Editorial
बांग्लादेश की अस्थिरता और भारत

शेख हसीना के देश छोडऩे और संसद भंग होने के बाद गुरुवार को बांग्लादेश में नई अंतरिम सरकार बनी है, लेकिन अराजकता का दौर जारी है। हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं और जिन छात्रों ने आंदोलन की शुरुआत की थी, वो अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं। अंतरिम सरकार के मुखिया एक तरफ तो भारत द्वारा शेख हसीना को पनाह देने पर आपत्ति जता रहे हैं, दूसरी तरफ कह रहे हैं भारत से बेहतर संबंध रखेंगे। वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी ने शेख हसीना के मुद्दे पर भारत की सीधे-सीधे आलोचना की है।
सेना के समर्थन से नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की अगुवाई में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। बांग्लादेश में जारी अराजकता के बीच साल के यूनुस को राष्ट्रपति मुहम्मद शहाबुद्दीन ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। यूनुस के शपथ ग्रहण में भारत के राजदूत भी शामिल हुए। मुहम्मद यूनुस के अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको बधाई दी है। नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश में जल्द ही सामान्य स्थिति बहाल होने की उम्मीद जताते हुए कहा कि भारत दोनों देशों के लोगों की साझा आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बांग्लादेश के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी यानि बीएनपी ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की नेता शेख हसीना को शरण देने के भारत के फैसले पर नाराजगी जाहिर की है। खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बीएनपी ने शुक्रवार को कहा कि शेख हसीना के ढाका से भागने के बाद भारत में जिस तरह से उनकी मेजबानी की गई, वो चिंता को बढ़ाने वाला है। पार्टी ने कहा कि भारत फिर से हसीना की सत्ता में वापसी चाहता है और इसके लिए उनको समर्थन कर रहा है, ये ठीक नहीं है। खालिदा जिया बांग्लादेश की राजनीति में बीते कई दशक से शेख हसीनी की मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं।
एक अखबार से चर्चा करते हुए बीएनपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री गेयेश्वर रॉय ने कहा कि हमारी पार्टी बांग्लादेश और भारत के बीच आपसी सहयोग का समर्थन करती है लेकिन जब आप हमारे दुश्मन यानि शेख हसीना की मदद करते हैं तो उस आपसी रिश्ते का सम्मान करना मुश्किल हो जाता है। रॉय ने सवाल किया कि क्या भारत को सिर्फ एक पार्टी को बढ़ावा देना चाहिए या फिर पूरे देश से उनका संबंध होना चाहिए। रॉय ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के लोगों को एक-दूसरे से कोई समस्या नहीं है लेकिन भारत पूरे देश के बजाय किसी एक पार्टी और नेता को बढ़ावा क्यों दे रहा है। बांग्लादेश की एक नेता और राजनीतिक पार्टी से भारत को इतना लगाव क्यों है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया बने डॉ. मोहम्मद यूनुस ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत में रुकने पर बयान दिया है। शपथ लेने के लिए बांग्लादेश पहुंचने से पहले एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि शेख हसीना का भारत में रहना उचित नहीं है। बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने यूनुस और अंतरिम सरकार के सदस्यों को गुरुवार को शपथ दिलाई है। इसके पहले कई सप्ताह तक चले छात्रों के उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और देश छोडक़र भाग गई थीं। हसीना के देश छोडऩे के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई है, जिसमें अल्पसंख्यक हिंदुओं को खास तौर पर निशाना बनाया गया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, शेख हसीना फिलहाल भारत में सुरक्षित स्थान पर रह रही हैं। रिपोर्टों के अनुसार, शेख हसीना भारत में अपना प्रवास बढ़ा सकती हैं, क्योंकि ब्रिटेन में उनके जाने और शरण लेने के रास्ते में बाधा आ गई है। रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन ने सीधे शरण देने से इनकार किया है और इसके लिए नियमों के तहत आवेदन करने को कहा है। यह मामला भारत के लिए उलझन से भरा साबित हो सकता है।
इस बीच वॉशिंगटन में रह रहे शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने कहा है कि बांग्लादेश में लोकतंत्र बहाल होते ही उनकी मांग अपने देश लौटेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश में हिंसा फैलाने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है। पीटीआई-भाषा के साथ गुरुवार को एक विशेष साक्षात्कार में जॉय ने कहा कि हसीना निश्चित रूप से बांग्लादेश लौटेंगे, हालांकि अभी यह तय नहीं है कि वह रिटायर नेता के रूप में लौटेंगी या सक्रिय नेता के रूप में। उन्होंने यह भी कहा कि शेख मुजीबुर रहमान के परिवार के सदस्य न तो अपने लोगों को छोड़ेंगे और न ही संकटग्रस्त अवामी लीग को बेसहारा छोड़ेंगे।
कुछ भी हो, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को सबसे पहले देश में चल रही हिंसा और उपद्रव को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। भारत के लिए वहां की अराजकता का दौर ठीक नहीं। हजारों शरण लेने के लिए भारत की सीमाओं पर पहुंंच रहे हैं। उन्हें वापस करना पड़ रहा है। हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं, हिंदू भी पलायन करना चाह रहे हैं। हालांकि ङ्क्षहदू जागरण मंच ने बाकायदा प्रदर्शन करके देश न छोडऩे का संकल्प दोहराया है और अंतरिम सरकार से हिंदुओं की सुरक्षा की मांग की है। फिलहाल बांग्लादेश में स्थिरता और शांति स्थापना वहां के हित में भी है और भारत के हित में भी।
जहां तक हसीना को फिलहाल शरण देने और उनकी सुरक्षा का मुद्दा है, यह भारत की मजबूरी है। कब तक रख पाता है, नहीं कहा जा सकता। लेकिन यह मामला दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बन सकता है।
– संजय सक्सेना

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