RGPV : फॉरेंसिक ऑडिट में खुलासा, 116 करोड़ की हेराफेरी, 8.58 करोड़ रुपए की 5 एफडी रिकॉर्ड से गायब

भोपाल। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) के फॉरेंसिक ऑडिट में 116 करोड़ रुपए से अधिक राशि की अनियमितता का खुलासा हुआ है। 7.91 करोड़ रुपए के पांच फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) तो रिकॉर्ड से पूरी तरह गायब हैं। मेच्योर होने पर इनकी अनुमानित राशि 8.58 करोड़ तक पहुंचती है।

रिकॉर्ड में न तो इन एफडी का बंद होना दर्ज है, न नवीनीकरण, न किसी खाते में रकम आने के सबूत। कुछ जगह मूल एफडीआर प्रमाणपत्र ही गायब हैं तो कुछ एफडी बैंक में हैं, लेकिन विवि के लेजर में दर्ज नहीं है।
बार-बार पत्र लिखने के बाद भी बैंक कोई संतोषजनक जानकारी नहीं दे पाए। कई मेच्योर एफडी का बिना अनुमति बार-बार दोबारा निवेश किया गया, राशि कभी जोड़कर तो कभी बांटकर अलग-अलग शाखाओं में भेजी गईं। बता दें कि आरजीपीवी में उजागर हुए 19.40 करोड़ रुपए के एफडी घोटाले के बाद फॉरेंसिक ऑडिट कराया गया था।

2015-16 से 2023-24 तक के फॉरेंसिक ऑडिट में बड़ी वित्तीय लूट उजागर हुई है। अभाविप ने तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
फॉरेंसिक ऑडिट में ये गंभीर खुलासे
मूल राशि और मनी ट्रेल का पता लगाना मुश्किल
कई मामलों में मूल एफडी रसीदें उपलब्ध नहीं हैं। मेच्योर हो चुकी एफडी की राशि को सालों तक कई बैंकों में बार-बार डाला गया, लेकिन रिकॉर्ड नहीं रखा। इससे मनी ट्रेल का पता लगाना मुश्किल है। विवि से मंजूरी भी नहीं दी गई थी।

एफडी का आरजीपीवी के रिकॉर्ड में न होना…
कुछ एफडी बैंक में मौजूद थीं, लेकिन विवि की खाता-बही (बुक्स ऑफ एकाउंट्स ) में दर्ज ही नहीं थीं। विभिन्न बैंकों द्वारा रिपोर्ट किया गया टीडीएस विश्वविद्यालय के फॉर्म 26 एएस में पूरी तरह दर्ज नहीं मिला।

फंड डायवर्जन की बड़ी आशंका…
विवि का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) खाता संख्या 537102010000350 कई उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा रहा है। जैसे एफडी बनाना, फीस जमा, ब्याज और बैंकों के बीच धन हस्तांतरण। इस खाते में कार्यों का अलग-अलग वर्गीकरण और निगरानी नहीं है, जिससे फंड डायवर्जन की प्रबल संभावनाएं हैं।

बिना अनुमति समय से पहले एफडी तोड़ीं
कुछ एफडी को समय से पहले तोड़ा गया, लेकिन कोई औपचारिक स्वीकृति पत्र रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं मिले। यह स्थिति वित्तीय नियमों के उल्लंघन को दर्शाती है। जांच करना आवश्यक है कि एफडी क्यों तोड़ी गई, किसने अनुमति दी? राशि का उपयोग कहां किया गया?

एक्सिस बैंक के 115 करोड़ रुपए सीज
रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि एक्सिस बैंक से मिली जानकारी के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निर्देश पर बचत खाते संख्या 923010064993303 पर लियन लगाया गया है। यह लियन राशि 1,15,71,87,292 रुपए है, जिसमें कुल 4 एफडी की राशि 1,15,65,23,540 रुपए शामिल है।

विवि में वित्तीय इमरजेंसी घोषित की जाए
रिपोर्ट से स्पष्ट है कि आरजीपीवी में वित्तीय अराजकता है। बैंकों की मिलीभगत संभव है। केंद्रीय एजेंसी से जांच कराना चाहिए। सरकार को प्रबंधन हाथ में लेना चाहिए। -डॉ. एचएस त्रिपाठी, पूर्व रजिस्ट्रार, बीयू
कार्य परिषद के समक्ष रखी जाएगी रिपोर्ट
हम इस फॉरेंसिक रिपोर्ट को फाइनेंस कमेटी और कार्य परिषद के समक्ष रख रहे हैं। सिस्टम में सुधार के लिए कार्रवाई आवश्यक है। -प्रो. एससी चौबे, कार्यवाहक कुलगुरु, आरजीपीवी

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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