सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच बेहद अहम रक्षा समझौता हुआ

रियाद। सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच बेहद अहम रक्षा समझौता हुआ है। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट नाम के इस समझौते पर साइन किए हैं। इस समझौते का सबसे अहम पहलू यह है कि अगर इन दोनों देशों में से किसी पर अटैक होता है तो उसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। इसे भारत के लिहाज से खास माना जा रहा है। कई एक्सपर्ट ने इस पर प्रतिक्रिया दी है।
दक्षिण एशिया की जियो-पॉलिटिक्स पर नजर रखने वाले अमेरिकी एक्सपर्ट माइकल कुलेगमेन का कहना है कि पाकिस्तान और सऊदी का ये समझौता खास है। पाकिस्तान ने सिर्फ नया पारस्परिक रक्षा समझौता नहीं किया है बल्कि उसने ऐसे देश के साथ डील की है, जो भारत का भी अहम सहयोगी है।यह नहीं कह सकते कि समझौता भारत को पाकिस्तान पर हमला करने से रोक देगा। ये जरूर है कि तीन प्रमुख शक्तियों- चीन, तुर्की और अब सऊदी अरब के पक्ष में होने से पाकिस्तान बहुत अच्छी स्थिति में है।
पश्चिम एशिया मामलों के जानकार जहाक तनवीर का कहना है कि पाक-सऊदी में समझौता कोई नई बात नहीं है। सऊदी अरब और पाकिस्तान ने पहले भी ऐसे रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं लेकिन ये हमेशा सऊदी सुरक्षा की रक्षा के लिए रहे हैं पाकिस्तान की नहीं। ईरान-इराक युद्ध (1980-88) के दौरान इस्लामाबाद ने आश्वासन दिया था कि सऊदी पर हमले को पाकिस्तान पर हमला माना जाएगा। हालांकि यह बाध्यकारी संधि से ज्यादा राजनीतिक आश्वासन था।
साल 2014-15 में ऑपरेशन आसिफत अल-हज्म के दौरान सऊदी अरब ने इस्लामी देशों (ईरान और सीरिया को छोडक़र) का गठबंधन बनाया। पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ को इस गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया गया था। भारत के साथ पाकिस्तान के युद्धों (1965, 1971 और कारगिल 1999) में रियाद ने इस्लामाबाद को वित्तीय और राजनयिक सहायता दी लेकिन भारत के खिलाफ सेना तैनात नहीं की।
तनवीर का कहना है कि सऊदी अरब ने भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रायोजित करने में पाकिस्तान की कार्रवाइयों का कभी बचाव नहीं किया है। सऊदी के भारत के साथ गहरे सामरिक और आर्थिक संबंध हैं। ऐसे में सऊदी पाकिस्तान के सैन्य दुस्साहस का समर्थन करके अपनी वैश्विक प्रतिष्ठा को खतरे में नहीं डालेगा।
जहाक का मानना है कि नई डील का सार भी पिछले समझौतों की तरह सऊदी अरब पर केंद्रित है। पाक आर्मी अक्सर सऊदी हितों की सेवा करने वाली किराए की सेना के रूप में काम करती रही है। सऊदी सेना को पाकिस्तान की रक्षा के लिए भारत पर हमला करने के लिए कभी तैनात नहीं किया गया है और ना किया जाएगा।
भारत और सऊदी का रिएक्शन
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सऊदी-पाकिस्तान की डील पर सधी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि इस बारे में उनको जानकारी मिली है और मंत्रालय इस पर नजर रख रहा है। उन्होंने कहा कि हम वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा पर होने वाले असर के लिहाज से इसे देख रहे हैं।
दूसरी ओर एक वरिष्ठ सऊदी अधिकारी ने भारत के साथ संबंधों पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत के साथ हमारे संबंध मजबूत हैं। हम इस संबंध को आगे बढ़ाते रहेंगे और क्षेत्रीय शांति में हर संभव योगदान देने का प्रयास करेंगे।
इजराइल ने 9 सितंबर कतर की राजधानी दोहा में हमास चीफ खलील अल-हय्या को निशाना बनाकर हमला किया था। इस हमले में अल-हय्या बच तो गया था, लेकिन 6 अन्य लोगों की मौत हो गई थी।
इसके बाद 14 सितंबर को दोहा में मुस्लिम देशों के कई नेता इजराइल के खिलाफ एक खास बैठक के लिए इक_ा हुए थे। यहां पाकिस्तान ने सभी इस्लामी देशों को हृ्रञ्जह्र जैसी जॉइंट फोर्स बनाने का सुझाव दिया था।
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री मोहम्मद इशाक डार ने एक जॉइंट डिफेंस फोर्स बनाने की संभावना का जिक्र करते हुए कहा था कि न्यूक्लियर पावर पाकिस्तान इस्लामिक समुदाय (उम्माह) के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाएगा।

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