स्टेडियम गेट को मिलेगा कपिल देव का नाम

इंदौर। मध्य प्रदेश क्रिकेट संगठन (एमपीसीए) द्वारा क्रिकेट इतिहास से जुड़ी यादों को सहेजने के लिए संग्रहालय तैयार किया गया है। प्रवेश द्वार पर ही वर्ष 1983 की भारतीय टीम की जीत की याद में ट्राफी के साथ कपिल देव की प्रतिमा बनाई गई है। मगर इंदौर के ही पूर्व बीसीसीआई सचिव को प्रदेश संगठन भूल गया, जो कपिल के साथ विश्व कप जीत के समय लार्ड्स की बालकनी में तिरंगा लहरा रहे थे।

एमपीसीए के संग्रहालय का उद्घाटन सोमवार को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर के आतिथ्य में होगा। होलकर स्टेडियम में बनाए गए संग्रहालय का प्रवेश लार्ड्स की बालकनी की तर्ज पर है, जहां भारतीय टीम ने 1983 में विश्व कप जीता था। बालकनी में कपिल देव हाथों में ट्राफी लिए नजर आ रहे हैं।

प्रदेश के प्रशंसकों को निराश करने वाला

मगर जब विश्व कप भारत ने जीता था तो बीसीसीआई के सचिव इंदौर के ही अनंत वागेश कनमड़ीकर थे। तब वे भी लार्ड्स की बालकनी में तिरंगा लहरा रहे थे और यह दृश्य अब भी प्रदेशवासियों को याद है।

मगर कनमड़ीकर के गृहनगर में ही बने संग्रहालय में उन्हें बालकनी में कपिल के साथ स्थान योग्य नहीं समझा गया। यह तथ्य प्रदेश के प्रशंसकों को निराश कर सकता है। संग्रहालय में देश के पहले कप्तान कर्नल सीके नायडू, कैप्टन मुश्ताक अली सहित होलकर कालीन क्रिकेट से जुड़ी बहुत सी चीजे संजोई गई हैं।

इसके अलावा कई पूर्व क्रिकेटरों के बल्ले सहित अन्य सामान भी यहां देखने को मिलेंगे। कुछ बल्ले भी हैं जिन पर बीते दौर के खिलाड़ियों के हस्ताक्षर हैं। मध्य प्रदेश क्रिकेट संगठन लंबे समय से संग्रहालय बनाने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए सामान भी विभिन्न माध्यमों से इकट्ठा किया जा रहा है।

कर्नल के नाम से लोकप्रिय वेंगसरकर

प्रस्तावित योजना इसे एक ऐसे खेल पर्यटन सेंटर के रूप में तैयार करने की है, जिसे देखने इंदौर में लोग आएं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व कप्तान वेंगसरकर भी 1983 की विश्व विजेता भारतीय टीम के सदस्य रहे हैं। कर्नल के नाम से लोकप्रिय वेंगसरकर को वर्ष 2014 में सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया था। वेंगसरकर को कूपर्स एंड लाइब्रैंड रेटिंग (पीडब्ल्यूसी रेटिंग का पूर्ववर्ती) में सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज का दर्जा दिया गया था।

Exit mobile version