2025 में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले देश के टॉप 5 राज्यों की सूची…

नई दिल्ली। वर्ष 2025 में कौन सा राज्य हीरो कहलाने लायक है? इस साल सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले टॉप पांच राज्यों में हैं – महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु। एक निजी रिसर्च एजेंसी ‘केयर’ ने यह रैंकिंग जारी की है। ऐसा पहला सर्वे 2023 में किया गया था। उसमें भी महाराष्ट्र पहले और गुजरात दूसरे नंबर पर था, जबकि तब तीसरे स्थान पर रहा तमिलनाडु इस बार पांचवीं पोजिशन पर फिसल गया है। 2024 में सर्वेक्षण नहीं हुआ था।

सर्वे के लिए कुछ मानक तय किए गए – आर्थिक, राजकोषीय, सामाजिक, वित्तीय समावेशन, बुनियादी ढांचा, शासन और पर्यावरण। इन मानकों के और लगभग 50 उपमानक तय किए गए, जैसे राज्यों का सकल GDP, निवेश, उद्योग विकास, बजट, राजस्व, कर्ज, बिजली, सड़क, रेल, जल संसाधन, बैंकिंग, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि। हर मानक को वेटेज दिया गया है। उनके कुल जोड़ से एक इंडेक्स बनता है, जिससे उस राज्य की रैंकिंग तय होती है।

टॉप 5 को छोड़कर अन्य राज्य किसी न किसी मानक में अव्वल जरूर हैं, लेकिन समग्रता में पिछड़ गए। स्थिर विकास लक्ष्य (SDG) पाने में उत्तराखंड और केरल शीर्ष पर हैं। सुशासन में आंध्र प्रदेश अव्वल है। रोजगार और कौशल में उत्तर प्रदेश और बिहार, कृषि और ग्रामीण विकास में उत्तर प्रदेश, पंजाब और बिहार ने अच्छा स्कोर किया है।

आर्थिक क्षेत्र में टॉप 5 राज्यों के विकास मॉडल में मामूली अंतर दिखाई देगा। महाराष्ट्र राज्यों में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहा। देश की GDP में उसका योगदान 20% से अधिक है। मुंबई देश की वित्तीय राजधानी तो है ही, वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रवेश द्वार भी है।

गुजरात का आर्थिक मॉडल निर्माण, उद्योग और निर्यात पर आधारित है। वह भारत का सबसे उद्योग अनुकूल राज्य रहा। बंदरगाहों का जाल, विश्वसनीय बिजली आपूर्ति, बेहतर सड़कों और औद्योगिक क्षेत्रों ने इसे निवेशकों की पहली पसंद बनाया। गुजरात का विकास अपेक्षाकृत अधिक समान और अनुशासित दिखाई देता है।

कर्नाटक का आर्थिक विकास, शासन और पर्यावरण के क्षेत्रों में अच्छा दबदबा दिखाई देता है। उद्योग और सेवा क्षेत्रों का योगदान अधिक है। नीति क्रियान्वयन और प्रशासनिक क्षमता बेहतर है। स्वच्छ ऊर्जा और वायु गुणवत्ता बेहतर है। लेकिन सामाजिक क्षेत्रों में उसका प्रदर्शन अन्य राज्यों की तुलना में कुछ कमजोर दिखता है।

तेलंगाना उद्योग अनुकूल नीतियां लागू करने में सफल रहा। आईटी, फार्मा, बायोटेक और सेवा क्षेत्र में उसने अच्छा स्कोर किया है। इंफ्रास्ट्रक्चर और शहरी विकास में तेजी लाई है। उसने कमजोर वर्गों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। वहीं, तमिलनाडु संतुलित मार्ग अपनाता दिखाई देता है। यहां विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में मजबूती है। ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में अग्रणी है।

राजनीतिक स्थिरता और शासन की गुणवत्ता में पांचों राज्यों के अनुभव अलग-अलग हैं। गुजरात राजनीतिक स्थिरता और नीति निरंतरता का अनुपम उदाहरण है। इसके विपरीत महाराष्ट्र राजनीतिक जटिलताओं का राज्य रहा। फिर भी मजबूत नौकरशाही और संस्थागत ढांचे ने राज्य को पटरी से उतरने नहीं दिया। इसी तरह कर्नाटक की सरकार में आंतरिक कलह दिखती है, लेकिन वह भी विकास की गति बनाए रखने में सफल रहा है। तेलंगाना और तमिलनाडु में राजनीतिक स्थिरता बनी हुई है, जिससे विकास को बढ़ावा मिला है। इन टॉप पांच राज्यों में से केवल गुजरात व महाराष्ट्र में ही BJP की सत्ता है। कर्नाटक और तेलंगाना कांग्रेस शासित राज्य हैं, जबकि तमिलनाडु में DMK की सरकार है।

हिंदी भाषी राज्यों की अर्थव्यवस्थाओं में सुधार दिखा। यूपी में एक्सप्रेस नेटवर्क, डिफेंस कॉरिडोर, औद्योगिक क्लस्टर और निवेश सम्मेलनों के कारण औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि हुई। मध्य प्रदेश ने कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और खनिज आधारित उद्योगों में प्रगति की। राजस्थान में पर्यटन, सौर ऊर्जा और खनिज संसाधनों के क्षेत्र में अच्छी संभावनाएं दिखाई दीं, लेकिन रोजगार सृजन की गति अपेक्षाकृत धीमी रही। हरियाणा में आर्थिक स्थिति मजबूत रही। कुल मिलाकर हिंदी भाषी राज्यों की अर्थव्यवस्था विकासशील रही, पर गुणात्मक विकास और प्रति व्यक्ति आय के मामले में दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों से पीछे रही।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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