घूंघट से शेर वाली टोपी तक… पति की मौत, एक बच्चे के साथ गांव की अंजू यादव कैसे बनीं राजस्थान में DSP?

राजस्थान में डीएसपी पद पर तैनात अंजू यादव की एक तस्वीर उनकी पूरी कहानी कहती है। तस्वीर के एक हिस्से में गांव में रहने वाली साधारण सी महिला है और दूसरे हिस्से आत्मविश्वास से भरी वर्दी पहने एक कामयाब महिला। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर यह तस्वीर शेयर की है, जो देश की महिलाओं को प्रोत्साहित करती है। उनकी सक्सेस स्टोरी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो शादी के बाद सपने देखना बंद कर देती हैं।

हरियाणा के एक किसान परिवार में जन्मी अंजू यादव आज राजस्थान में डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (DSP) हैं। सितंबर 2025 में आयोजित पासिंग परेड में वे राजस्थान पुलिस सेवा (RPS) में पुलिस उपाधीक्ष बनी हैं। राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा 2021 में विधवा कोटे से उन्होंने 1725वीं रैंक हासिल की थी, जिसका रिजल्ट 2023 में जारी किया गया था।

21 साल की उम्र में शादी, गांव के गरीब परिवार में घर के कामों में उलझी हुई और सिंगल मदर… ये वो चीजें हैं जो एक महिला को अंदर से तोड़ने के लिए काफी हैं। लेकिन हरियाणा की अंजू यादव ने अपनी मेहनत, दृढ़ संकल्प और त्याग से इन सभी परिशानियों न सिर्फ हंसते-हंसते झेला, बल्कि समाज में अपनी अलग पहचान कायम की। पति की मौत के बाद उन्होंने खुद को संभाला और सिंगल मदर होते हुए पुलिस अधिकारी बनीं।

अंजू यादव का जन्म 1988 में हरियाणा के नारमौल के गांव धौलेड़ा में हुआ था। उनके पिता लालाराम यादव एक किसान हैं और मां सुशीला देवी गृहणी हैं। अंजू की पढ़ाई किसी बड़े पब्लिक स्कूल से नहीं, बल्कि गांव के सरकारी स्कूल में हुई है। 12वीं तक सरकारी स्कूल से पढ़ाई की। इसके बाद डिस्टेंस से सरकारी कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।

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21 की उम्र में शादी, मायके में बेटे को पाला
बीए करने के बाद साल 2009 में 21 साल की उम्र में उनकी शादी राजस्थान के गंडाला गांव (पहले अलवर जिला) में हुई। 24 साल की उम्र में उन्होंने एक बेटे मुकुलदीप को जन्म दिया। मां बनने के बाद अंजू बनना चाहती थीं। लेकिन ससुराल से सपोर्ट नहीं मिला। तब उन्होंने अपने मायके आने का फैसला किया। बेटे की परवरिश मायके में हुई।

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मायके आने के बाद पिता के सपोर्ट और खुद की मेहनत से अंजू यादव ने तीन सरकारी नौकरी हासिल की। सबसे पहले साल 2016 में वे मध्य प्रदेश के भिंड में जवाहर नवोदय विद्यालय में टीचर बनीं, जहां दो साल पढ़ाया। फिर राजस्थान और दिल्ली में सरकारी स्कूल टीचर की नौकरी हासिल की। दिल्ली उन्होंने पांच साल पढ़ाया।

साल 2021 में अंजू के पति नित्यानंद का बीमारी के चलते निधन हो गया। उस वक्त उन्होंने खुद को संभाला। उसी साल राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा (RAS) 2021 का फॉर्म निकला। पति के जाने के गम कम नहीं था, फिर भी उन्होंने हिम्मत जुटाते हुए RAS का फॉर्म भर दिया। प्राशनिक सेवा परीक्षा की तैयारी और सफलता हासिल की। अंजू ने अपनी प्रतिभा और मेहनत से साबित किया कि अगर गृहस्थ महिलाएं मन में कुछ ठान ले तो उसे हासिल कर सकती हैं।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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