Editorial:
शेयर बाजार में फिर हाहाकार

दो दिन के अवकाश के बाद आज जैसे ही बाजार खुला शेयर बाजार में हाहाकार मच गया। घरेलू शेयर बाजार में हफ्ते के पहले दिन भारी गिरावट दिख रही है। सुबह सवा 9 बजे बीएसई सेंसेक्स 3900 अंक यानी 4.09 प्रतिशत गिरकर 72,296 पर आ गया। निफ्टी 50 भी 1,146 अंक यानी 5 प्रतिशत गिरकर 21,758 पर आ गया। इस गिरावट से बीएसई में लिस्टेड सभी कंपनियों का मार्केट कैप 19.4 लाख करोड़ रुपये घटकर 383.95 लाख करोड़ रुपये रह गया। लगभग सभी सेक्टर में गिरावट देखने को मिली है। निफ्टी मेटल 8 प्रतिशत और निफ्टी आईटी 7 प्रतिशत से ज्यादा गिर गया। निफ्टी ऑटो, रियल्टी और ऑयल एंड गैस में भी 5 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई। छोटे और मझोले आकार की कंपनियों के शेयरों में भी भारी गिरावट हुई। स्मॉल-कैप इंडेक्स 10 प्रतिशत और मिड-कैप इंडेक्स 7.3 प्रतिशत तक गिर गया। दूसरे एशियाई बाजारों में भी भारी गिरावट आई है। हॉन्ग कॉन्ग के हेंग सेंग में 2008 के वित्तीय संकट के बाद एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट आई है। चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया में भी भारी गिरावट आई है।
नैस्डैक इंडेक्स में शुक्रवार को भारी गिरावट आई। यह अपने हाल के शिखर से 20 प्रतिशत से ज्यादा गिर गया। भारतीय शेयर बाजार भी दुनिया के बाकी बाजारों की तरह ही गिर गया। एशिया के ज्यादातर बाजारों में गिरावट देखने को मिली. जापान का निक्केई 7 प्रतिशत, दक्षिण कोरिया का कोस्पी 5 प्रतिशत और चीन का ब्लू-चिप इंडेक्स लगभग 7 प्रतिशत गिर गया। हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स तो 10.5 प्रतिशत से भी ज्यादा गिर गया। अमेरिका के शेयर बाजार में भी गिरावट का डर है। नैस्डैक वायदा 4 प्रतिशत और एस&पी 500 वायदा 3.1 प्रतिशत नीचे कारोबार कर रहा था। यूरोप के बाजारों में भी गिरावट देखने को मिली।
बाजार के जानकारों का मानना है कि अब लोगों को महंगाई से ज्यादा मंदी का डर है। अमेरिका में मार्च महीने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े आने वाले हैं। अनुमान है कि इसमें 0.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। लेकिन लोगों को डर है कि टैक्स की वजह से खाने-पीने की चीजों से लेकर कारों तक, हर चीज महंगी हो जाएगी। कंपनियों को भी डर है कि उनकी कमाई कम हो जाएगी। लगभग 87 प्रतिशत अमेरिकी कंपनियां 11 अप्रैल से 9 मई के बीच अपने नतीजे घोषित करने वाली हैं। सबसे पहले बड़े बैंक अपने नतीजे बताएंगे।
फाइनेंशियल कॉमेंटेटर और सीएनबीसी के शो मैड मनी के होस्ट जिम क्रैमर की चेतावनी के बाद भारतीय बाजार 4 प्रतिशत गिरकर कारोबार कर रहे हैं। क्रेमर ने दो दिन पहले कहा था कि अमेरिकी बाजार में 1987 जैसा ब्लैक मंडे आ सकता है। क्रैमर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से दुनियाभर के देशों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ को इसकी वजह बताया है। क्रैमर ने कहा- अगर ट्रम्प नियमों का पालन करने वाले देशों को राहत नहीं देते हैं, तो 1987 का परिदृश्य- तीन दिन की गिरावट और फिर सोमवार को 22 प्रतिशत की गिरावट- सबसे संभावित है। हमें यह जानने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सोमवार तक यह पता चल जाएगा। और आज उनकी भविष्यवाणी सच साबित हो गई।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाये गये रेसिप्रोकल टैरिफ से डर फैल गया है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था धीमी हो सकती है। टैरिफ की खबर से निवेशकों को झटका लगा और उन्होंने शेयर बेचना शुरू कर दिया। फेड रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि ये टैक्स उम्मीद से ज्यादा बड़े हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे महंगाई बढ़ सकती है और आर्थिक विकास भी धीमा हो सकता है। इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है और निवेशकों ने शेयर बाजार से पैसा निकालना शुरू कर दिया है। यह स्थिति कब तक चलेगी? या घट-बढ़ होती रहेगी, इस बारे में कोई भी विशेषज्ञ दावा नहीं कर पा रहा है। लेकिन यह जरूर कहा जा रहा है कि ट्रंप के कारण न केवल अमेरिका को भुगतना पड़ेगा, अपितु दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचने की आशंका बलवती हो गई है।


