Jusitce verma : आखिर जस्टिस वर्मा क़े घर मिली नकदी की असलियत क्या है..? सुप्रीम कोर्ट ने कहा अफवाह फैलाई जा रही है…

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा का तबादला उनके मूल हाई कोर्ट (इलाहाबाद उच्च न्यायालय) में करने की सिफारिश की है. यह सिफारिश ऐसे समय में आई है, जब उनके सरकारी बंगले में आग लगने के बाद वहां भारी मात्रा में नकदी मिलने की खबर सामने आई है. इस घटना के बाद न्यायपालिका की छवि को लेकर सवाल उठ रहे हैं और उनके खिलाफ जांच या महाभियोग की चर्चा भी हो रही है.
जस्टिस यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को हुआ था. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से बीकॉम (ऑनर्स) किया. फिर 1992 में रीवा यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई पूरी की. 8 अगस्त 1992 को उन्होंने बतौर वकील पंजीकरण कराया और इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत शुरू की.
इन मामलों के विशेषज्ञ
वह मुख्य रूप से सिविल मामलों में विशेषज्ञता रखते थे और संवैधानिक, औद्योगिक विवाद, कॉरपोरेट, टैक्सेशन और पर्यावरण से जुड़े मामलों की पैरवी करते थे. 2006 से हाई कोर्ट के विशेष वकील रहे और 2012 में उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता बने. अगस्त 2013 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा मिला.
न्यायिक सेवाओं में उनका सफर 13 अक्टूबर 2014 को शुरू हुआ जब उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया. 1 फरवरी 2016 को उन्होंने स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. इसके बाद 11 अक्टूबर 2021 को उनका तबादला दिल्ली हाई कोर्ट में कर दिया गया. अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 मार्च 2025 को उनके दोबारा इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरण की सिफारिश की है.
कई महत्वपूर्ण फैसले दिए
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए. मार्च 2024 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी द्वारा इनकम टैक्स पुनर्मूल्यांकन के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी थी.
इसके अलावा जनवरी 2023 में उन्होंने नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज़ ‘Trial by Fire’ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. इस मामले में रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस वर्मा ने कहा था, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखना जरूरी है, भले ही सरकारें और न्यायालय कुछ चीजों को प्रकाशित करने के पक्ष में न हों.’
तबादले की सिफारिश
हाल ही में उनके सरकारी आवास में आग लगने के बाद वहां से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने की खबर आई. उस समय वह शहर से बाहर थे, और उनके परिवार ने ही फायर ब्रिगेड को बुलाया था. नकदी मिलने के बाद इसका रिकॉर्ड दर्ज किया गया और चीफ जस्टिस को इसकी जानकारी दी गई.
इसके बाद कॉलेजियम की बैठक में उनके तबादले की सिफारिश की गई. इस घटनाक्रम के बाद कुछ न्यायाधीशों ने चिंता जताई कि सिर्फ स्थानांतरण से न्यायपालिका की छवि को नुकसान पहुंचेगा, इसलिए जांच और महाभियोग की प्रक्रिया पर भी चर्चा हो रही है.