Rahul Gandhi : भोपाल में राहुल का सन्देश, अब कमान सीधे सम्हालेंगे.. दिग्गजों को झटका, कार्यकर्ताओं का बढ़ा हौसला

भोपाल। मेरी जितनी भी जरूरत होगी, जहां भी आप मुझे ले जाना चाहते हो, आप मुझे बुलाओ, मैं हाजिर हो जाऊंगा। और – आखिरी बात भूल गया मैं, सबसे जरूरी बात। कांग्रेस पार्टी में डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट के लिए कांग्रेस प्रेसिडेंट का, मेरा, वेणुगोपाल जी का दरवाजा सेंट-परसेंट खुला मिलेगा… यानि अब राहुल गाँधी कांग्रेस की कमान सीधे अपने हाथों में ले रहे हैँ। कमान सम्हाल लीं है, अब सन्देश भी दे दिया।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ब्लॉक और जिला अध्यक्षों के सम्मेलन में राहुल गांधी ने साफ संकेत दिया कि प्रदेश कांग्रेस संगठन के हर एक्शन और मूवमेंट पर उनकी नजर रहेगी। दरअसल, कुछ साल पहले तक कांग्रेस नेता सार्वजनिक तौर पर ये कहते थे कि मध्यप्रदेश में क्या चल रहा है, राहुल गांधी को इसमें कोई रुचि नहीं है। वे एमपी के नेताओं से भी नहीं मिलते। और इसके पीछे साफ तौर पर यहाँ के वरिष्ठ नेताओं की ठेकेदारी ही रही। नेताओं ने कांग्रेस को अपनी जागीरदारी बना कर अपने पट्ठे पाले, दरबारी बनाये, इससे पार्टी का मूल स्वरुप ख़त्म सा हो गया।
कांग्रेस के एक नेता कहते हैं कि जब राहुल राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे तो 2016 में संगठन की बैठक लेने भोपाल आए थे। इसके बाद वे 2019 तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे, मगर चुनावी रैली और सभाओं के अलावा उन्होंने कभी संगठन की बैठक नहीं ली।

2018 में मुख्यमंत्री बने कमलनाथ सरकार के 15 महीने के कार्यकाल को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस मध्यप्रदेश में पिछले 20 साल से सत्ता से बाहर है। इस दौरान पार्टी संगठन हाशिए पर चला गया है। अब इसे नए सिरे से खड़ा करने के लिए कोशिश हो रही है।
राहुल गांधी ने मंगलवार को मध्यप्रदेश में संगठन सृजन अभियान लॉन्च किया। कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने 6 घंटे बिताए, चार अहम बैठकें लीं। इस दौरान नसीहतें दीं और जो सलाह मिली, उन्हें मानने में जरा भी देर नहीं की।
राहुल के दौरे का मैसेज साफ रहा- नई लीडरशिप को बढ़ावा देना, गुटबाजी खत्म करना और रेस के घोड़े की तरह मैदान में डटे रहना। उन्होंने नेताओं को ये भी साफ कर दिया कि किस क्राइटेरिया के आधार पर टिकट मिलेगा और किन्हें मिलेगा। अब क्या राहुल के इस दौरे से कांग्रेस में वाकई में बदलाव देखने को मिलेगा, इसे लेकर दैनिक भास्कर ने एक्सपर्ट से बात की।
जिलाध्यक्ष के चयन में मैनिपुलेट किया, तो मैं बदल दूंगा
राहुल गांधी ने नेताओं से कहा- संगठन सृजन अभियान का मकसद पार्टी को नए सिरे से तैयार करना है। ये पहला कदम है, जिसके माध्यम से जिलों में संगठन को खड़ा किया जा रहा है। जिलाध्यक्षों का चयन पारदर्शी तरीके से किया जाएगा। यह अभियान आगे भी जारी रहेगा। इसे प्रदेश स्तर पर भी लागू किया जाएगा।
जिलाध्यक्ष ऊपर से थोपा नहीं जाएगा बल्कि एआईसीसी और पीसीसी के पर्यवेक्षक मिलकर इनका चयन करेंगे। यदि चयन प्रक्रिया को मैनिपुलेट किया तो उसे मैं खुद बदल दूंगा। राहुल गांधी ने वरिष्ठ नेताओं को संदेश दिया कि संगठन के नए ढांचे में जिला इकाई ही सबसे पावरफुल होगी। उन्हें अधिकार भी दिए जाएंगे और जिम्मेदारी भी तय होगी।
वरिष्ठ नेता गुटबाजी जल्द से जल्द खत्म करें
राहुल ने पॉलिटिकल अफेयर कमेटी की बैठक में ये बात कही। इस बैठक में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह समेत सभी बड़े नेता शामिल हुए थे। राहुल ने नसीहत दी कि गुटबाजी को जल्द से जल्द खत्म करें। अब से ये मेरा, ये तेरा नहीं चलेगा। अब नई कांग्रेस बनेगी।
इस दौरान राहुल ने किसी नेता का नाम नहीं लिया। मगर, माना जा रहा है कि राहुल ने पांच महीने पहले एक मीटिंग में हुई गुटबाजी की तरफ इशारा किया है। दरअसल, 26 जनवरी को कांग्रेस ने महू में जय भीम, जय संविधान रैली करने का फैसला किया था। इसकी तैयारियों से पहले पॉलिटिकल अफेयर कमेटी की एक मीटिंग हुई थी।
रेस वाला घोड़ा बनें, बारात वाला नहीं
ये बात राहुल गांधी ने जिला और ब्लॉक कांग्रेस के नेताओं के सम्मेलन में कही। राहुल ने कहा- आप में से कई ऐसे लोग होंगे, जो पूरी शक्ति के साथ, दिल के साथ कांग्रेस पार्टी के लिए काम करते हैं। ऐसे भी लोग होंगे, जो थोड़ा थक गए हैं या जिनका मूड ठीक नहीं है, जो ज्यादा टेंशन लिए हुए हैं।
अब रेस के घोड़े और बारात के घोड़े अलग करने ही पड़ेंगे। कमलनाथ ने मुझसे कहा कि कांग्रेस कभी-कभी रेस के घोड़े को बारात में भेज देती है और कभी-कभी बारात के घोड़े को रेस की लाइन में खड़ा कर देती है। मगर, एक तीसरी कैटेगरी भी है। वह है- लंगड़ा घोड़ा। हमें ये छांटना है कि लंगड़ा कौन सा है, रेस का कौन सा है और बारात का घोड़ा कौन सा है?
बारात वाले को बारात में भेजना है। रेस वाले को रेस में और लंगड़े वाले को रिटायर करना है। उसे ये भी कहना है कि भईया ये लो, थोड़ी सी घास खाओ, पानी पियो, रिलैक्स करो, बाकी लोगों को तंग मत करो, बाकी घोड़ों को डिस्टर्ब मत करो, नहीं तो फिर कार्रवाई करनी पड़ेगी।

