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MP: कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल, सरकार ने बनवाई फिल्म, बीजेपी का प्रचार…

भोपाल। कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल अब मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार का हो गया है। जी, हां दरअसल, जिस छिंदवाड़ा मॉडल के बल पर कभी कमलनाथ ने 2018 का चुनाव जीतकर प्रदेश में कांग्रेस सरकार की वापसी करवाई थी अब वही मॉडल प्रदेश की शिवराज सरकार ने एडॉप्ट कर लिया है। इतना ही नहीं शिवराज सरकार इस बार विधानसभा चुनाव 2023 में इस छिड़वाड़ा मॉडल को पूरी तरह से भुनाने के लिए भी तैयार है। सरकार ने छिंदवाड़ा मॉडल पर करीब 16 मिनट की एक फिल्म तैयार करवाई है। 

छिंदवाड़ा विकास की पहचान नाम से बनी इस फिल्म में छिंदवाड़ा की विकास गाथा दिखाई गई है। इसमें यहां किए गए अब तक के सभी मुख्य विकास कार्यों का जिक्र किया गया है। इन सभी कार्यों का श्रेय शिवराज सरकार ने अपने और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को दिया है। दूसरी तरफ छिंदवाड़ा में हुए विकास कार्यों का सेहरा अब तक कमलनाथ अपने माथे पर बांधते आए हैं। हालांकि यह विधानसभा चुनाव का परिणाम ही बताएगा कि जनता को किस का मॉडल पसंद आया। फिलहाल छिंदवाड़ा मॉडल एक बार फिर चर्चाओं में है। 

मॉडल पर आमने सामने

इधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व छिंदवाड़ा मॉडल पर गहरी जानकारी रखने वाले सैय्यद ज़फ़र ने बताया कि छिंदवाड़ा मॉडल कमलनाथ की बड़ी सोच और दूरदृष्टि से बना है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री रहते हुए यहां विभिन्न योजनाओं के तहत अनेक विकास कार्य करवाए। जिसके कारण आज सड़क, बिजली, पानी, रेल, उद्योग, कृषि, स्किल डेवलपमेंट हर क्षेत्र में छिंदवाड़ा परिपूर्ण हैं। यहां के विकास कार्यों में भाजपा का कोई हाथ नहीं। भाजपा कितना ही झूठ प्रचारित कर ले पर जनता सारी हकीकत जानती है। वहीं भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता मिलन भार्गव का कहना है कि 2003 से पहले मध्य प्रदेश बीमारू राज्य की श्रेणी में आता था शिवराज सरकार ने उसे विकसित राज्यों की कतार में लाकर खड़ा किया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के कोने कोने में विकास किया है। छिंदवाड़ा कोई प्रदेश से अलग नहीं है। उसका विकास भी सीएम शिवराज के नेतृत्व में हुआ है। 

चुनाव होगा रोचक 

छिंदवाड़ा का चुनाव इस बार बेहद रोचक होने वाला है। भाजपा इस सीट को पहले से और अधिक गंभीरता से ले रही है। पार्टी कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि देश के गृहमंत्री अमित शाह खुद यहां का दौरा कर चुके हैं। वहीं कमलनाथ पहले से ही अपनी जीत के प्रति कॉन्फिडेंट नजर आ रहे हैं। हालांकि अभी उनके चुनाव लड़ने पर संशय बना हुआ है। दूसरी तरफ भाजपा यहां से इस बार अपने किसी ताकतवर और वेल नोन चेहरे को उतरने की तैयारी में है। 

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