पटना। पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात के बाद बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी हलचल मचाने वाला बयान दिया। उन्होंने इशारों में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार मानने से इनकार करते हुए राजेश राम और तारिक अनवर को कांग्रेस की ओर से संभावित चेहरे के रूप में पेश किया। बता दें कि पप्पू यादव अपनी जन अधिकार पार्टी को कांग्रेस में विलय कर चुके हैं। वह कांग्रेस के बड़े नेताओं के संपर्क में हैं। हाल में ही राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात के बाद कहा कि उन्हें दोनों नेताओं का आशीर्वाद प्राप्त है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राहुल गांधी की प्राथमिकता एनडीए और बीजेपी को रोकना है। पप्पू यादव ने बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम को बड़ी भूमिका सौंपे जाने की बात कही और उन्हें संभावित मुख्यमंत्री चेहरों में से एक बताया। इसके साथ ही उन्होंने तारिक अनवर का नाम भी प्रस्तावित किया, जिससे तेजस्वी यादव की उम्मीदवारी पर सवाल उठ गए।
पप्पू यादव के इस बयान ने महागठबंधन में दरार की अटकलों को हवा दी है, जबकि राजद ने स्पष्ट किया कि तेजस्वी यादव ही उनके नेता रहेंगे। राजद ने उनके बयान को खारिज करते हुए कहा कि तेजस्वी यादव 2020 की तरह ही 2025 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का नेता हैं। वहीं, दूसरी ओर पप्पू यादव का कांग्रेस के नेताओं को आगे करने वाला यह बयान बिहार की राजनीति में नये मोड़ का संकेत देता हुआ प्रतीत हो रहा है। पप्पू यादव ने स्पष्ट किया कि वह स्वयं मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं, लेकिन कांग्रेस की ओर से तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार घोषित करने पर भी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। हालांकि, उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का अंतिम निर्णय ही मायने रखेगा। जाहिर है पप्पू यादव का यह बयान महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठाता है, खासकर तब जब राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने दोहराया कि 2020 की तरह 2025 में भी तेजस्वी यादव ही उनके नेता हैं और मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी।
जानकार बताते हैं कि पप्पू यादव का तेजस्वी को सीएम चेहरा न मानना और हाल के बिहार बंद में उनके साथ मंच साझा न करने की घटना महागठबंधन में तनाव का संकेत देती है। बीते 9 जुलाई को पटना में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ चक्का जाम के दौरान पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को मंच पर जगह नहीं दी गई थी, जिसे राजद के दबदबे से जोड़कर देखा गया। पप्पू यादव ने इसे अपमान न मानते हुए जनता के लिए बलिदान बताया, लेकिन उनके ताजा बयान से साफ है कि वह राजद की एकछत्र भूमिका को चुनौती दे रहे हैं। जानकारों का मानना है कि पप्पू यादव का यह कदम सीमांचल क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ और मुस्लिम-यादव वोट बैंक पर प्रभाव को बताता है। उनकी स्वतंत्र उम्मीदवाक के तौर पर जीत और लोकप्रियता महागठबंधन के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन राजद के साथ उनकी तल्खी गठबंधन की रणनीति को प्रभावित कर सकती है। दूसरी ओर, कांग्रेस बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है और राहुल गांधी की लगातार यात्राओं से दलित और शहरी वोटरों को लुभाने की रणनीति बना रही है।
नेतृत्व को लेकर मतभेद गहरा
दूसरी ओर राजद प्रवक्ता मृत्युंजय कुमार तिवारी ने पप्पू यादव के बयान को उनकी निजी राय बताकर पल्ला झाड़ लिया, लेकिन यह स्पष्ट है कि महागठबंधन में सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर मतभेद गहरा रहे हैं। अगर कांग्रेस तेजस्वी को सीएम चेहरा घोषित करने में देरी करती है तो गठबंधन की एकता खतरे में पड़ सकती है। पप्पू यादव का यह रुख बिहार की सियासत में नया मोड़ ला सकता है, जहां एनडीए के खिलाफ लड़ाई में विपक्ष की एकजुटता अहम होगी।