Congress: मुरैना के चक्कर में अटका ग्वालियर का उम्मीदवार

भोपाल। प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस 28 पर चुनाव लड़ रही है। खजुराहो सीट सपा को समझौते में दी गई है। अब तक 3 बार में कांग्रेस 25 उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। 3 सीटों पर कैंडिडेट्स को लेकर स्थिति साफ नहीं हो पाई है। ग्वालियर, मुरैना और खंडवा में कांग्रेस के नामों को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है।
ठाकुर-पंडित के चक्कर में मुरैना का मामला उलझा
चंबल अंचल की 2 सीटों पर अब तक कांग्रेस कैंडिडेट्स का फैसला नहीं कर पाई है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी मुरैना में जौरा विधायक पंकज उपाध्याय को उतारने के पक्ष में हैं। कांग्रेस के कई लीडर पूर्व विधायक नीटू सिकरवार को लड़ाने की पैरवी कर रहे हैं। पटवारी खेमे का तर्क है कि बीजेपी ने ठाकुर उम्मीदवार उतारा है। ऐसे में कांग्रेस का कैंडिडेट्स ब्राह्मण वर्ग से उतारने पर दूसरे समाजों के वोट मिल सकेंगे। वहीं, नीटू के लिए लॉबिंग कर रहे नेताओं का तर्क है कि मुरैना लोकसभा में ठाकुर वोटर निर्णायक हैं। सिकरवार परिवार का अच्छा खासा प्रभाव है। नीटू सिकरवार के चाचा वृंदावन सिंह सिकरवार 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा के उम्मीदवार थे और 2,42,586 वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहे थे। कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. गोविंद सिंह तीसरे नंबर पर पहुंच गए थे। ऐसे में नीटू को लड़ाने से ठाकुर वोट कांग्रेस को मिल सकते हैं। वहीं, ओबीसी वर्ग से जसवीर सिंह गुर्जर दिल्ली दरबार से जोर लगा रहे हैं।
ग्वालियर में भितरघात और विरोध की आशंका
ग्वालियर सीट पर मुरैना के कारण फैसला नहीं हो पा रहा है। मुरैना में यदि जौरा विधायक पंकज उपाध्याय को उतारा जाता है तो ग्वालियर में नीटू सिकरवार को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। नीटू के बड़े भाई सतीश सिकरवार ग्वालियर से लड़ाने के पक्ष में नहीं हैं। सिकरवार परिवार को भितरघात और विरोध की आशंका है। पार्टी में पूर्व विधायक प्रवीण पाठक के नाम पर भी मंथन चल रहा है। मुरैना में पंकज उपाध्याय को उम्मीदवार बनाने की स्थिति में ग्वालियर से ब्राह्मण कैंडिडेट्स उतारे जाने की संभावना कम है। ग्वालियर में ओबीसी कैंडिडेट्स के तौर पर पूर्व सांसद रामसेवक सिंह गुर्जर, पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव और मितेन्द्र दर्शन सिंह के नामों पर चर्चा जारी है।
खंडवा में कोई मजबूत नाम नहीं
कांग्रेस सूत्रों की मानें तो खंडवा लोकसभा सीट पर कांग्रेस किसी दमदार नाम को लेकर फैसला नहीं कर पाई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को आलाकमान खंडवा से लड़ाने के पक्ष में है, लेकिन वे गुना से लड़ना चाहते थे। अब गुना में राव यादवेन्द्र यादव के उम्मीदवार बनने के बाद खंडवा में अरुण यादव, पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष पूनम पटेल और सुनीता के नामों पर मंथन चल रहा है।
तीनों सीटों के चुनाव परिणाम
मुरैना लोकसभा में 1996 से लगातार बीजेपी के उम्मीदवार जीत दर्ज करते आ रहे हैं। 2008 के पहले यह सीट एससी के लिए आरक्षित थी, लेकिन 2009 में यह अनारक्षित हो गई। 1991 में आखिरी बार कांग्रेस के बारेलाल जाटव कांग्रेस के सांसद चुने गए थे