बड़े नेताओं की परिक्रमा करना छोड़ें
राहुल गांधी ने जिला और ब्लॉक स्तर के नेताओं से कहा कि वे बड़े नेताओं के चक्कर लगाने या उनके समर्थक बनने की बजाय कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता बनें। उन्होंने कहा- गुजरात में हमने नए डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट चुने। दिल्ली के ऑब्जर्वर्स ने गुजरात के हर जिले में जाकर, सीनियर लीडर्स से बात कर नाम चुने और दिल्ली भेजे।
मैंने दोनों लिस्ट देखीं। दोनों में जमीन-आसमान का फर्क था। मुझे कहना नहीं चाहिए, मगर एक लिस्ट में सारे जिलाध्यक्ष सीनियर नेता के असिस्टेंट थे और दूसरी लिस्ट में पोटेंशियल, फ्यूचर गुजरात की लीडरशिप थी। मैं ये नहीं कहता कि पुराने जिलाध्यक्ष अच्छे नहीं थे। हम मध्यप्रदेश के भविष्य के लिए 55 लीडर्स को चुनना चाहते हैं, ये हमारे ऑब्जर्वर्स का काम है।
अनर्गल बयान देने वाले नेताओं पर कार्रवाई हो
राहुल गांधी ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की विचारधारा के कार्यकर्ता और नेताओं की कोई कमी नहीं है। ये हमारी सेना है, ये लड़ने के लिए तैयार है, ये मरने के लिए तैयार है, बीच में दो-तीन लोग उल्टे-सीधे बयान देते रहते हैं। कुछ लोग फ्रस्टेटेड होकर ऐसे बयान देते हैं। कुछ ऐसे हैं, जो थोड़ा बीजेपी का भी काम कर देते हैं। हमें कहीं न कहीं से तो शुरुआत करनी होगी।
राहुल ने किसी का नाम नहीं लिया मगर इशारा लक्ष्मण सिंह, दिग्विजय सिंह और अभय मिश्रा की तरफ था। दरअसल, पहलगाम आतंकी हमले के बाद लक्ष्मण सिंह ने राहुल गांधी और राबर्ट वाड्रा को लेकर कहा था कि दोनों भोले हैं, देश उनकी अपरिपक्वता के परिणाम भुगत रहा है। इस बयान पर केंद्रीय अनुशासन समिति ने उन्हें नोटिस जारी कर 10 दिन में जवाब मांगा था।