UP में बड़ा फर्जीवाड़ा: 6 जिलों में सरकारी नौकरी कर रहा अर्पित सिंह, करोड़ों की सैलरी ली

फर्रुखाबाद। यूपी के फर्रुखाबाद जनपद के स्वास्थ्य विभाग से एक ऐसी खबर सामने आई जिसने न सिर्फ व्यवस्था की असली तस्वीर दिखा दी, बल्कि पूरे प्रदेश को सोचने पर मजबूर कर दिया। अर्पित सिंह, जिसका नाम पिछले 9 सालों से एक्स-रे टेक्नीशियन के पद पर दर्ज था, वह हर महीने लाखों रुपये का वेतन और सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाता रहा। लेकिन मानव संपदा पोर्टल पर जब उनका रजिस्ट्रेशन हुआ, तो राज खुला कि अर्पित सिंह नाम का कोई शख्स है ही नहीं।

अर्पित सिंह नाम के इस शख्स का नाम, जन्मतिथि और पिता का नाम सभी रिकॉर्ड में समान पाया गया, लेकिन इसके बावजूद वह 6 अलग-अलग जिलों में एक ही समय पर नियुक्त था- फर्रुखाबाद, बांदा, बलरामपुर, बदायूं, रामपुर और शामली। यूपी के ये 6 जिले अब इस फर्जीवाड़े की वजह से चर्चा में हैं।

4.5 करोड़ रुपये का नुकसान
वहीं, वेतन की बात करें तो एक अर्पित सिंह हर महीने 69,595 रुपये ले रहा था। एक साल में सिर्फ एक जिले से ही 8,35,140 रुपये की सैलरी ली गई। 9 सालों में केवल एक जिले से 75,16,260 रुपये का भुगतान हो चुका है। अगर 6 जिलों के अर्पित सिंहों के वेतन जोड़ें, तो लगभग 4.5 करोड़ रुपये सिर्फ छ व्यक्तियों ने विभाग से हासिल कर लिए।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने पूरे मामले पर तीन उप मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की जांच टीम बनाई है। जांच के बाद कार्रवाई होगी। सरकार की नीतियां, विभागीय सख्ती और निगरानी तंत्र सब पर यह सवाल खड़ा हो गया कि आखिर कैसे इतने लंबे समय तक कोई “अस्तित्वहीन” शख्स सरकारी वेतन का लाभ उठाता रहा?
मामले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अवनींद्र कुमार का कहना है कि कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, लेकिन यह कार्रवाई सिर्फ नियम-कानून के दस्तावेजों तक सीमित रहेगी या फिर व्यवस्था की जड़ों तक पहुंचेगी, यह एक बड़ा सवाल है।

जिम्मेदार कौन?
वहीं दूसरी ओर, एक ऐसा नाम जो असल में मौजूद ही नहीं है और सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर करोड़ों डकार गया। आखिर इस सबके पीछे जिम्मेदार कौन है? वे अधिकारी जिन्होंने दस्तावेजों पर सिर्फ एक “ठप्पा” लगाने को ही अपना काम समझा? या वो भ्रष्ट मानसिकता, जिसके चलते ऐसे लोग हमेशा बच निकलते हैं?
यह कहानी सिर्फ अर्पित सिंह की नहीं है। यह उस व्यवस्था की कहानी है जिसने एक “नामहीन इंसान” को 9 सालों तक जिंदा रखा और असली कर्मचारियों को चुपचाप झुककर काम करने पर मजबूर किया।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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