Operation Sindoor : अरे पहले देश को तो सच बता दो, फिर दुनिया को बता देंगे..

अरूण दीक्षित

केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने साहब की मर्जी की मुनादी कर दी है। उन्होंने देश और दुनिया को यह बता दिया है कि ऑपरेशन सिंदूर के मामले में भारत पाकिस्तान की “पोल” खोलेगा। वह घर घर (देश देश) जाकर यह बताएगा कि असलियत क्या है।इस काम के लिए देश के 51 सांसदों को चुना गया है।इनमें सभी दलों के सांसद शामिल हैं।कांग्रेस के शशि थरूर से लेकर अपने ही सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाने वाले भाजपा के निशिकांत दुबे और डी एम के की कनिमोझी से लेकर शिवसेना (उद्धव) की प्रियंका चतुर्वेदी तक इस काम के लिए चुने गए हैं।इन सांसदों के साथ और कितने लोग जाएंगे,ये कितने देशों में जाएंगे,इनके कितने जत्थे होंगे और उनका कौन नेता होगा,यह सारी जानकारी देश को दे दी गई है।इसलिए उस पर कोई सवाल करने का हक खत्म! हां इनके जाने जाने की तारीख अभी तय नहीं है।उसका ऐलान भी हो ही जाएगा।
सुना है कि कांग्रेस इस बात से नाखुश है कि उनके “प्ले बॉय” शशि थरूर को अमेरिका जाने वाले जत्थे का सदर क्यों मुकर्रर किया गया है। कांग्रेस कांग्रेस है वह खुश और नाखुश हो सकती है।अलग अलग और एक साथ!वह कुछ भी कर सकती है!कांग्रेस का यह भी दावा है कि उसने इस “पोल खोल अटैक” के लिए सरकार को अपने सांसदों की सूची दी थी।लेकिन हर बार की तरह मोदी ने मनमानी की।
  सबसे अहम सवाल है कि सेना के हमले के समय मोदी सरकार को बिना शर्त समर्थन देने वाली कांग्रेस ने अपने सांसदों को पाक पर हमले के लिए विदेश भेजने की हामी भरने से पहले मोदी से यह क्यों नहीं पूछा कि दूसरे देशों को बताने से पहले अपने देश को तो ऑपरेशन सिंदूर का सच बता दो।संसद का विशेष सत्र बुला कर सांसदों और देश को तो बता दो कि 6 मई की रात से लेकर दस मई की दोपहर बाद तक इस ऑपरेशन में क्या क्या हुआ?लड़ाई के नफा नुकसान पर तो बात होती रहेगी क्योंकि वह तो होता ही है।हारने वाले का भी और जीतने वाले का भी।
  लेकिन पाकिस्तान की जो पोल आप दूसरे मुल्कों के सामने खोलना चाहते हो वह अपनी संसद के सामने तो खोल दो।जिन सांसदों को आप अपना हरकारा बना कर भेज रहे हो ,उन्हें भी सच पता चल जाएगा फिर वे पूरी शिद्दत के साथ पाकिस्तान की पोल खोल पाएंगे!
  ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने इसकी मांग नहीं की थी।पहलगाम आतंकी हमले के बाद जब जम्मू कश्मीर की लंगड़ी विधानसभा का विशेष सत्र  बुलाया गया था और सदन में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने देश से माफी मांगी थी।उसके फौरन बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के सार्वभौम मुखिया राहुल गांधी ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र  लिखा था।यह अलग बात है कि हमेशा की तरह मोदी ने उनके पत्र पर गौर ही नहीं किया।
इस मुद्दे पर हुई सर्वदलीय बैठकों में भी मोदी शामिल नहीं हुए।यह काम उन्होंने अपने शागिर्दों से करवाया।आतंकी हमले का करारा जवाब देने का ऐलान भी उन्होंने चुनाव की ओर बढ़ रहे बिहार राज्य के मधुबनी  शहर में अर्धचुनावी सभा में किया।
  मान लिया, और यह ठीक भी है, कि संकट के समय सब साथ साथ हैं।पर अब तो संकट टल गया है।मोदी के प्रिय मित्र ने युद्ध विराम करा दिया है!अब तो संसद में इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए।हर नागरिक इस ऑपरेशन का सच जानने का हकदार है।उसे कम से कम यह तो पता होना ही चाहिए कि 22 अप्रैल 25 को आतंकियों ने जो खूनी खेल खेला उसके चलते देश की कितनी बहिनों का सिंदूर उजड़ा है।कितनी माताओं की कोख सूनी हो गई है।कितने बच्चे अनाथ हुए हैं।
सरकार के सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल भेजने के प्रस्ताव पर राहुल गांधी यह तो कह सकते थे कि पहले संसद को बताओ फिर दुनिया को बताएंगे।उसके बाद ही उनके सांसद हरकारा बन कर जाएंगे।अन्य विपक्षी दल भी उनसे सहमत होते।
  लेकिन राहुल एक चिट्ठी लिखकर भूल गए। मेरी तरह  किसी भी आम हिन्दुस्तानी  के मन में यह सवाल आना स्वाभाविक है कि जब संसद में बात नहीं हुई तो सासंद कैसे दुनिया के सामने पोल खोलेंगे।क्या वे “तोता रटन्त” करने जा रहे हैं? अगर दूसरे देश के सांसदों या जनप्रतिनिधियों ने यह सवाल पूछ लिया तो क्या उत्तर देंगे। क्या ऐसे में देश की जगहसाई नहीं होगी।(वैसे अकेले डोनाल्ड ट्रंप ने यह काम बखूबी कर दिया है)!इस पूरे मामले में दुनिया का एक भी देश खुल के भारत के समर्थन में आगे नहीं आया।यह भी आज की विदेश नीति का प्रमाण है।
राहुल चाहते तो यह सवाल कर सकते थे।अभी भी समय है।कर सकते हैं सवाल।कह सकते हैं कि संसद का सत्र बुलाओ और पहले देश को बताओ।फिर दुनिया को सब साथ मिल कर बताएंगे!
  क्योंकि अभी सांसदों के नाम तय हुए हैं।उनके जाने की तारीख तय नहीं हुई है।ऐसे में एक दिन का संसद सत्र आराम से बुलाया जा सकता है।
यह सच है कि मोदी से उनके लोग सवाल नहीं कर सकते…लेकिन राहुल क्यों मौन हैं?क्या उनके ही लोग उन्हें ऐसा करने से रोक रहे हैं?
जानना चाहता है भारत!
Country want’s to know!!!!

18 मई 2025

फेसबुक वाल से साभार

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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