NGT ने नगर निगम भोपाल पर लगाया 121 करोड़ का जुर्माना, मुख्य सचिव फिर कठघरे में, नगर निगम आयुक्त भी निशाने पर, मामला प्रदूषण का
भोपाल। एनजीटी यानि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने एक और प्रकरण में मध्य प्रदेश के अधिकारियों को लापरवाही हेतु जिम्मेदार का दोषी ठहराया है।राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं टेक्निकल मेंबर की बेंच ने आदेश पारित किया है कि मप्र के मुख्य सचिव ने 10 माह पूर्व कमिटमेंट किया था कि सीवेज ट्रीटमेंट हेतु 9688 करोड़ रुपए का एलोकेशन (आवंटन) मध्य प्रदेश शासन के द्वारा किया गया है और उक्त राशि का उपयोग पर्यावरण संरक्षण एवं जल संरक्षण हेतु किया जाएगा परंतु हरित प्राधिकरण ने यह पाया कि मुख्य सचिव के द्वारा 10 महीनों में उक्त राशि का आवंटन मात्र कागजों पर ही किया गया। इसमें 1 पैसा भी निर्धारित खाते में जमा नहीं किया गया, जिससे कि उसका उपयोग पर्यावरण संरक्षण हेतु किया जा सके।
उक्त आदेश में हरित प्राधिकरण ने यह पाया कि मप्र शासन एवं नगर निगम भोपाल के अधिकारियों द्वारा पर्यावरण संरक्षण एवं कानून के प्रावधानों की लगातार अनदेखी की जा रही है। लिहाजा, इस आधार पर नगर निगम भोपाल पर अभी तक किया गए उल्लंघनों हेतु रुपए 121 करोड़ का जुर्माना लगाया है और जब तक सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर पानी में सीवर को जाने से रोके जाने तक जुर्माना स्वरूप प्रति माह रुपए 01.21 करोड़ जमा करना होगा।
इसी के साथ हरित प्राधिकरण ने आयुक्त नगर निगम भोपाल को भी उक्त उल्लंघन हेतु जिम्मेदार मानते हुए इसे आपराधिक कृत्य मानते हुए उनके ऊपर अपराधिक प्रकरण न्यायालय में दर्ज करने का आदेश दिया गया है।
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने ट्वीट के माध्यम से ये जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि जब मुख्य मंत्री और मुख्य सचिव अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना बंद कर देते हैं तो न्यायालय को हस्तक्षेप करना ही पड़ रहा है। इस महत्वपूर्ण आदेश ने सरकार के प्रचारवादी चरित्र को उजागर कर दिया है…।