Editorial
शाबास नीरज… तुम गोल्डन बाय हो

उम्मीद तो गोल्ड मैडल की थी। लेकिन सिल्वर भी कम नहीं। देश के लिए पहला रजत पदक। बधाई ही नहीं, बहुत बहुत बधाई के पात्र हैं नीरज चौपड़ा। कल जब पेरिस ओलिंपिक के जेवलिन थ्रो इवेंट में नीरज चोपड़ा का नंबर आया, तो पहले थ्रो में फाउल हो गया। शायद नीरज का पांव भी मुड़ गया। इसे भारतीय भाषा में दुर्भाग्य कहा जाता है। तमाम लोगों ने तो अपने टीवी-मोबाइल बंद ही कर दिए और प्रार्थना करने लगे कि भगवान एक गोल्ड तो देश के खाते में डाल दो।
ऐसा नहीं हो सका। नीरज केवल एक थ्रो सही लगा पाए, और इसमें ही उन्होंने सिल्वर मैडल हासिल कर लिया। 26 साल के नीरज ने 89.45 मीटर दूर भाला फेंका और दूसरा स्थान हासिल किया। इसी के साथ नीरज लगातार दो ओलिंपिक में मेडल जीतने वाले भारत के तीसरे ही प्लेयर बने। नीरज से पहले रेसलर सुशील कुमार और शटलर पीवी सिंधु ने लगातार दो ओलिंपिक में मेडल जीते थे। कुछ भी हो, देश के खाते में एक सिल्वर तो मिला। पहला सिल्वर। विनेश से भी दुर्भाग्य ने गोल्ड छीन लिया। नीरज ने देश को थोड़ी राहत का अहसास दिलाया।
नीरज ने जेवलिन थ्रो की शुरुआत 2010 में 12 साल की उम्र में की। साई पानीपत में अक्षय चौधरी नीरज के पहले कोच बने थे। अक्षय इस बात से बहुत प्रभावित थे कि नीरज इतनी कम उम्र में बिना किसी ट्रेनिंग के 40 मीटर दूर जेवलिन फेंक लेते थे। चौधरी ने करीब 1 साल तक नीरज को ट्रेनिंग दी। इसके बाद वे ताउ देवीलाल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स पंचकुला चले गए। पंचकुला में नसीम अहमद ने नीरज को कोचिंग दी। उन्होंने नीरज को जेवलिन के साथ-साथ लॉन्ग डिस्टेंस रनिंग की ट्रेनिंग भी, ताकि उनके अंदर और भी ज्यादा स्टैमिना और एंड्योरेंस डेवलप हो।
पंचकुला में नीरज ने तीन बार के ओलिंपिक चैंपियन चेकोस्लोवाकिया के जान जेलेनी के वीडियो देखना शुरू किए। उनकी स्टाइल की कॉपी भी की। इससे पहले वे नियमित तौर पर 55 मीटर थ्रो करते थे। इसके बाद उन्होंने 10 मीटर से ज्यादा का इजाफा किया। 2012 में नीरज ने लखनऊ में 68.40 मीटर थ्रो के साथ गोल्ड जीता। नीरज का इंटरनेशनल करियर 2013 में शुरू हुआ। तब उन्होंने यूक्रेन में वल्र्ड यूथ चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था। उन्होंने अपना पहला इंटरनेशनल मेडल 2014 में बैंकॉक में हुए यूथ ओलिंपिक क्वालिफिकेशन में जीता। तब उन्होंने सिल्वर जीता। 2014 के सीनियर नेशनल में नीरज ने पहली बार 70 मीटर का मार्क पार किया।
2015 में नीरज ने पहली बार 80 मीटर से ऊपर का थ्रो किया। उन्होंने 81.04 मीटर का थ्रो किया। यह जूनियर कैटेगरी में वल्र्ड रिकॉर्ड थ्रो था। 2016 में नीरज पंचकुला में सीनियर कैंप में शामिल किए गए। 14 अगस्त 2016 का दिन। भारतीय जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने पोलैंड में अंडर-20 वल्र्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 86.48 मीटर के थ्रो के साथ गोल्ड जीता था। खास बात यह कि उसी समय रियो ओलिंपिक चल रहा था और वहां मेंस जेवलिन थ्रो में ब्रॉन्ज जीतने वाले एथलीट का बेस्ट थ्रो 86.48 से कम था। रियो में त्रिनिदाद के कीशोर्न वालकोट ने 85.38 मीटर थ्रो फेंक कर ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
जूनियर और सीनियर सर्किट में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद नीरज ने टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई किया। पहले ही ओलिंपिक में उन्होंने 87.58 मीटर का जेवलिन थ्रो फेंका और गोल्ड मेडल जीत लिया। 2022 के वल्र्ड फाइनल में सिल्वर और 2023 में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इसी दौरान स्टॉकहोम डायमंड लीग में उन्होंने 89.94 मीटर थ्रो फेंका और नेशनल रिकॉर्ड बनाया, यह नीरज का भी पर्सनल बेस्ट रहा।
भारत के नीरज चोपड़ा और पाकिस्तान के अरशद नदीम 2016 से जूनियर लेवल पर एक दूसरे का सामना कर रहे हैं। दोनों में तब से ही गहरी दोस्ती है। 2016 के साउथ एशियन गेम्स में नीरज पहले और नदीम तीसरे नंबर पर रहे। टोक्यो ओलिंपिक तक दोनों 7 बार भिड़े, हर बार नीरज ने बाजी मारी। टोक्यो में नदीम 5वें नंबर पर रहे थे। पेरिस ओलिंपिक से पहले दोनों वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 2 बार आमने-सामने हुए। 2022 में नीरज दूसरे और नदीम 5वें नंबर पर रहे। 2023 में नदीम करीब पहुंचे और दूसरे नंबर पर रहे, लेकिन यहां भी नीरज ने बाजी मारी और पहला स्थान हासिल कर लिया। पेरिस ओलिंपिक में नदीम और नीरज दोनों का पहला प्रयास फाउल रहा। दूसरे अटेम्प्ट में नदीम ने ओलिंपिक रिकॉर्ड तोड़ा और 92.97 मीटर दूर भाला फेंककर मेडल कन्फर्म कर लिया। नीरज ने अपने दूसरे अटेम्प्ट में 89.45 मीटर की दूरी तय की और सेकेंड पोजिशन हासिल की। इसके बाद नीरज के सभी थ्रो फाउल रहे।
नीरज चोपड़ा ने फाइनल के बाद कहा, मैं अरशद के साथ 2016 से कॉम्पिटिशन कर रहा हूं, लेकिन पहली बार ही उनसे हार मिली। कोई बात नहीं नीरज। तुमने  देश को पहला सिल्वर मैडल तो दिलाया। हमें ही नहीं, पूरे देश को तुम पर गर्व है। तुम पहले भी हीरो थे, आज भी हीरो हो। करोड़ों लोगों की दुआएं और शुभकामनाएं तुम्हारे साथ हैं। तुम असल गोल्डन बाय हो।
– संजय सक्सेना

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