नई दिल्ली. उपराष्ट्रपति के पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। चुनाव आयोग ने रिटर्निंग ऑफिसर का ऐलान कर दिया है। बीजेपी की अगुआई वाले NDA गबंधन में भी इस पद को लेकर सलाह मशविरा शुरू हो गया है। रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि सरकार के दबाव में ही जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया है। हालांकि इस्तीफा देकर भी वह बीजेपी के लिए दो चुनौतियां छोड़ गए हैं। पहली चुनौती तो यह है कि इस बार उम्मीदवार का चयन करने में बीजेपी को सतर्क रहना होगा। बीजेपी किसी ऐसे व्यक्ति का चयन करना चाहेगी जिसकी विचारधारा पार्टी से एकदम मेल खाती हो। दूसरी चुनौती यह है कि विपक्ष भी इस चुनाव में अपना उम्मीदवार उतार सकता है। दोनों सदनों को मिलाकर इस चुनाव में 782 सांसदों का इलेक्टोरल कॉलेज होगा। इसमें एनडीए के 425 सांसद हैं।
जगदीप धनखड़ ने अपना राजनीतिक सफर 1991 में जनता दल के सांसद के तौर पर शुरू किया था। बाद में उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली और फिर बीजेपी में आ गए। जगदीप धनखड़ सुप्रीम कोर्ट में एक सीनियर वकील थे। ऐसे में बीजेपी का उनपर ध्यान गया और उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया। राज्यपाल रहते हुए उनकी ममता बनर्जी सरकार के साथ ठनी ही रहती थी। 2022 में जगदीप धनखड़ को एनडीए ने अपना उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया।
जगदीप धनखड़ कई मामलों को लेकर मुखर रहते थे। वहीं वह पारंपरिक तरीके से काम करने की जगह सवाल उठाते रहते थे। कई बार उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर भी टिप्पणी की। वहीं जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर सार्वजनिक मंचों पर भी राय रख चुके थे। जब उन्होंने विपक्ष द्वारा प्रस्तावित मोशन पर राज्यसभा में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया तो यह सरकार को भी रास नहीं आया। कुछ घंटे बाद ही जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
एनडीए के नेताओं का कहना है कि इस बार उम्मीदवार चुनने में फूंक-फूंककर कदम रखा जाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि राज्यसभा के उपसभापति रहते हुए हरिवंश नारायण सिंह ने भी सरकार का भरोसा जीता है। वहीं उन्हें नीतीश कुमार और पीएम मोदी का करीबी माना जाता है। ऐसे में वह एनडीए की चॉइस हो सकते हैं। राज्यसभा का अनुभव भी उपराष्ट्रपति के तौर पर उनके काम आ सकता है।
एक बीजेपी नेता ने कहा कि अभी पार्टी के अंदर भी इस विषय को लेकर चर्चा शुरू नहीं हुई है। हालांकि लोग अंदाजा लगा रहे हैं। इतना कहा जा सकता है कि भविष्य में किसी भी फैसले से पहले इस उथल-पुथल का ध्यान रखा जाएगा। बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में चुनाव को देखते हुए भी उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर निर्णय लिया जा सकता है।