बेहद चमत्कारी है यह मंदिर… खाटूश्याम जी के पास में है स्थित, शिव के पांचवे रूद्रावतार की होती है पूजा!

 विश्व प्रसिद्ध खाटूश्याम जी मंदिर से 17 किलोमीटर दूर रीगंस कस्बे में लोक देवता भैरूजी महाराज का एक चमत्कारी मंदिर मौजूद है. रीगंस वहीं पवित्र जगह है जहां से पदयात्रा बाबा श्याम के निशान उठाते हैं. यहां भैरूजी महाराज का मंदिर सैकड़ो साल पुराना मंदिर मौजूद है.
 इस मंदिर को लेकर लोगों की अनेकों मान्यताएं हैं. देश के कई राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु में भैरूजी महाराज के दर्शन करने के लिए आते हैं. भैरूजी महाराज के चमत्कार ऐसे हैं की दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. भैरव बाबा की पवित्र जोहड़ी में श्रद्धालु स्नान करते हुए अपने पुराने से पुराने रोगो से मुक्ति पाते हैं. यहां दरबार में नव विवाहित जोड़े की जात देते हैं यहां अपने बच्चों के जात जडूलै भी उतारते हैं. भैरूजी मंदिर के पास ही शमशान भूमि है. पुजारियों द्वारा बताया जाता है कि यह शमशान वासी भैरव का स्थान है. यहां पर कोई भी औरत बैठकर किसी भी समय खाना खाए या कोई उसको कोई भी परेशानी नहीं होती. यहां पर औरतें अपने बच्चों के साथ जडुले उतारने के लिए आती रहती है और उनकी मन्नते पूरी होती है. तभी से भैरू बाबा पर ब्रह्म हत्या का अभिशाप लग गया था. इससे मुक्ति प्राप्त करने के लिए भैरू बाबा ने तीनों लोकों की यात्रा की. ऐसा माना जाता है कि भैरू बाबा के तीनों लोकों की यात्रा पृथ्वी लोक पर रींगस से शुरू हुई थी. पुजारी के पूर्वज मंडोर से चलते हुए रींगस पहुंचे. जहां पर तालाब किनारे रात में विश्राम के लिए रुके और फिर वहां पर झोली से पत्थर की मूर्ति निकालकर पूजा की और खाना खाकर सो गए. सुबह जब जाते वक्त मूर्ति को वापस उठाने लगे तो, मूर्ति वहां से नहीं हिली और अचानक आकाशवाणी हुई. आवाज आई कि ‘जहां से मैंने ब्रह्म हत्या का प्रायश्चित करने के लिए पृथ्वी लोग की पदयात्रा शुरू की थी, आज उसी स्थान पर आ गया हूं और मैं यही निवास करना चाहता हूं. इसके बाद पुजारी के पूर्वज गुर्जर प्रतिहार वहीं रुक गए और भैरव बाबा की पूजा अर्चना करने लग गए. आपको बता दे की खाटूश्याम जी मंदिर में रींगस पदयात्रा से पहले बाबा श्याम का निशान उठाने से पहले श्रद्धालु इस मंदिर में आकर रींगस के भेरुजी के दर्शन करते हैं. यहां से मनोकामना मांगते हैं. इस मंदिर में साल में एक बार विशेष आयोजन भी होता है. इस मेले में राजस्थान के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं.

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