Justice : निरर्थक मुकदमेबाजी से हो रही देश के संसाधनों की बर्बादी; ऐसा क्यों बोलीं जस्टिस बीवी नागरत्ना

भुवनेश्वर। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने सरकारी संस्थानों को फटकार लगाते हुए कहा कि वे अक्सर ऐसे मुकदमों में संसाधन खर्च करते हैं, जिनकी सफलता की कोई संभावना नहीं होती। उन्होंने कहा, “अगर सरकारी संस्थान बेवजह एक के बाद एक मुकदमा दायर करते रहेंगे, तो देश के संसाधन बर्बाद होंगे और न्यायालय का समय भी व्यर्थ जाएगा।”

भुवनेश्वर में 27 सितंबर को आयोजित एक सम्मेलन में बोलते हुए जस्टिस नागरत्ना ने वकीलों से खुद को मानव संघर्ष के उपचारक के रूप में देखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि संसद द्वारा पारित मेडिएशन एक्ट, 2023 न्याय तक पहुंच को आसान बनाने और अदालतों का बोझ घटाने का महत्वपूर्ण कदम है।

उन्होंने इस भ्रांति को खारिज किया कि मध्यस्थता (मेडिएशन) न्याय का कमजोर रूप है। उनके अनुसार, यह न्याय पाने का समयबद्ध, सुलभ और समान तरीका है। जस्टिस नागरत्ना ने कई सुझाव भी दिए। पर्यावरण विवादों के लिए ग्रीन मीडिएटर, स्वास्थ्य मामलों में पेशेंट एडवोकेसी ग्रुप्स, बौद्धिक संपदा विवादों के लिए WIPO जैसी प्रणाली, स्टार्टअप समझौतों में अनिवार्य मेडिएशन क्लॉज और किशोर मामलों में ट्रॉमा-इन्फॉर्म्ड मीडिएटर द्वारा पीड़ित-अपराधी मध्यस्थता।

वहीं, पूर्व एडवोकेट जनरल बीरेन्द्र सराफ ने कॉमर्शियल कोर्ट्स एक्ट की धारा 12-ए के तहत प्री-लिटिगेशन मेडिएशन की विफलता पर कड़ा सवाल उठाया। जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह ने “मेडिएशन डिवाइड” को कम करने की जरूरत बताई, विशेषकर मेट्रो शहरों और ग्रामीण जिलों के बीच। उन्होंने वकालत शिक्षा में मेडिएशन को शामिल करने की भी वकालत की।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया ने पर्यावरण और विकास संबंधी विवादों जैसे भूस्खलन, बांध विस्थापन और प्रदूषण पर राज्य, कॉर्पोरेट और नागरिकों के बीच सहयोग से समाधान की आवश्यकता जताई। जस्टिस जयनाथ बनर्जी ने कहा कि किसी भी समझौते की ताकत उसकी स्पष्टता और लागू करने की क्षमता में है। उन्होंने चेतावनी दी कि अधकचरे या कम प्रशिक्षित मीडिएटर जनता का विश्वास खो देंगे।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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