Supreme Court : सरकारी आवास हमेशा के लिए नहीं रख सकते, SC ने पूर्व MLA को लताड़ा, चंद्रचूड़ तक से मांग लिया बंगला

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि कोई भी व्यक्ति सरकारी आवास को अनिश्चितकाल तक अपने कब्जे में नहीं रख सकता। कोर्ट ने इस संदर्भ में बिहार के एक पूर्व विधायक को राहत देने से इनकार कर दिया। सरकारी आवास को लेकर यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब शीर्ष अदालत ने अपने ही पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ के आधिकारिक आवास को खाली कराने की प्रक्रिया शुरू की थी। यहाँ उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक सरकारी आवासों में जमे हुए हैँ।

अदालत ने बिहार के पूर्व विधायक अविनाश कुमार सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने पटना के टेलर रोड स्थित सरकारी बंगले में दो साल तक अवैध रूप से रहने के एवज में 21 लाख रुपये का पेनल रेंट भरने से राहत मांगी थी। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन वी अंजनिया की पीठ के समक्ष अविनाश कुमार सिंह पेश हुए। सिंह ने अप्रैल 2014 से मई 2016 तक सरकारी बंगले में बने रहने के बाद मिले 21 लाख रुपये के किराए के नोटिस को ‘अवैध और भारी भरकम’ बताया।

पूर्व विधायक का तर्क था कि उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद ‘राज्य विधानमंडल शोध एवं प्रशिक्षण ब्यूरो’ में नामांकन पाया था और 2009 की एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार इस ब्यूरो के सदस्यों को विधायक स्तर की सुविधाएं मिलनी चाहिए, जिसमें सरकारी आवास भी शामिल है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा, “एक बार जब आप विधायक पद से इस्तीफा दे चुके थे, तब तय समयसीमा के भीतर आपको सरकारी आवास खाली कर देना चाहिए था। कोई भी व्यक्ति अनिश्चितकाल तक सरकारी बंगला अपने पास नहीं रख सकता।”

सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर अडिग
सिंह के वकील अनिल मिश्रा ने अदालत से आग्रह किया कि दो वर्षों के लिए 21 लाख रुपये का किराया अत्यधिक है और इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच अपने रुख पर अडिग रही, जिसके बाद याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेनी पड़ी और उन्हें कानून के तहत अन्य उपलब्ध उपाय अपनाने की अनुमति दी गई। बता दें कि सिंह पांच बार ढाका विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। उन्होंने मार्च 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए विधायक पद से इस्तीफा दिया था, परंतु चुनाव हार गए थे। इसके बाद उन्हें उक्त ब्यूरो में नामित किया गया।

इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने भी सिंह की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि 2009 की अधिसूचना उन्हें उसी सरकारी बंगले में रहने की अनुमति नहीं देती। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था, “यह अधिसूचना केवल सामान्य सुविधाएं प्रदान करती है, पूर्व विधायक को उसी पूर्व आवंटित आवास में बने रहने का अधिकार नहीं देती।”

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