Old Penshion शंखनाद रैली: देशभर से सरकारी कर्मचारी दिल्ली पहुंचे
नई दिल्ली। दिल्ली के रामलीला मैदान में नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के बैनर तले रविवार को पेंशन शंखनाद महारैली में आयोजित की गई। इस रैली में भाग लेने के लिए देशभर से सरकारी कर्मचारी दिल्ली पहुंचे थे। पेंशन शंखनाद रैली को संबोधित करने के लिए जो मंच तैयार किया गया था, वहां पर ‘सीएपीएफ’ जवान ड्यूटी पर थे। विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने मुस्तैद जवानों को देखकर कहा, ये जवान देश की हर तरह से सुरक्षा करते हैं। आतंकी व नक्सली हमलों का मुंहतोड़ जवाब, प्राकृतिक आपदा में देवदूत बनना, निष्पक्ष चुनाव कराना, कानून व्यवस्था बनाए रखना और अन्य तरीके से लोगों की मदद, ये सब काम सीएपीएफ जवान करते हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस साल 11 जनवरी को ‘सीएपीएफ’ में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने का फैसला सुनाया तो केंद्र सरकार, उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चली गई। वहां से स्थगन आदेश ले लिया गया। इस तरह से ‘पुरानी पेंशन’ के लिए सीएपीएफ की जीती हुई लड़ाई को हार में तबदील कर दिया गया।
आठ सप्ताह में पुरानी पेंशन लागू करने की बात
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में ‘पुरानी पेंशन’ लागू करने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने 11 जनवरी को दिए अपने फैसले में कहा था कि ‘सीएपीएफ’ में आठ सप्ताह के भीतर पुरानी पेंशन लागू कर दी जाए। अदालत की वह अवधि होली पर खत्म हो चुकी थी। केंद्र सरकार, उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ, सुप्रीम कोर्ट में तो नहीं गई, मगर अदालत से 12 सप्ताह का समय मांग लिया। खास बात ये रही कि केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष जो दलील दी, उसमें 12 सप्ताह में ‘ओपीएस’ लागू करने की बात नहीं कही। इस मुद्दे पर महज सोच-विचार के लिए समय मांगा गया था। मतलब, इस अवधि में केंद्र सरकार, दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी जा सकती है या कानून के दायरे में कोई दूसरा रास्ता भी अख्तियार कर सकती है। केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में दी अपनी याचिका में ये सब अधिकार अपने पास सुरक्षित रखे थे।
सीएपीएफ पेंशन बन सकता है चुनावी मुद्दा
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों ‘सीएपीएफ’ में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने जो अहम फैसला दिया था, उसके खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्टे ले लिया। रणबीर सिंह ने कहा, यह कदम आने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनावों पर भारी असर डालेगा। इतना ही नहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। पूर्व एडीजी एचआर सिंह ने सरकार को याद दिलाया है कि किस तरह महज एक प्रतिशत वोट के अंतर से हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सत्ता खिसक गई। हिमाचल के विधानसभा चुनाव में ‘ओपीएस’ एक बड़ा मुद्दा बना था। कर्नाटक चुनाव में भी ओपीएस ने रंग दिखाया था। देश में 20 लाख पैरामिलिट्री परिवार व उनके पड़ोसी, रिश्तेदार एवं चाहने वाले, जिनकी आबादी पांच प्रतिशत है, यह संख्या चुनाव में महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका अदा करेगी।