पतंजलि विज्ञापन केस: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट मिली

नई दिल्ली। पतंजलि विज्ञापन केस में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव, बालकृष्ण और अन्य के खिलाफ अवमानना याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने दोनों को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी है।
भ्रामक विज्ञापन के मामले में 23 अप्रैल की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आईएमए को अपने डॉक्टरों पर भी विचार करना चाहिए, जो अक्सर मरीजों को महंगी और गैर-जरूरी दवाइयां लिख देते हैं। अगर आप एक उंगली किसी की ओर उठाते हैं, तो चार उंगलियां आपकी ओर भी उठती हैं।
कोर्ट की टिप्पणी को आईएमए्र प्रेसिडेंट डॉ. आरवी अशोकन ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। डॉ. अशोकन ने कहा था- सुप्रीम कोर्ट के अस्पष्ट बयानों ने प्राइवेट डॉक्टरों का मनोबल कम किया है। कोर्ट ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी और उन्हें नोटिस जारी कर 14 मई तक जवाब मांगा था। आईएमए की आलोचना में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि आप (आईएमए) कहते हैं कि दूसरा पक्ष (पतंजलि आयुर्वेद) गुमराह कर रहा है, आपकी दवा बंद कर रहा है – लेकिन आप क्या कर रहे थे? हम स्पष्ट कर दें, यह अदालत किसी भी तरह की पीठ थपथपाने की उम्मीद नहीं कर रही है।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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