Food Food : मिलिए, इडली के भाई और मोमोज के रईस मामा से…!!

यह गोल मटोल और धवल रंग से भरपूर व्यंजन सिद्दू है जो देखने में इडली का हट्टा-कट्टा भाई और मोमोज का पैसे वाला रुतबेदार मामा लगता है। सिद्दू दरअसल हिमाचल प्रदेश का एक पारंपरिक और लोकप्रिय व्यंजन है । इसे सिदु या सिद्दो भी कहा जाता है जबकि अंग्रेजी अंदाज में बोलने के कारण अब इसे सिड्डू भी पुकारा जाने लगा है। चूँकि, ब्रिटिश काल में शिमला अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही है इसलिए अंग्रेज भी इस गोलू-मोलू के मुरीद बने और यह जनाब सिद्दू से सिड्डू हो गए लेकिन एक बात बिलकुल साफ़ है कि इसका क्रिकेटर नवजोत सिंह ‘सिद्धू’ से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है।

सिद्दू न केवल हिमाचल के ग्रामीण इलाकों में, बल्कि शहरी रेस्तरां और शिमला-मनाली जैसे पर्यटक स्थलों में भी लोकप्रिय है। यह हिमाचली थाली का अभिन्न हिस्सा है। बस, फर्क इतना है कि शिमला में सिद्दू अंडाकार बनता है तो ग्रामीण इलाकों में गोलाकार और कुल्लू में कुछ चपटा सा होता है। साधारण भाषा में समझने के लिए हम कह सकते हैं कि यह एक स्टीम्ड ब्रेड या बन है, जिसे गेहूं के आटे से बनाया जाता है और इसमें विभिन्न प्रकार की मसालेदार या मीठी स्टफिंग (भरावन) होती है।

सर्दियों में इसे देसी घी, दाल या चटनी के साथ खाया जाता है, जो शरीर को गर्म तो रखता ही है और स्वाद को भी दोगुना कर देता है। सिद्दू प्रोटीन और फाइबर जैसे तमाम पोषक तत्वों से भरपूर है इसलिए स्वादिष्ट होने के साथ-साथ यह पौष्टिक भी है।

जानकारों का कहना है कि सिद्दू की स्टीमिंग (भाप से पकाना) तकनीक कुछ कुछ तिब्बती और लद्दाखी व्यंजनों जैसे मोमोज की तरह है। वैसे भी, हिमाचल और तिब्बत बहुत करीब हैं। सिद्दू बनाने के तरीके को लेकर हमारे दक्षिण भारतीय मित्र भी इस पर दावा कर सकते हैं क्योंकि जैसा मैंने ऊपर लिखा है कि यह कुछ कुछ इडली जैसा है और अब तो स्टफ्ड इडली और घी के साथ इडली भी चलन में हैं। लिट्टी में सत्तू भरने के कारण पूर्वांचल और खासकर बिहार के लोग भी इस पर दावा कर सकते हैं। इसीतरह यदि इसे रोटी की तरह बेल दिया जाए तो यह पूरण पोली खानदान में शामिल हो सकता है…और यदि तेल में तल दिया जाए तो यह हमारे आलूबड़े का सगा भाई लगेगा। हालांकि, इन तमाम समानताओं के बाद भी मुख्य और मूल बात यह है कि सिद्दू का उद्भव, विकास, स्वाद और बनावट खालिस हिमाचली है।

यहाँ सिद्दू सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि हिमाचली आतिथ्य, सामुदायिकता और प्रकृति के साथ तालमेल का प्रतीक है। इसे बनाने की प्रक्रिया मसलन आटा तैयार करना, स्टफिंग बनाना, स्टीम करना…परिवारों को एक साथ लाती है। यह हिमाचल की जमीन से थाली तक की अवधारणा को दर्शाता है क्योंकि इसमें स्थानीय उपज और पारंपरिक तरीकों का ही उपयोग होता है।

सिद्दू के इतिहास के बारे में ज्यादा लिखित साक्ष्य तो नहीं मिलते क्योंकि यह मूल रूप से मौखिक परंपराओं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे ज्ञान पर आधारित है। हिमाचल के स्थानीय लोग और खानपान के जानकार इसे यहाँ की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा मानते हैं। बनाने के तौर तरीके के कारण भी यह यहां का मूल व्यंजन है। शिमला और किन्नौर में सिद्दू को अक्सर अखरोट या खसखस की स्टफिंग के साथ बनाया जाता है जबकि कुल्लू और मंडी में उड़द दाल या मटर की मसालेदार स्टफिंग आम है । इसी तरह,रोहड़ू और चंबा में कुछ जगहों पर सिद्दू को गुड़ और नारियल की मीठी स्टफिंग के साथ इसे मिठाई जैसा बनाया जाता है लेकिन देशी घी का साथ यहाँ कहीं नहीं छोड़ता।

वैसे, सिद्दू की उत्पत्ति हिमाचल के ग्रामीण इलाकों में मानी जाती है । भाप में पकाने की तकनीक के कारण ठंडे मौसम में यह आसानी से तैयार हो जाता है और यही इसकी लोकप्रियता का कारण है । सिद्दू को अक्सर विशेष अवसरों जैसे शादी, त्योहार और पारिवारिक समारोहों में बनाया जाता था। स्थानीय कथाओं के अनुसार, सिद्दू को पहाड़ी महिलाएं अपने परिवार के उन पुरुषों के लिए बनाती थीं जो लंबी यात्राओं या खेतों में काम करने के लिए जाते थे। यह पेट भरने वाला और लंबे समय तक ताजा रहने वाला भोजन है ।

इन दिनों सोशल मीडिया और फूड ब्लॉगर के चलते सिद्दू को हिमाचल से बाहर भी पहचान मिल रही है । इसे अब अन्य राज्यों में फूड फेस्टिवल्स और हिमाचली खानपान को बढ़ावा देने वाले आयोजनों में भी आमतौर पर प्रदर्शित किया जाने लगा है। अब यदि आप हिमाचल प्रदेश जाएँ तो अपनी डायबिटीज भूलकर मीठा सिद्दू और नमकीन के शौकीन हैं तो साथ में एक मसालेदार सिद्दू जरूर खाइए क्योंकि सिद्दू के बिना हिमाचल की यात्रा अधूरी है।

संजीव शर्मा की फेसबुक वाल से साभार

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

Related Articles