भोपाल। राजधानी भोपाल में सिया (SEIAA – स्टेट एनवायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी) के चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान का दफ्तर सील कर दिया गया है। पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. नवनीत मोहन कोठारी के निर्देश पर सोमवार को यह कार्रवाई होना बताई जा रही है। खास बात यह है कि सुबह दफ्तर सील किया गया, दोपहर करीब 3.30 बजे खोल भी दिया गया। इसके बाद सिया के चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान अपने चेंबर में बैठने पहुंचे। इस मामले में विदेश यात्रा पर गये मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा हस्तक्षेप किये जाने की भी खबर है।
दफ्तर सील किए जाने को लेकर सिया के चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान ने कहा कि मैंने परमिशन जारी करने में हुए भ्रष्टाचार को उजागर किया था, इसलिए यह कार्रवाई की गई है। वहीं प्रमुख सचिव कोठारी ने कहा कि बिजली फाल्ट था, इसलिए कक्ष बंद किया। जिसका उन्होंने कुछ और अर्थ निकाल लिया।
सिया के चेयरमैन बोले- प्रमुख सचिव ने गड़बड़ी की
सिया के चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान ने बताया कि पिछले लगभग 65 दिनों से सिया की कोई बैठक नहीं हुई है जबकि नियमानुसार सिया के खातों का निराकरण 45 दिनों के भीतर करना अनिवार्य है। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो संबंधित अधिकारियों का अप्रेजल नहीं हो सकेगा।
चेयरमैन ने कहा, जब मैं पत्र तैयार कराने के लिए सिया कार्यालय गया, तो कार्यालय बंद मिला। मैंने प्रशासनिक अधिकारी को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रमुख सचिव नवनीत कोठारी ने निर्देश दिए कि सिया के अध्यक्ष को कार्यालय के कक्ष में नहीं बैठने दिया जाए। कहा गया कि जिस दिन बैठक होगी, उस दिन केवल मीटिंग हॉल में ही बैठेंगे। कार्यालय तब तक बंद ही रहेगा।उन्होंने आगे बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद ही कार्यालय खोला गया। जब मैंने स्थिति की जानकारी ली, तो पता चला कि नवनीत कोठारी और आर. उमा माहेश्वरी ने गंभीर अनियमितताएं की हैं। भ्रष्टाचार हुआ है, जिसकी जानकारी मुझे मिली। उससे घबराकर कार्यालय बंद कर दिया होगा। लेकिन सभी बातें वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में आई तो फिर उन्होंने यह कक्ष खुलवाया। हालांकि ये बताया जा रहा है कि मामला सीएम तक पहुँच गया था और उन्होंने अधिकारियों से इस मामले को लेकर नाराजगी जाहिर की।
पर्यावरण क्लीयरेंस में गड़बड़ी का आरोप लगाया
शिवनारायण सिंह चौहान ने बताया कि एनवायरनमेंट क्लीयरेंस (EC) जारी करने की अधिकृत एजेंसियां केवल दो हैं- भारत सरकार और SEIAA – स्टेट एनवायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी, इनके अलावा कोई भी संस्था EC यानी इनवायरनमेंट क्लीयरेंस जारी नहीं कर सकती। लेकिन नवनीत कोठारी, जो पर्यावरण विभाग में सचिव हैं, उन्होंने अपने स्तर पर 450 केसों में से चुन-चुन कर 237 मामलों में EC जारी कर दी।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह गंभीर अनियमितता है, जिसमें 5 साल तक की सजा का प्रावधान है। इसे शासन के संज्ञान में लाना मेरा कर्तव्य था और मैंने यह बात संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाई है।
कोठारी बोले- बिजली फाल्ट था, इसलिए कक्ष बंद किया
इस मामले में प्रमुख सचिव पर्यावरण विभाग डॉ. नवनीत मोहन कोठारी ने कहा कि यह जानकारी मिली थी कि बिजली लाइन में फाल्ट है। इसलिए फाल्ट ठीक होने तक रोका गया था। फाल्ट ठीक होने के बाद कक्ष खोला गया। सिया के चेयरमैन को भी इसकी जानकारी दी गई थी और सुधार होने तक दूसरे कक्ष में बैठने के लिए कहा गया था। लेकिन इसका उन्होंने कुछ और अर्थ निकाल लिया।
