MP : मंत्रालय में महापौरों की हुई बैठक, मंत्री और ACS से कहा-अवैध कॉलोनियों पर सख्त कानून नहीं बनाया तो मुसीबत हो जाएगी, आयुक्त उनकी नहीं सुनते

भोपाल। मंगलवार देर रात तक पहली बार मंत्रालय में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी, नगरीय प्रशासन विभाग के एसीएस संजय दुबे और आयुक्त संकेत भौंडवे की मौजूदगी में बैठक हुई। इस बैठक में ग्वालियर, कटनी की मेयर्स को छोड़कर बाकी 14 महापौर शामिल हुए।

मंत्री के पास लगातार महापौरों की ओर से यह बात आ रही थी कि कई काम पेंडिंग पड़े हुए हैं। स्थानीय स्तर पर अधिकारी निराकरण नहीं कर रहे हैं। मंत्री ने महापौरों की विभागीय अधिकारियों के साथ आमने-सामने बैठक कराई और निकायवार विषयों पर चर्चा कराई।

अवैध कॉलोनियों पर सख्ती से कार्रवाई हो
बैठक में जबलपुर महापौर जगत बहादुर सिंह ने कहा, अवैध कॉलोनियां जिस तरह से बढ़ रहीं हैं वो हम सबके लिए चिंता का विषय है। यदि समय रहते अवैध कालोनियों को रोकने के लिए सख्त कानून बनाकर कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले समय में ये बहुत बड़ी मुसीबत बन जाएगी।

जबलपुर मेयर यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा, अवैध कॉलोनियों पर जिस तरह की सख्त कार्रवाई होनी चाहिए वैसा एक्शन नहीं होता। ये सुनकर दूसरे महापौरों ने भी कहा इस मुद्दे पर वास्तव में कड़े फैसले लेने की जरूरत है।
गरीब लोग सस्ते रेट के लालच में प्लॉट या मकान खरीद लेते हैं। कॉलोनी काटने वाला वहां कोई सुविधाएं विकसित नहीं करता। बाद में निगम और सरकार से मूलभूत सुविधाएं देने की मांग होने लगती है। और ये अवैध कॉलोनियां काटने की परंपरा बढ़ती चली जाती है।

महापौर बोले- आयुक्त सुनते नहीं
बैठक में सिंगरौली महापौर रानी अग्रवाल ने कहा कि जनता की समस्याएं हमारे पास आतीं हैं। कई बार ऐसा होता है कि निगम आयुक्त हमारी सुनते नहीं, ऐसे में काम कैसे हों। रानी की बात में दूसरे महापौरों ने भी हामी भरी। फिर मंत्री विजयवर्गीय ने कहा- ऐसी व्यवस्था बनाएंगे कि 10 दिन में महापौर और निगम आयुक्त नियमित रूप से बैठकर निगम से जुडे़ विषयों पर चर्चा करें और समस्याओं का त्वरित समाधान हो।

छिंदवाड़ा मेयर बोले- राजस्व की भूमि निगम के अधिपत्य में हो
बैठक में छिंदवाड़ा मेयर विक्रम अहके ने कहा, नगर निगम क्षेत्र में राजस्व की कई ऐसी जमीनें हैं। जो निगम जनोपयोगी कामों उपयोग कर सकता है। लेकिन वे जमीनें नजूल के नाम पर दर्ज होने की वजह से निगम को शासन की परमिशन लेनी पड़ती है। राजस्व की ऐसी जमीनों का अधिपत्य नगर निगम के पास होना चाहिए।
रतलाम महापौर ने कहा- अमृत परियोजना के फेज 1 में कराए गए कामों में कई गड़बडियों की शिकायतें लगातार आ रहीं हैं। अमृत 1 में कराए गए कामों की बारीकी से जांच करानी चाहिए।

कॉमर्शियल बिल्डिंग से आश्रय शुल्क लेना बंद हो
जबलपुर मेयर ने कहा रेजिडेंशियल बिल्डिंग में तो बिल्डर ईडब्यूल्एस के मकान बनाकर देता है। उससे आश्रय शुल्क लेना ठीक भी है लेकिन, कॉमर्शियल बिल्डिंग में जो 7% आश्रय शुल्क लिया जाता है वहां ये ठीक नहीं हैं। इस शुल्क को खत्म किया जाना चाहिए। खत्म न हो सके तो कुछ कम होना चाहिए।
कर्मचारियों की भर्ती के अधिकार मिलें
एक महापौर ने कहा कि नगर निगम में कर्मचारियों की भर्तियों के अधिकार महापौर को मिलने चाहिए।

बैठक में ये निर्णय लिए गए

चुंगी का पैसा समय पर और पूरी तरह से मिले।
प्रदेश के सभी नगर निगमों द्वारा एनर्जी ऑडिट कराया जाएगा।
प्रत्येक हर हफ्ते महापौर-परिषद (एमआईसी) की बैठक अनिवार्य रूप से आयोजित होगी।
शहर की सड़कों की रेस्टोरेशन की गुणवत्ता की बारीकी से जांच होगी, जिसके लिए राज्यस्तरीय दल निरीक्षण करेगा।
बिल्डिंग परमिशन से संबंधित डेटा फॉर्मेट को सरल बनाकर सीधे निर्देश जारी होंगे।
लीज से जुड़े लंबित प्रकरणों को सूचीबद्ध कर शीघ्र निराकरण किया जाएगा।
प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नवीन तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
डीजल बचत के लिए डिजिटलाइजेशन और कर्मचारियों के लिए फेस अटेंडेंस सिस्टम लागू किया जाएगा।
नगरीय निकायों का खर्च कम करने और आकलन की नई व्यवस्था तकनीक के माध्यम से विकसित की जाएगी।
निकाय स्तर पर रिक्त पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी।

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