Shivraj padyatra :25 साल बाद पाँव पाँव वाले भैया फिर निकले पदयात्रा पर, लोगों ने कंधे पर उठाया, जमकर थिरके, पत्नी और बेटा-बहू भी साथ में आए नजर…

भोपाल। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान 25 साल बाद फिर पदयात्रा पर निकले हैं। रविवार को उन्होंने मध्यप्रदेश के सीहोर से ‘विकसित भारत संकल्प पदयात्रा’ की शुरुआत की। सबसे पहले वे लाड़कुई-भादाकुई गांव पहुंचे। यहां उन्होंने किसानों से संवाद किया।

यहां लाेगों ने शिवराज को कंधे पर उठा लिया। इसके बाद वे परिवार के साथ जमकर थिरके। पदयात्रा में पत्नी साधना सिंह, बड़े बेटे कार्तिकेय और बहू अमानत भी शामिल हुई। उन्होंने पदयात्रा को लेकर कहा कि न दिन- न रात, पैदल चल चला शिवराज।
ऑपरेशन सिंदूर पर कहा कि भारत की ताकत सभी ने देखी। ये नया भारत है, जिसने कह दिया कि हम किसी को छेड़ेंगे नहीं, लेकिन अगर किसी ने छेड़ा तो छोड़ेंगे नहीं। ऐसा भारत सबके सामने सीना तानकर खड़ा करना है।
बता दें कि इससे पहले शिवराज सिंह चौहान ने 1991 में विदिशा जिले में पदयात्रा निकाली थी। तब उन्हाेंने पूरे संसदीय क्षेत्र का दौरा किया था। और इसके बाद उन्हें पाँव पाँव वाले भैया के नाम से जाना जाने लगा था।

शिवराज बोले-विकसित गांव बनाने होंगे
केंद्रीय मंत्री शिवराज ने कहा कि हमारा लक्ष्य विकसित भारत बनाना है। इसके लिए विकसित गांव बनाने होंगे। स्थानीय लोगों को इसमें सहभागिता करनी पड़ेगी। गांव में सफाई, जल व्यवस्था, आंगनवाड़ी, स्कूल, महिला स्वावलंबन, बेहतर रोजगार को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा मैं पैदल चलूंगा तो आपके मन में भी भाव उठेगा कि मंत्री होकर पैदल चल रहा है, हमें भी अपने गांव के लिए कुछ करना होगा।

यात्रा सफल तो बाकी से भी पैदल निकलने कहूंगा
शिवराज ने कहा कि दिन न रात पैदल चला चल शिवराज…. अगर यह यात्रा सफल होती है तो बाकी लोगों को भी पैदल निकलने कहूंगा। उन्होंने कहा कि यात्रा में प्रशासन और नागरिक शामिल रहेंगे। सभी साथ मिलकर सरकारी योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने पर विचार करेंगे।
जल्द ही वैज्ञानिकों की एक टीम सीहोर जिले में आएगी, जो मिट्टी की उर्वरक क्षमता की जांच करेगी। इसके आधार पर किसानों को खेती संबंधी सलाह दी जाएगी।

सभी सुख-चैन से रहें ऐसा भारत बनाएंगे
शिवराज ने विकसित भारत लोगों में प्रेम सद्भाव और भाईचारा बनाए रखने कहा। उन्होंने कहा कि हमारे विकसित भारत में सभी लोग आराम से जिंदगी बिताएं, जीवन की न्यूनतम आवश्यकता पूरी हों।
सड़क, बिजली पानी का जाल बिछा हो। उन्नत खेती होती हो। बच्चे ठीक से पढ़ते हों। मां-बहन का सम्मान होता हो। हर परिवार रोजगार से जुड़ा हो। धरती पर कोई भूखा न सोए। इलाज की बेहतर सुविधाएं हों।

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