MP: इंदौर में भी सूरत रिपीट करने की कोशिश, निर्दलीयों को नहीं साध पाए

भोपाल। इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। इसी के साथ उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली है। ऑपरेशन लोटस की पटकथा के नायक मंत्री कैलाश विजयवर्गीय रहे। इस मामले में को एक्टर की भूमिका विधायक रमेश मेंदोला ने निभाई। नामांकन वापस कराने के लिए वे ही अक्षय को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे।
37 दिन पहले शुरू हो गई थी प्लानिंग
16 मार्च 2024…यह वही दिन था, जब कांग्रेस ने अक्षय कांति बम को इंदौर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था। इसके बाद अक्षय को बीजेपी में लाने की प्लानिंग शुरू कर दी गई। यानी इंदौर ऑपरेशन लोटस की पटकथा गुजरात के सूरत वाले सियासी घटनाक्रम से 37 दिन पहले ही लिखी जा चुकी थी।
पहली बार में ही हां कर दी
ऑपरेशन लोटस के हीरो मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दिल्ली और फिर भोपाल मुख्यालय पर यह आइडिया ब्रेक किया। जब केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व ने हरीझंडी दे दी तो अक्षय से संपर्क किया गया। पहली बार में ही अक्षय ने हामी भर दी। यानी वे खुद बीजेपी में आना चाहते थे। इसके बाद अक्षय ने खजुराहो जाकर वीडी शर्मा से भी मुलाकात की थी।
आठ दिन पहले होटल में मीटिंग
संगठन की सहमति के बाद अक्षय बम से करीब आठ दिन पहले इंदौर के एक नामी होटल में बंद कमरे में रणनीति पर बात हुई थी। इस गोपनीय मीटिंग में अक्षय अकेले पहुंचे थे। उन्होंने आशंका जाहिर की कि यदि टिकट वापस लिया तो कांग्रेस बवाल काट देगी। उन पर हमला भी हो सकता है। इसके बाद विधायक रमेश मेंदोला की एंट्री हुई।
तीन नेता निर्दलीयों को नहीं साध पाए
पहले बीजेपी इंदौर में सूरत जैसा घटनाक्रम रिपीट करना चाहती थी। इसके लिए मीटिंग हुई। मंत्री विजयवर्गीय ने इंदौर बीजेपी अध्यक्ष गौरव रणदिवे, महापौर पुष्यमित्र भार्गव और आईडीए के पूर्व अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा को जिम्मेदारी दी। इन तीनों नेताओं को निर्दलीय प्रत्याशियों को साधने का काम दिया गया, लेकिन ये अपने काम को बखूबी नहीं कर पाए। लिहाजा, विजयवर्गीय अकेले पड़ गए। हालांकि, उन्होंने अकेले अपने दम पर अक्षय बम को साधा और अपने पाले में कर लिया।
दिल्ली की बैठक में लगी मुहर
ऑपरेशन लोटस से एक दिन पहले यानी 28 अप्रैल को दिल्ली में मंथन हुआ। बैठक में कैलाश विजयवर्गीय शामिल हुए। उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश को पूरी जानकारी दी। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए बैठक में तय हुआ कि बीजेपी सूरत जैसा घटनाक्रम इंदौर में नहीं दोहराएगी। यानी यहां निर्दलीयों को अब अपने पाले में नहीं लाया जाएगा। सिर्फ कांग्रेस प्रत्याशी बीजेपी ज्वाइन करेगा। फिर ऐसा ही हुआ और अक्षय बम ने बीजेपी ज्वाइन कर ली।
अब समझिए अधूरे ऑपरेशन लोटस को…
इस तरह कुल मिलाकर इंदौर में ऑपरेशन लोटस अधूरा रहा। पहले बीजेपी की कोशिश थी कि सूरत की तरह कांग्रेस प्रत्याशी तो बीजेपी खेमे में आ ही जाए। इसी के साथ सभी निर्दलीय व अन्य भी अपना नामांकन वापस ले लें, लेकिन यह काम अधूरा रह गया। इंदौर के सियासी रण में कुल 26 उम्मीदवार थे। 3 के नामांकन निरस्त हो गए। कांग्रेस सहित कुल 9 प्रत्याशियों ने नाम वापस ले लिया। अब 14 प्रत्याशी मैदान में हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि इस ऑपरेशन के लिए निर्दलीय उम्मीदवारों को साधने का जिम्मा गौरव रणदिवे, पुष्यमित्र भार्गव और जयपाल सिंह चावड़ा के पास था, जिसमें वह पूरी तरह एक्टिव नहीं हुए।
जयपाल सिंह चावड़ा की भूमिका
थोड़े पीछे और चलें तो जयपाल सिंह चावड़ा की भूमिका पता चलती है। अक्षय बम की मुलाकात चावड़ा से भी हुई थी, पर बात नहीं बनी। फिर सीएम मोहन यादव से भोपाल में अक्षय बम की मुलाकात हुई। सीएम की हरीझंडी के बाद फिर विजयवर्गीय ने कमान संभाली। उन्होंने केंद्रीय मंत्री अमित शाह से बात की। पूरी प्लानिंग बनी। रणनीति यह थी कि अक्षय बम कांग्रेस को भनक नहीं लगने देंगे। इसके लिए वे सामान्य काम करते रहेंगे। प्रचार का सिलसिला चलता रहेगा। सब कुछ ऐनवक्त पर 29 अप्रैल को होगा। यहां तक कि 29 अप्रैल की सुबह भी कांग्रेस के साथ प्रचार और मीटिंग आदि करेंगे। तय प्लान के हिसाब से बम ने यह सब किया।
साढ़े चार करोड़ रुपए प्रचार में खर्च
एक खास बात यह भी रही कि कैलाश विजयवर्गीय ने अक्षय बम को यह भी ताकीद दी थी कि आपके पिता कट्टर कांग्रेसी हैं, इसलिए सोच समझ लीजिए। इसके बाद अक्षय ने अपने पिता की मुलाकात विजयवर्गीय से कराई थी। इसमें सामने आया कि प्रचार में साढ़े चार करोड़ खर्च हो गए हैं, कांग्रेस ने भी पैसे लिए हैं। इस पर विजयवर्गीय का जवाब था कि अभी सब भूल जाओ। पद भी बाद में देखेंगे।
गौरव और पुष्यमित्र से हो गई चूक
इस पूरे मामले में नगराध्यक्ष गौरव रणदिवे और महापौर पुष्यमित्र भार्गव मैदान में सक्रियता नहीं दिखा पाए। निर्दलीय प्रत्याशियों को को केवल यहां-वहां से फोन पर संदेश ही गए। उनके साथ किसी तरह की बैठक और दूसरी रणनीति नहीं अपनाई गई। इसके चलते केवल 8 प्रत्याशियों ने नाम वापस लिया और बाकी 18 प्रत्याशी चुनाव में डंटे रहे। 

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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