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MP: Forest विभाग के पास 10 सालों से वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस की शर्तो के क्रियान्वयन का रिकॉर्ड नहीं, आरटीआई में हुआ खुलासा, अब नोटिस भेज कर मांग रहे जानकारी

भोपाल। रेल लाइन और सड़क दुर्घटनाओं में वन्य प्राणियों की लगातार मोटो के बावजूद वन विभाग के पास 10 सालो से वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस की शर्तो के क्रियान्वयन का कोई रिकॉर्ड नहीं है,  जिसके कारण भारत सरकार को जानकारी भेजने में वन विभाग असफल साबित हो रहा है। 

इस संबध में जब एक्टिविस्ट अजय दुबे ने RTI लगाई तो विभाग ने ये स्वीकार कर मध्यप्रदेश के समस्त टाइगर रिजर्व अभ्यारण और कई डीएफओ को नोटिस भेज कर जानकारी मांगी है । 

अजय दुबे ने कहा कि भारत में सर्वाधिक वन क्षेत्र और टाइगर स्टेट,लेपर्ड स्टेट, चीता स्टेट का दर्जा रखने वाले मध्यप्रदेश में टाइगर रिजर्व की भूमि, अभ्यारणो भूमि और कई जिलों के वन क्षेत्रों में रेल प्रोजेक्ट,सड़क निर्माण,बांध निर्माण , तालाब,नहर निर्माण पावर प्रोजेक्ट संबंधित परियोजनाओं के लिए वन विभाग द्वारा सशर्त वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस जारी होती है जिसका समय समय पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी मुख्यालय और फील्ड के स्टाफ द्वारा मूल्यांकन किया जाना और उसका प्रमाण पत्र भारत सरकार के वन मंत्रालय को भेजना अनिवार्य है।

भारत सरकार द्वारा उपरोक्त विभिन्न विकास परियोजनाओं में वन्य प्राणियों को बचाने के लिए mitigation measures निर्धारित किए हैं जैसे सड़क और रेल लाइन निर्माण में वन्य प्राणियों के सुरक्षित आवागमन के लिए स्थाई रूप से पर्याप्त व्यवस्था (अंडर ब्रिज आदि )को मुख्य है .निर्माणाधीन परियोजना में हरे वृक्षों को न्यूनतम कटाई करने के अलावा पेड़ो को ट्रांसप्लांट करने का भी प्रावधान है लेकिन यह देखने में नहीं आया।

भारत सरकार के वन मंत्रालय 2021 से इस विषय पर मप्र वन विभाग से जवाब मांग रहा है लेकिन मप्र निरुत्तर है। हाल में ही मप्र वन्य प्राणी मुख्यालय द्वारा 15 सितंबर 2023 को नोटिस जारी कर शीघ्र जवाब मांगा है। उन्होंने कहा कि हम इस मामले वन्य प्राणी मुख्यालय की गंभीर लापरवाही को लेकर मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री को पत्र लिख कार्यवाही की मांग करेंगे।जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे क्योंकि इस गंभीर लापरवाही से विगत वर्षो में कई दुर्लभ वन्यजीव रेल लाइन और सड़क मार्ग पर हुई दुर्घटना में जान गवां चुके हैं।

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