MP: लोकायुक्त के खिलाफ कोर्ट जायेंगे तीन आईएएस अधिकारी…जमीन के मामले में धोखाधड़ी का मामला हुआ दर्ज
भोपाल। लोकायुक्त के चंगुल में फंसने के बाद अब तीनों आईएएस अपने आपको पाक- साफ बताने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। तीनों अफसरों का कहना है कि जिस मामले में उन पर केस दर्ज किया गया है, उसका आधार ही गलत है। कलेक्टर के अधिकार देने के बाद सरकार के नियमों के अनुसार ही आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचने की अनुमति दी गई थी। यदि हम गलत हैं तो संबंधित कलेक्टर से लेकर प्रदेश का हर दूसरा एडिशनल कलेक्टर गलत है। क्योंकि प्रदेश के हर जिले में सालों से इस तरह की अनुमतियां दी जा रही हैं।
प्रदेश में तीन आईएएस अधिकारियों, ग्वालियर कमिश्नर दीपक सिंह, एक्साइज कमिश्नर ओपी श्रीवास्तव और उप सचिव बसंत कुर्रे पर लोकायुक्त पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। बता दें कि यह मामला 2007 और 2012 के बीच जबलपुर में एडीएम के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान आदिवासी भूमि की कथित बिक्री से संबंधित है।
मध्यप्रदेश में 1 महीने में 175 अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट केस
सामान्य प्रशासन विभाग, मध्यप्रदेश शासन की पीएस दीप्ति गौड़ मुखर्जी ने बताया कि आईएएस नियाज अहमद, लोकेश कुमार जांगिड़, पूर्व आईएएस सभाजीत यादव की फाइल मंगा ली गई है। इसके अलावा राज्य प्रशासनिक सेवा के 25 अधिकारियों की फाइल तैयार हो चुकी है। सभी के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी दी जाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग के एसीएस श्री विनोद कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के बाद अब तक लगभग 400 में से 170 मामलों में अभियोजन की मंजूरी दी जा चुकी है। जून 2023 में लगभग 175 मामलों में मंजूरी दी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में लगभग 400 से ज्यादा मामले ऐसे हैं जिसमें लोकायुक्त अथवा EOW द्वारा प्रकरण दर्ज किए गए और जांच की गई लेकिन कोर्ट में चालान पेश नहीं किए जा सके क्योंकि मध्यप्रदेश शासन स्तर से अभियोजन की मंजूरी नहीं मिली थी। पिछले दिनों यह मामला हाईकोर्ट में चला गया था। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि अभियोजन की मंजूरी का मामला अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित नहीं रखा जा सकता। इसके बाद गतिविधियां तेज हो गई है। अब तक 170 मामलों में चालान पेश करने की मंजूरी दी जा चुकी है और 175 मामलों की फाइलें तैयार हैं।