MP: मैं पार्टी का सिपाही हूं। वे जो कहेंगे, मैं करूंगा: विजयवर्गीय
इंदौर। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव होने और केंद्र की राजनीति में सक्रिय होने के बावजूद कैलाश विजयवर्गीय इंदौर शहर से जुड़े रहे। स्थानीय समस्याओं को लेकर उनका मुखर होना उन्हें अलग बनाता है। विधानसभा चुनाव में टिकट देकर संगठन ने उन्हें फिर प्रदेश में सक्रिय रहने का मौका दिया है। एक नंबर विधानसभा क्षेत्र से विजयवर्गीय को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद राजनीतिक समीकरण भी दिलचस्प हो गए हैं। विजयवर्गीय की 15 वर्ष बाद शहरी सीट पर वापसी हो रही है।
इंदौर-1 सीट से चुनावी मैदान में उतारे जाने पर भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, यह पार्टी का आदेश है। मुझसे कहा गया कि मुझे काम सौंपा जाएगा और मैं ना नहीं कहूंगा और मुझे यह करना होगा। उन्होंने कहा कि जब टिकट की घोषणा हुई तो मैं भी हैरान रह गया। मैं पार्टी का सिपाही हूं। वे जो कहेंगे, मैं करूंगा…भाजपा दो-तिहाई बहुमत की ओर बढ़ चुकी है। वक्त बताएगा कि हमें उससे कितनी ज्यादा सीटें मिलेंगी..।
भाजपा ने वर्ष 1990 में उन्हें चार नंबर विधानसभा सीट से टिकट दिया था। इसके बाद वे लगातार तीन बार अपने गृह क्षेत्र दो नंबर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। वर्ष 2013 में संगठन ने उन्हें महू विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित किया। महू सीट उस समय भाजपा के लिए मुश्किल सीटों में शामिल थी। विजयवर्गीय ने इस चुनौती को स्वीकारा ही नहीं चुनाव जीता भी। उन्होंने पिछला विधानसभा चुनाव लडऩे से इनकार कर दिया था। बाद में वे पूरी तरह से केंद्र की राजनीति में सक्रिय हो गए।
मैंने कहा था, महू चुनाव मेरा अंतिम चुनाव था
विजयवर्गीय विधानसभा चुनाव लडऩे के सवाल पर अक्सर कहते रहे कि वे चुनाव नहीं लडऩा चाहते और अपनी इच्छा वे संगठन को बता चुके हैं। संगठन किसी क्षेत्र की जिम्मेदारी देगा तो वे पीछे नहीं हटेंगे। दो दिन पहले ही उन्होंने मीडिया से चर्चा में कहा था कि महू चुनाव मेरा अंतिम चुनाव था। सोमवार शाम संगठन ने उन्हें एक नंबर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया तो उन्होंने इतना ही कहा ना, ना करते हुए प्यार हो ही गया।