सेमीकंडक्टर उत्पादन में वैश्विक शक्ति बनने की राह पर

सरकार साल 2030 के आखिर तक कुल वैश्विक सेमीकंडक्टर चिप उत्पादन की 5 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने का लक्ष्य बना रही है। इसके लिए वह भारतीय सेमीकंडक्टर योजना 2.0 के अगले चरण की तैयारी कर रही है। वह पहले ही 10 अरब डॉलर के वितरण की प्रतिबद्धता जता चुकी है, जिसकी घोषणा उसने की थी। यह राशि सेमीकॉन फैब के संभावित भागीदारों के साथ-साथ ओएसएटी और एटीएमपी कंपनियों को प्रोत्साहन के रूप में दी जाएगी। इस योजना के तहत पहले ही करीब पांच परियोजनाएं पात्र पाई गई हैं।

इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने अभी शुरुआत की है। हमारे सामने लंबा रास्ता है। हमारा लक्ष्य वैश्विक चिप उत्पादन क्षमता का 5 प्रतिशत हिस्सा हासिल करना है। काफी कुछ किया जाना बाकी है।’

उद्योग की शीर्ष संस्था – इंडियन इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (आईईएसए) के अनुसार मंत्रालय अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए अब तक परियोजनाओं की प्रतिदिन 7.5 करोड़ से अधिक चिप उत्पादन की कुल क्षमता को मंजूरी दे चुका है। अलबत्ता अगर इस संख्या में राज्यों से स्वीकृत परियोजनाओं को भी जोड़ दिया जाए तो यह प्रतिदिन 9.1 करोड़ चिप तक पहुंच जाएगी। 

आईईएसए और सेमी इंडिया के अध्यक्ष अशोक चांडक कहते हैं, ‘इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से मंजूर पांच परियोजनाओं से स्वीकृत परियोजनाएं प्रतिदिन लगभग 7.5 करोड़ चिप क्षमता हैं। इसके अलावा राज्यों से स्वीकृत अन्य परियोजनाएं भी हैं जो प्रतिदिन 1.6 करोड़ चिप क्षमता और जोड़ देंगी। इस क्षमता के साथ भारत अपनी घरेलू मांग के एक हिस्से की पूर्ति करने के साथ-साथ निर्यात बाजार में भी प्रवेश कर सकेगा।’

यह निश्चित रूप से केवल पहला चरण है। राज्य परियोजनाओं में गुजरात में सुचि सेमीकॉन, महाराष्ट्र में आरआरपी इलेक्ट्रॉनिक्स, उड़ीसा में आरआईआर शामिल हैं। ये चालू होने पर सामूहिक रूप से प्रतिदिन एक करोड़ चिप का उत्पादन करेंगी। चेन्नई की पॉलीमैटेक पहले से ही चालू है। वर्तमान में इसकी क्षमता प्रतिदिन 60 लाख चिप है। एक अन्य संयंत्र छत्तीसगढ़ में स्थापित किया जा रहा है।

माइक्रोन भी मैदान में है और उम्मीद है कि वह इस साल के अंत में भारत में बने पहले चिप पेश करेगी। हालांकि उसने आधिकारिक तौर पर अपनी क्षमता की घोषणा नहीं की है, लेकिन उद्योग के सूत्रों का कहना है कि उसकी क्षमता प्रतिदिन करीब 48 लाख चिप होगी। सेमी (वैश्विक सेमीकॉन एसोसिएशन के निकाय) के विश्व फैब पूर्वानुमान के अनुसार वैश्विक फैब क्षमता साल 2024 में प्रति माह 3.1 करोड़ तक पहुंच चुकी है। 

सेमीकॉन योजना 2.0 के तहत इसके तंत्र के विस्तार पर भी ध्यान दिया जाएगा जिसमें वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला भी शामिल है। इसमें अन्य चीजों के अलावा विशिष्ट रसायन और गैसें भी शामिल हैं जो फैब बनाने के लिए जरूरी होती हैं। चिप निर्माण क्षमता का विस्तार करने में इस तंत्र का निर्माण महत्त्वपूर्ण होता है।

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