नहीं हैं। जानकारी के अनुसार मंत्रिमंडल में शामिल पांच से छह मंत्रियों की कुर्सी पर नए साल में खतरा मंडरा सकता है। इनसे इस्तीफे लिए जा सकते हैं। इनमें वे मंत्री भी शामिल हैं जो पहली बार इस ओहदे तक पहुंचे हैं। गत दिनों मुख्यमंत्री निवास में सीएम और संगठन के आला नेताओं ने मंत्रियों की परफार्मेंस रिपोर्ट पर चर्चा की। बताया जाता है कि दो घंटे से अधिक समय तक परफार्मेंस रिपोर्ट पर मंथन के बाद इसे हाईकमान को भेजने का तय किया गया। गौरतलब है कि सीएम ने पिछले दिनों अपने मंत्रियों के साथ उनके विभागों के कामकाज को लेकर समीक्षा की थी। इस समीक्षा में दो साल के कामकाज पर विस्तृत चर्चा हुई है। इसके अलावा पार्टी हाईकमान ने भी अपने स्तर पर मंत्रियों के परफार्मेन्स को लेकर रिपोर्ट तैयार करवाई है। निजी एजेंसियों की मदद से तैयार करवाई गई इस रिपोर्ट में मंत्रियों के काम करन के तरीके से लेकर उनके बयान, व्यवहार और विभाग में पकड़ जैसे मसलों को शामिल किया गया है।
अगले महीने हो सकता है मंत्रिमंडल विस्तार
जानकारी के अनुसार, मोहन सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार अगले महीने यानी जनवरी में होने कि सम्भावना है। जनवरी में फेरबदल और विस्तार की बात खुद मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव कह चुके हैं। इसके बाद से मंत्रियों की धड़कनें बढ़ी हुई है। सूत्रों की माने तो करीब आधा दर्जन मंत्रियों का परफार्मेन्स ठीक नहीं पाया गया है। अटपटे बयान देने वाले एक सीनियर और महत्वपूर्ण विभाग के मंत्री की अपने विभाग में पकड़ न होने की बात समीक्षा और सर्वे में सामने आई है। संगठन सूत्रों की माने तो मंत्रियों के बोल वचन को भी केन्द्रीय नेतृत्व बेहद गंभीरता से ले रहा है और हाल ही में कुछ मंत्रियों के विवादास्पद बयानों से नेतृत्व खुश नहीं है। ऐसे मंत्रियों की विदाई पर वह विचार कर सकता है। संगठन के एक वरिष्ठ नेता की माने तो सात से आठ नए चेहरे जनवरी में होने वाले विस्तार में शामिल हो सकते हैं। इसमें पांच वर्तमान मंत्रियों को बदला जा सकता है तो कुछ के विभागों में भी बदलाव किया जा सकता है। मंत्रिमंडल में अभी सीएम डॉ. मोहन यादव के अलावा 30 मंत्री हैं। विधायकों की संख्या के मान से अभी चार से पांच और विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। जनवरी में होने वाले विस्तार में चर्चित सीनियर विधायकों के नामों पर भी विचार किया जाना तय माना जा रहा है। इनमें दो सीनियर विधायकों का मंत्री बनना तय माना जा रहा है। और कुछ सीनियर मंत्रियों को परफॉरमेंस के बाद भी हटाया जा सकता है। फिलहाल ती ये अटकलें ही हैँ, पर पार्टी में उम्मीदों की बयार महसूस की जा रही है।





