IAS राघवेंद्र सिंह… जिन्होंने ऑपरेशन स्माइल शुरू कर बदली बुजुर्गों की जिंदगी…

भोपाल। मध्य प्रदेश के जबलपुर कलेक्टर IAS राघवेंद्र सिंह की कहानी कुछ हटकर ही है, जो बुजुर्गों लिए ऑपरेशन मुस्कान शुरू कर सुर्खियों में आए थे. इतना ही नहीं उन्होंने 7 साल में ‘615 पूर्वांचल हॉस्टल’ नोबेल भी लिखा है।
राघवेंद्र सिंह असल में बिहार के निवासी हैं, जो 2013 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. जिनकी कलेक्टर के रूप में पहली पोस्टिंग बक्सर जिले में हुई थी। शादी के बाद उनका कैडर बदला और मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के कलेक्टर बनाए गए. IAS राघवेंद्र की धर्मपत्नी भी मध्य प्रदेश में IAS अधिकारी है।
राघवेंद्र सिंह हिंदी मीडियम के छात्र रहे हैं. जिनकी शुरू की शिक्षा उत्तर प्रदेश के सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल से शुरू हुई. इसके बाद उन्होंने बीएससी फिजिक्स सब्जेक्ट से गोरखपुर से ग्रेजुएशन पूरा किया. पढ़ाई के मामले में IAS राघवेंद्र सिंह जिले के टॉपर रहे हैं, हालांकि इसके बाद उन्होंने दिल्ली जाने का फैसला लिया और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जेएनयू में एडमिशन लिया. फिर पॉलिटिकल साइंस से पोस्ट ग्रेजुएशन कर एम फिल की पढ़ाई पूरी की।

जेएनयू में रहकर उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी की और 2012 में फर्स्ट अटेम्प्ट में ही आईपीएस में अपनी जगह बना ली. जहां प्रशिक्षण के लिए ट्रेनिंग लेने चले गए, लेकिन अगले साल ही 2013 में उनका सिलेक्शन आईएएस में हो गया. जहां सितंबर 2013 में उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा प्रशिक्षण केंद्र, मसूरी में ट्रेनिंग ली।2016 में उन्होंने 615 पूर्वांचल हॉस्टल किताब लिखना शुरू की, लेकिन बतौर नवगछिया एसडीएम क्षेत्र में बाढ़ का प्रकोप आया. जहां उनके शासकीय आवाज में भी बाढ़ का पानी घुस गया और किताब खराब हो गई. जिसके बाद उन्होंने एक बार फिर 2016 से किताब लिखना शुरू किया. 7 साल बाद 2023 में ‘615 पूर्वांचल हॉस्टल’ नोबेल को फिर लिख डाला. जहां उन्होंने हॉस्टल से लेकर छात्र जीवन के बारे में इस नोबेल में जिक्र किया।
गांव में पहुंचने के दौरान बुजुर्ग ने कलेक्टर को खटिया पर बैठाया और भुट्टा भी खिलाया. जब उन्होंने बुजुर्ग दादा को भी भुट्टा खाने के लिए कहा, तो बुजुर्ग ने हंसते हुए कहा कि साहब मेरे दांत ही नहीं है. इसके बाद से ही IAS राघवेंद्र सिंह ने ऑपरेशन स्माइल शुरू किया और कई बुजुर्गों की स्माइल वापस लौट आई और सुर्खियों में आ गए.उन्होंने एक ऐसी कार्रवाई की जिसे देख सभी हैरान रह गए थे. अपने सख्त अंदाज के लिए जाने वाले आईएएस ने कार्य के प्रति गंभीर लापरवाही करने पर नायब तहसीलदार को डिमोट कर पटवारी बना दिया था. जिसके बाद पूरे देश में इस फैसले की चर्चा हुई थी।
राघवेंद्र सिंह को पढ़ने और गाने सुनने का काफी शौक है. लेखकों में उन्हें प्रेमचंद्र, धर्मवीर भारती, अज्ञेय और विनोद कुमार शुक्ल जबकि निराला और दिनकर प्रिय कवि हैं. उनके मुताबिक, लगातार लगन के साथ मेहनत करने से हर काम को आसानी से किया जा सकता हैं. असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी होती है।
