MP : सरकार के वित्त प्रबंधन पर कसावट की तैयारी, AG ने वित्त विभाग को लिखा पत्र, 16 साल पुराने आदेश पर कमेटी बनाने के निर्देश

भोपाल। ऑडिटर जनरल कार्यालय अब प्रदेश के सभी विभागों की ऑडिट आपत्तियों पर सीधी निगरानी करने की तैयारी में है। इसके जरिए फाइनेंस मैनेजमेंट पर कसावट लाई जाएगी और सरकार के खर्चों की मॉनिटरिंग की जाएगी। इसी के मद्देनजर प्रदेश में सोलह साल पुराने एक आदेश पर अब विभाग प्रमुखों को एक कमेटी बनाने के निर्देश दिए गए हैं। यह निर्देश ऑडिटर जनरल के पत्र के बाद वित्त विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों और विभागों के अपर मुख्य सचिवों को दिए हैं।
वित्त विभाग द्वारा निर्देश में कहा गया है कि आडिट आपत्तियों की जांच के लिए कमेटी गठन करने का निर्देश 2009 में दिया गया था। उसके आधार पर कमेटी का गठन किया जाए और अगर गठन की स्थिति नहीं है तो इसकी जानकारी ऑडिटर जनरल को दी जाए। इसके साथ ही वित्त विभाग के साफ्टवेयर से भी ऑडिटर जनरल कार्यालय को सीधे जोड़ने की तैयारी की जा रही है।
दरअसल महालेखाकार ने 11 मई 2025 को प्रदेश के 14 चयनित विभागों के लिए शासन स्तर पर एंट्री कॉन्फ्रेंस को लेकर पत्र लिखा था। अपर मुख्य सचिव (वित्त) को लिखे पत्र में 15 मई से 23 मई तक 14 चयनित विभागों का सम्मेलन कराने का फैसला किया गया। इसमें जिन मुद्दों पर चर्चा की गई, उनमें से एक मामला ग्वालियर के ऑडिटर जनरल के वरिष्ठ लेखा परीक्षा अधिकारियों और विभागों के अपर मुख्य सचिव, निजी सचिव, विभागाध्यक्षों और वित्त विभाग के अफसरों के बीच को आर्डिनेशन से संबंधित था। इसके बाद इन विभागों की लेखा परीक्षा समितियों में वित्त विभाग के प्रतिनिधियों को नॉमिनेट करने के लिए कहा गया है।
विभागों द्वारा सरकारी काम में आईटी के प्रयोग और लेखा परीक्षा अधिकारियों तक इसकी जानकारी पहुंचाने पर भी फोकस किया गया है। प्रधान महालेखाकार ग्वालियर के कार्यालय ने लेखा परीक्षा के लिए राज्य सरकार के एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (IFMS) और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PFMS) के मॉड्यूल, डेटा, रिकॉर्ड की जानकारी भी चाही है।
ऐसे बनेगी सोलह साल पुराने आदेश के आधार पर कमेटी
वर्ष 2009 के सोलह साल पुराने आदेश के आधार पर जो विभागीय ऑडिट कमेटी बनाई जाना है, उसमें प्रमुख सचिव, सचिव, संबंधित विभाग के एचओडी, वित्त विभाग के बजट सेक्शन के अपर सचिव, उप सचिव स्तर के अफसर, वरिष्ठ उप-महालेखाकार, उप-महालेखाकार शामिल होंगे। कमेटी की हर तीन माह में बैठक होगी। यह समिति पेंडिंग आडिट आपत्तियों का निराकरण कराने और ऑडिटर जनरल द्वारा की गई आपत्तियों के समय पर निराकरण का काम करेगी।