सिया चेयरमैन ने मुख्य सचिव से की थी शिकायत
पिछले हफ्ते सिया के चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर प्रमुख सचिव पर्यावरण डॉ. कोठारी और एप्को डायरेक्टर उमा आर माहेश्वरी पर आपराधिक केस दर्ज कराने के लिए कहा था। यह पूरा मामला 450 प्रकरणों में पर्यावरणीय अनुमति दिए जाने से जुड़ा है। सिया चेयरमैन का कहना है कि परमिशन देने का अधिकार डायरेक्टर या प्रमुख सचिव को है ही नहीं, इसके बाद भी ऐसा करना अपराध की श्रेणी में आता है।
परमिशन देने वाले को 5 साल सजा का प्रावधान
सिया के नियमों में साफ लिखा है कि सिया की कमेटी के अलावा कोई परमिशन जारी नहीं कर सकता है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसे 5 साल की सजा का प्रावधान है। इसी आधार पर सिया के चेयरमैन ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर आपराधिक मामला दर्ज कराने की मांग की है।
सरकार के नियमों में प्रावधान है कि 250 हेक्टेयर से अधिक की भूमि के मामले में पर्यावरणीय अनुमति केंद्र सरकार देगी और इससे कम 250 हेक्टेयर तक या इससे कम के मामलों में सिया ही अनुमति देगी। अगर सिया कमेटी नहीं है तो इस पर केंद्र सरकार ही परमिशन देगी।
237 मामलों में आदेश जारी, बाकी के नहीं किए
मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा गया है कि खनिज के 200 समेत 450 केस में पर्यावरणीय मंजूरी के मामले में स्टेट एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (सिया) की अनदेखी की गई है। प्रमुख सचिव और एप्को डायरेक्टर ने 700 से अधिक लंबित प्रकरणों में से 237 पर्यावरणीय मंजूरियां गैर कानूनी तरीके से पिक एंड चूज पैटर्न पर जारी कर दी है जबकि सिंहस्थ से जुड़े कई अहम प्रोजेक्ट को लटकाकर रखा है।
23 मई को सामने आया था मंजूरी देने का मामला
प्रदेश में खनिज, उद्योग और बड़े निर्माण प्रोजेक्ट को पर्यावरणीय मंजूरी जारी करने का यह मामला 23 मई को तब सामने आया, जब स्टेट एनवायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (SEIAA) की मंजूरी के बिना एप्को के प्रभारी सदस्य सचिव श्रीमन शुक्ला ने प्रमुख सचिव के अनुमोदन से 450 मामलों में डीम्ड पर्यावरणीय मंजूरी जारी कर दी है।
23 मई को यह ईसी जारी की गई थी, जिसमें 200 से अधिक मामले खनिज विभाग से संबंधित रहे। चौहान ने डीम्ड परमिशन जारी किए जाने को गैर कानूनी बताते हुए पूरे मामले की शिकायत केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से कर दी है।
चौहान ने पहले भी की थी आपत्ति, नहीं हुई कार्रवाई
चौहान ने इस मामले में एक रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजकर मप्र में पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन कर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। 22 मई से एसईईएआई की मेंबर सेक्रेटरी और एप्को की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर आर उमा माहेश्वरी मेडिकल लीव पर गईं। एसईईएआई के मेंबर सेक्रेटरी का अस्थाई प्रभार जनजातीय कार्य विभाग के आयुक्त श्रीमन शुक्ला को दिया गया।
शुक्ला ने प्रभार मिलने के अगले ही दिन ईआईए नोटिफिकेशन के पैरा-8 की कंडिका-iii का हवाला देते हुए 45 दिन में सिया द्वारा निर्णय नहीं लिए जाने पर 450 मामलों में पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत मोहन के अनुमोदन का हवाला देकर डीम्ड एप्रूवल जारी कर दिए।
चौहान 50 से अधिक पत्र लिख चुके, सुनवाई नहीं
सीएस को लिखे पत्र में चौहान ने कहा है कि आवेदकों की पर्यावरण मंजूरी (ईसी) की अनुमति में कूटरचना कर इसकी असत्य व्याख्या की और डीम्ड एप्रूवल दे दिया है। डायरेक्टर की कार्यप्रणाली और अनियमितताओं को लेकर 50 से अधिक पत्र मैं लिख चुका हूं। पर्यावरण विभाग में फैली अराजकता को दूर करने के लिए इस कदाचरण पर सख्त कार्रवाई करना जरूरी है ताकि कानून का राज स्थापित हो सके।