CPA to CM Rise School… शिव राज के फैसले पलटते मोहन…

संजय सक्सेना
भारतीय जनता पार्टी की सरकारें केवल कांग्रेस कार्यकाल के फैसले या शहरों-मोहल्लों के नाम ही नहीं बदल रही हैं, अपितु अपनी ही पार्टी के फैसलों को भी बदलने में माहिर होती जा रही हैं। इसका बड़ा उदाहरण मध्यप्रदेश में देखने को मिल रहा है। वर्तमान मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने आज मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एक और बड़े फैसले को बदल दिया है। शिवराज द्वारा स्थापित सीएम राइज स्कूल अब महर्षि सांदीपनि स्कूल कहलाएंगे। इनकी शुरुआत जुलाई 2023 में शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री के तौर पर की थी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि सीएम राइज स्कूल का नाम ऐसा लगता था, जैसे अंग्रेजों के जमाने का हो। इसलिए हम इसे बदलकर सांदीपनि ऋषि के नाम पर कर रहे हैं।
असल में
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लगभग सवा साल के कार्यकाल में शिवराज सिंह चौहान के कई बड़े फैसले पलटेे हैं। कुछ प्रमुख पलटे हुए फैसले-
सीपीए यानि राजधानी परियोजना प्रशासन को बहाल किया
भोपाल की सडक़ों और विकास के अन्य कार्यों को लेकर गठित राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौाहन ने 2022 में खत्म कर दिया था। उन्होंने यह निर्णय तब लिया था जब राजधानी की सडक़ें गड्ढे में तब्दील हो रही थी और सरकार की फजीहत हो रही थी। नई सरकार में राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) की जरूरत फिर से महसूस होने लगी। डॉ. मोहन यादव ने फिर से इसे गठित करने का निर्णय लिया।
एमपी गान पर खड़ा होना बंद कराया
सरकारी कार्यक्रम में राष्ट्रगान की तरह एमपी गान पर भी खड़ा होना तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में अनिवार्य किया गया था। इसके बाद सभी सरकारी कार्यक्रमों में एमपी गान बजने लगा था। वहीं, जब मोहन यादव मुख्यमंत्री के रूप में राजधानी में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे तो उनके सामने भी एमपी गान पर लोग खड़े हुए, लेकिन मोहन यादव खड़े नहीं हुए। साथ ही खड़े हुए लोगों को भी उन्होंने बिठवा दिया और कहा कि राष्ट्रगान सबसे बड़ा है तो फिर एमपी गान पर खड़े होने की जरूरत नहीं है।
बीआरटीएस कॉरिडोर हटवाया
केंद्र सरकार के सहयोग से शिवराज सरकार के समय बनाए गए बीआरटीएस कॉरिडोर को मोहन यादव ने हटाने का निर्णय लिया। सबसे पहले भोपाल में बने पूरे बीआरटीएस कॉरिडोर को हटा दिया। इसके कुछ महीने बाद इंदौर से भी बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने की मांग चल रही थी। नवंबर में सीएम ने इंदौर दौरे के दौरान इसकी घोषणा कर दी। हालांकि, इंदौर का मामला कोर्ट में भी चल रहा है, लेकिन सीएम ने कहा कि हम कोर्ट में जवाब देंगे।
दो विभागों को एक करने का फैसला
सीएम डॉ.यादव ने सत्ता संभालने के बाद ही अपनी मंशा जाहिर कर दी थी। इसी तारतम्य में उन्होंने स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभागों को मर्ज कर दिया है। अब ये दोनों विभाग एक हो गए हैं। शिवराज सरकार में ये दोनों विभाग अलग-अलग थे। इस बदलाव के पीछे तर्क यह दिया गया है कि दोनों विभाग अलग होने से पूरी मशीनरी अलग काम करती थी। इसी के साथ केंद्र की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में भी तकनीकी रूप से दिक्कतें होती थीं, अब हेल्थ और मेडिकल हेल्थ डिपार्टमेंट संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। इससे कामकाज में तेज आई है।
राज्य परिवहन निगम फिर से शुरू करने की कवायद
शिवराज सिंह चौहान के समय ही राज्य परिवहन निगम को भी बंद कर दिया गया था। इसकी वजह से प्रदेश का पूरा शहरी और ग्रामीण परिवहन निजी हाथों में चला गया और सरकारी बसें बंद हो गईं। हालांकि, यह निर्णय पहले ही हो गया था, लेकिन परिवहन निगम शिवराज के कार्यकाल में ही बंद हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ग्रामीण इलाकों में परिवहन की दिक्कतों को देखते हुए परिवहन निगम को फिर से चलाने का फैसला लिया है।


