Sahara Jameen Ghotala : 1000 करोड़ की जमीन 130 करोड़ में बेची, 3 अफसरों के बयान- संचालकों के कहने पर किए थे कागजों पर हस्ताक्षर

भोपाल। सहारा समूह द्वारा भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, सागर और कटनी में 1000 करोड़ की जमीन रसूखदारों को 130 करोड़ में बेचने के मामले में ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ) ने सहारा के 3 अफसरों से पूछताछ की। इन सभी ने अपने बयान में दावा किया कि उन्होंने कंपनी के संचालकों के कहने पर जमीन के सौदे से जुड़े दस्तावेजों पर दस्तखत किए। इन्होंने प्रदेश के अलग-अलग शहरों में बेशकीमती जमीन कौडयों के दाम बेचने और उससे हासिल रकम के बारे में किसी अन्य तरह की जानकारी होने से साफ इनकार कर दिया।

अब इस मामले में सहारा के कर्ता धर्ता रहे सुब्रत रॉय के छोटे बेटे सीमांतो रॉय का भी नाम भी सामने आ गया है। जानकारी के अनुसार सुब्रत रॉय की मृत्यु के बाद वह विदेश में रहकर ही मुंबई ऑफिस को संभाल रहा है। इसके अलावा सहारा के दो संचालकों जेबी रॉय और ओपी श्रीवास्तव को भी ईओडब्ल्यू ने जांच के लिए बुलाया था, लेकिन उन्होंने ईमेल के जरिए जवाब देते हुए फिलहाल बयान दर्ज कराने में अलग-अलग कारणों से असमर्थता जताई है।

एक ने विदेश में इलाज तो दूसरे ने लखनऊ से बाहर होने को बताया बजहः इस जमीन घोटाले में प्रारंभिक जांच दर्ज करने के बाद छानबीन कर रही ईओडब्ल्यू ने सोमवार और मंगलवार को सहारा समूह के वर्तमान संचालक जेबी रॉय और ओपी श्रीवास्तव को पूछताछ के लिए नोटिस जारी कर तलब किया था। दोनों ने अपने जवाब ईमेल के जरिए ईओडब्ल्यू को भेजे.

जेबी रॉय ने अपने मेल में लिखा है कि वह फिलहाल गंभीर रूप से बीमार है और उसका इलाज दुबई और सिंगापुर में चल रहा है, इस कारण वह नहीं आ सकता। दूसरे संचालक ओपी श्रीवास्तव की तरफ से भेजे गए मेल में बताया गया कि उसे ईओडब्ल्यू का नोटिस पूछताछ वाले दिन ही मिला था और वह सहारा के लखनऊ स्थित मुख्यालय से बाहर होने के कारण फिलहाल ईओडब्ल्यू के सामने पेश नहीं हो सकता। इन दोनों संचालकों के मेल के बाद अब ईओडब्ल्यू उन्हें भोपाल में होने वाली पूछताछ के लिए अगली तारीख देगा। इस जांच को लेकर विगत दिनों ईओडब्ल्यू की एक टीम ने सहारा समूह के लखनऊ स्थित मुख्यालय पर दबिश दी थी, जिसके बाद से अब सहारा के अधिकारी न केवल बयान दर्ज कराने खुद भोपाल आ रहे हैं, बल्कि उनके संचालक भी ईओडब्ल्यू को नोटिस का जवाब दे रहे हैं।

तीन अफसरों से ली प्रदेश भर में जमीन की जानकारी

इस मामले में सोमवार से लेकर गुरुवार तक सहारा प्राइम सिटी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) रहे अमितेष आहूजा, चीफ मैनेजर विनीत सक्सेना और डिप्टी मैनेजर रजनीश भूषण पांडे से पूछताछ की। इन तीनों के नाम जगीन सौदों से जुड़े दस्तावेजों में ईओडब्ल्यू को मिले थे। इन सभी ने एक जैसा बयान दिया है। तीनों ने कहा है कि सहारा समूह में जमीन की सौदेबाजी से जुड़े फैसले संचालकों द्वारा लिए जाते थे और वे कर्मचारी होने के नाते उन सभी पेपर्स पर दस्तखत कर देते थे जो उनके पास भेजे जाते थे। इन तीनों ने यह भी साफ कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि सहारा की जमीनों की बिक्री से आई हुई रकम किस खाते में जमा कराई गई और बाद में उसका क्या उपयोग हुआ। इससे पहले सहारा के कॉर्पोरेट क्रेडिट डिपार्टमेंट के ईडी अनिल इब्राहिम ने भी ईओडब्ल्यू के भोपाल दफ्तर पहुंचकर जबलपुर और कटनी की जमीनों की बिक्री को लेकर कई अहम जानकारियां ईओडब्ल्यू को दी थीं।

इस तरह की गई धोखाधड़ी

सहारा रियल एस्टेट की भोपाल, जबलपुर और कटनी की 800 करोड़ मार्केट रेट वाली लगभग 312 एकड़ जमीन केवल 90 करोड़ रुपए में बीजेपी के विधायक संजय पाठक के परिजनों की कंपनियों को बेची गई है। इसके अलावा, ग्वालियर में 52.4 और सागर में 100 एकड़ जमीन लगभग 40 करोड़ में बेच दी गई, जबकि इसका बाजार भाव लगभग 200 करोड़ है। सुप्रीम कोर्ट ने इन जमीनों की बिक्री के बाद आने वाली रकम सहारा-सेबी के व्वाइंट खाते में जमा कराने के आदेश दिए हैं, जबकि पड़ताल में पता चला है कि सहारा ने जमीन के सौदे से हासिल रकम अपनी ही सहयोगी कंपनी हमारा इंडिया के खाते में ट्रांसफर की है। इस मामले की शिकायत कटनी निवासी आशुतोष मनु दीक्षित ने ईओडब्ल्यू को दस्तावेजों के साथ की थी। आरोप है कि सहारा ने प्रदेश के कुछ रसूखदारों से मिलकर न केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया बल्कि बाजार भाव से कम दाम पर रजिस्ट्री कर सरकार को भी करोड़ों के राजस्व का नुकसान पहुंचाया।

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