Editorial
घोटाले में घोटाला..सीबीआई अफसर भी जेल पहुंचे..एजेंसी की साख फिर दांव पर…

व्यापमं घोटाले का हश्र तो सभी को मालूम है। दर्जनों निर्दोषों की मौतों और सैकड़ों युवाओं का भविष्य बर्बाद करने के साथ ही तमाम लोगों को जेल में डाले जाने के बावजूद असल किरदार आज तक पकड़ में नहीं आ सके। लेकिन नर्सिंग घोटाले ने अचानक नया मोड़ ले लिया है। इस घोटाला प्रदेश में यह नया घोटाला नहीं है। और यह भी कोई चौंकाने वाली बात नहीं है कि जांच करने वाले ही रिश्वत लेते पकड़े गए। वो भी घोटाले का हिस्सा बन गए, असल बात यह है कि इस मामले के कई असल किरदार सार्वजनिक हो गए। जो व्यापमं में नहीं हो पाया था। सीबीआई कैसे जांच करती है, इसके दो इंस्पेक्टरों ने साबित कर दिया।
पहले उस खबर पर नजर डालते हैं, जो कल से चल रही है। प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज घोटाले की जांच में जुटे सीबीआई के दो इंस्पेक्टर समेत तेरह आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद इस मामले में कई खुलासे हो रहे हैं। आरोपी रिश्वत के लेन देन में छाछ गिलास, अचार की बरनी जैसे विशेष कोडवर्ड का इस्तेमाल कर रहे थे। पैसा उठाने वाले को कैरियर, लाखों रुपए को अचार की बरनी और रुपयों की गिनती किलो आम कहते थे। फिलहाल सीबीआई सभी आरोपियों को पूछताछ के लिए दिल्ली लेकर गई है। इससे पहले 13 में से 12 आरोपियों को रविवार और सोमवार को कोर्ट में पेश किया गया। जहां से आरोपियों को 29 मई तक रिमांड पर भेजा गया।
सीबीआई विजिलेंस टीम ने मध्यप्रदेश में भोपाल, इंदौर और रतलाम के अलावा राजस्थान के जयपुर में 31 ठिकानों पर छापेमारी कर सीबीआई के तीन अधिकारियों समेत 23 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। यहां से कुल 2.33 करोड़ नकद के अलावा चार सोने के बिस्किट और 36 डिजिटल डिवाइज बरामद की गई है। आरोपियों से 150 से अधिक अनाधिकृत दस्तावेज भी मिले हैं। सीबीआई अफसरों के मुताबिक सीबीआई भोपाल ने हाईकोर्ट के निर्देश पर नर्सिंग कॉलेजों की जांच के लिए सात कोर टीम और चार सपोर्टिंग टीम बनाई थीं।
सीबीआई की विजिलेंस टीम को शिकायत मिली थी कि सीबीआई के इन्सपेक्टर राहुल राज समेत अन्य सीबीआई अधिकारी रिश्वत लेकर कॉलेजों को मनमाफिक रिपोर्ट दे रहे हैं। आंतरिक जांच के बाद पूरा सर्च ऑपरेशन किया गया। सोमवार को ही नर्सिंग कॉलेज घोटाले की जांच कर रही सीबीआई टीम के एक और इंस्पेक्टर सुशील मजोकर को सीबीआई दिल्ली की विजिलेंस टीम ने दो लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है। मजोकर एसीबी भोपाल सीबीआई में अटैच था। इसके अलावा रतलाम नर्सिंग कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल जुगल किशोर शर्मा और भाभा कॉलेज भोपाल के प्रिंसिपल जलपना अधिकारी को भी गिरफ्तार किया है। इससे पहले रविवार रात सीबीआई इंस्पेक्टर राहुल राज को 10 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। सीबीआई निरीक्षक राहुल राज को रिश्वत देने वाले भोपाल के मलय कॉलेज ऑफ नर्सिंग के चेयरमैन अनिल भास्करन, प्रिंसिपल सूना अनिल भास्करन और दलाल सचिन जैन को भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।
यह जांच भी सीबीआई हाईकोर्ट के निर्देश पर कर रहा है। सीबीआई के जांच दल में एमपी नर्सिंग काउंसिल के अधिकारी, सीबीआई के अफसर और पटवारी शामिल हैं। फिर भी जांच अधिकारियों ने रिश्वत लेने से परहेज नहीं किया। वैसे हम व्यापमं घोटाले में देख चुके हैं कि कितने जांच अधिकारियों ने करोड़ों की रिश्वत ली और कितने लोगों ने मूल किरदारों पर परदा डाला। इसमें सीबीआई की हिस्सेदारी भी बराबर रही। सीबीआई इंस्पेक्टर राहुल राज के प्रोफेसर कॉलोनी स्थित घर पर छापा मारा, तो तलाशी में 7 लाख 88 हजार रुपए नकद और 100-100 ग्राम के सोने के बिस्किट भी मिले हैं। और इस घूसखोर इंस्पेक्टर राहुल राज को अगस्त 2023 में उत्कृष्ट जांच के लिए केंद्रीय गृहमंत्री पदक से सम्मानित किया गया था। राहुल राज सीबीआई के उन 15 अफसरों मे शामिल थे, जिन्हें उत्कृष्ट जांच के लिए ये सम्मान मिला था। इससे यह भी समझा जा सकता है कि कैसे लोगों को पदक और सम्मान मिलता है।
यह भी माना जा सकता है कि रिश्वत देकर सम्मान प्राप्त कर लिया हो। हालांकि इससे कुछ अच्छे अधिकारियों को तकलीफ अवश्य होगी। लेकिन सच तो सामने है। यह उत्कृष्ट अधिकारी रिश्वत लेते पकड़ा गया। वह भी उस घोटाले की जांच के लिए रिश्वत ले रहा था, जिससे हजारों युवाओं का भविष्य जुड़ा हुआ है। असल में मध्यप्रदेश में घोटालों का सिलसिला कोई नई बात नहीं है। यहां हर दूसरे विभाग में घोटाला होता है। व्यावसायिक परीक्षा मंडल में तो लगातार घोटाले हुए। कुछ दबा दिए गए, बहुत कम में कार्रवाई हुई। और जब घोटाले रोक नहीं पाए, तो मंडल का नाम ही बदल दिया गया। जैसे नाम बदलने से उसमें घोटाले रुक जाएंगे।
खैर…। इस घटना से सीबीआई जैसी जांच एजेंसी पर एक बार फिर संदेह बढ़ता है। यह बात अवश्य है कि सीबीआई ने ही अपने अधिकारियों को पकड़ा है, लेकिन यह भी सही है कि मध्यप्रदेश में जितने मामलों की जांच सीबीआई ने की, उनमें से नब्बे प्रतिशत में कोई नतीजा नहीं निकला। चाहे शेहला मसूद हत्याकांड हो, सपना-सिल्की हत्याकांड हो। या फिर सरला मिश्रा हत्याकांड। बहुत लंबी फेहरिस्त है। और फिलहाल चुनावी दौर में सरकार की जांच एजेंसियां विपक्ष के निशाने पर हैं, विरोधियों को जेल में भेजने का अभियान चल रहा है, लेकिन सत्तापक्ष में बैठे घोटालेबाजों पर कोई उंगली तक नहीं उठा रहा। ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं। यह आइना है, यदि कोई देखे तो। नहीं तो अंधभक्ति का दौर चल रहा है। यहां से भी नजरें घुमाई जा सकती हैं।
– संजय सक्सेना

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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