BJP : नये अध्यक्ष को लेकर फिर गतिविधियां तेज हुईं, केशव मौर्य भी लिस्ट में…!

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी को जल्द ही नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने के संकेत हैं। खबर है कि बुधवार को कई उच्च स्तरीय बैठकें हुई हैं, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत कई बड़े नाम शामिल हुए। अटकलें ये भी हैं कि भाजपा ने उत्तर प्रदेश अध्यक्ष के नाम का भी फैसला कर लिया है और सिर्फ ऐलान बाकी है। हालांकि, पार्टी ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है। अब संभावनाएं जताई जा रही हैं कि भाजपा 15 दिसंबर से पहले नया अध्यक्ष चुन सकती है।

भाजपा के कई नेताओं का नाम भाजपा चीफ की रेस में आगे चल रहा है। लेकिन इस बार नामों की लंबी सूची में जो चेहरा सबसे चौंकाने वाला तरीके से आगे आया है, वह है-उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य। पार्टी के भीतर माना जा रहा है कि केशव प्रसाद मौर्य की जातिगत पकड़, आरएसएस से पुराना जुड़ाव और अमित शाह से करीबियों की वजह से उन्हें इस रेस में जबरदस्त प्राथमिकता मिल रही है।

भाजपा की संगठनात्मक प्रक्रिया 29 राज्यों में पूरी हो चुकी है। अब केवल उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में औपचारिकताएं बाकी हैं। जैसे ही 14 जनवरी को ‘खरमास’ खत्म होगा, माना जा रहा है कि चुनावी प्रक्रिया और तेज होगी। पार्टी का लक्ष्य जनवरी 2026 तक नया अध्यक्ष चुनने का है। जेपी नड्डा फिलहाल एक्सटेंशन पर हैं और इसी वजह से तय माना जा रहा है कि नया चेहरा जल्द सामने आएगा।

कई बड़े नाम, लेकिन सबसे आगे केशव प्रसाद मौर्य क्यों
पार्टी के भीतर जिन नेताओं पर सबसे ज्यादा चर्चा है, उनमें केशव प्रसाद मौर्य,धर्मेंद्र प्रधान,भूपेंद्र यादव और शिवराज सिंह चौहान के नाम सामने आए हैं। लेकिन इनमें से मौर्य जिस तरह तेजी से आगे बढ़ते दिख रहे हैं, वह बेहद दिलचस्प है। माना जा रहा है कि RSS और अमित शाह के साथ उनका मजबूत सांठगांठ उन्हें अन्य दावेदारों से अलग खड़ा कर देता है।

RSS और अमित शाह से नजदीकी कर रही है मदद
केशव प्रसाद मौर्य का सफर भाजपा के कैडर पॉलिटिक्स की एक मिसाल माना जाता है। वे लंबे समय तक आरएसएस और विहिप के साथ जुड़े रहे। राम मंदिर आंदोलन में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई थी। यही वजह है कि संगठन स्तर पर उन्हें ‘कैडर का अपना आदमी’ माना जाता है।
दिल्ली में अमित शाह से उनकी मुलाकातें अक्सर चर्चा में रहती हैं। हर बार दिल्ली से लौटने के बाद उनकी बॉडी लैंग्वेज और राजनीतिक सक्रियता नई ऊर्जा के साथ दिखाई देती है। यह संकेत कई बार पार्टी के अंदरूनी हलकों में साफ संदेश छोड़ जाते हैं।

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