भोपाल। विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने आज जल जीवन मिशन को लेकर राज्य सरकार को घेरा। कटारे ने कहा कि प्रदेश के गांवों में हर-घर जल पहुंचाने के लिए संचालित जल जीवन मिशन (JJM) राजनेता, प्रशासनिक एवं विभागीय अधिकारियों के गठजोड़ का शिकार हो गया है। इसमें 10,000 करोड़ का सुनियोजित भ्रष्टाचार हुआ है।
कटारे ने कहा कि भ्रष्टाचार के कारण मिशन का नाम बदलकर जल्दी-जल्दी-मनी मिशन बना दिया है। इस घोटाले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि पूर्व प्रमुख अभियंता समेत कार्यपालन यंत्रियों और रेट रिवाइज करने वाले अफसरों के साथ विभागों के प्रमुख सचिवों, मंत्री स्टाफ पर अपराध दर्ज किया जाना चाहिए।
मीडिया से चर्चा में कटारे ने कहा कि मुख्यमंत्री नल जल योजना पहले से ही फेल थी, लेकिन जल्दी-जल्दी-मनी डकारने जल जीवन मिशन को भी लूट खसोट की स्थिति में ला दिया गया। उन्होंने कहा कि पीएचई के प्रमुख अभियंता कार्यालय के नोडल अधिकारी आलोक अग्रवाल ने ई-मेल से प्रदेश के सभी जिलों को एक मॉडल डीपीआर का प्रारूप भेजकर निर्देशित किया कि वह इसमें आंकड़े फीड कर भेज दें। उसी के अनुरूप क्रियान्वयन हुआ, जबकि वास्तविक डीपीआर फील्ड से बनानी थी।
कटारे ने आरोप लगाया कि मिशन में स्थिति यह रही कि जिस अधिकारी को जितना फण्ड चाहिए, वह आलोक अग्रवाल व महेन्द्र खरे से बात कर एक प्रतिशत कमीशन पहुंचा देता और इसके बाद ये सीधे प्रमुख अभियंता से उसी दिन फंड जारी करा देते थे। कटारे ने कहा कि पीएचई के पूर्व प्रमुख अभियंता केके सोनगरिया, आलोक अग्रवाल व महेंद्र खरे के मोबाइल नंबरों की सीडीआर, रिकार्डिंग की जांच से इसका खुलासा हो जाएगा।
कटारे ने ये आरोप लगाए सरकार पर
योजना में सिल्वर लोनिजर नाम का इंस्ट्रूमेंट खरीदने में घपला किया है। नोडल अधिकारी के मौखिक निर्देश पर 4 हजार रुपए का यह यंत्र 70,000 से 1 लाख रुपए तक में खरीदा गया है जबकि आईआईटी चेन्नई की रिपोर्ट अनुसार इस यंत्र की कोई उपयोगिता नहीं थी।
पुरानी पाइप लाइन बिछाकर नए बिल लगा दिए गए जिसका खुलासा सीआईपीईटी (CIPET) की रिपोर्ट से हुआ, जिसमें बताया कि ठेकेदारों ने थर्ड पार्टी टेस्टिंग तो कराई लेकिन हकीकत में माल उठाया ही नहीं गया।
नई साजिश के अंतर्गत पैसा खत्म होने पर ठेकेदारों से एक प्रतिशत राशि लेकर पुराने टेंडरों को रिवाइज्ड कर सभी जिले के टेंडरों में वृद्धि की गई। विभाग की मंत्री के प्रभार के जिले सिंगरौली में 265 प्रतिशत, सिवनी में 117, शिवपुरी में 184 प्रतिशत तक रेट रिवाइज हुए। इस तरह 15 से अधिक जिलों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। इससे 2750 करोड़ की अतिरिक्त राशि का खर्च सरकार को उठाना पड़ा।
मेन्युअल अनुसार टेंडर में 10 प्रतिशत से अधिक वृद्धि होने पर नई टेंडर प्रक्रिया अपनाने का प्रावधान है, किन्तु अधिकारियों ने सांठ-गांठ कर पुराने ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया।
मेन्युअल अनुसार टेंडर में 10 प्रतिशत से अधिक वृद्धि होने पर नई टेंडर प्रक्रिया अपनाने का प्रावधान है, किन्तु अधिकारियों ने सांठ-गांठ कर पुराने ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया।
इस गंभीर अनियमितता में उप यंत्री एवं सहायक यंत्रियों को नोटिस जारी किए जबकि जिन कार्यपालन यंत्री, अधीक्षण यंत्री, मुख्य अभियंता और प्रमुख अभियंता ने तकनीकी स्वीकृतियां दीं उन्हें क्लीन चिट दे दी गई।
केन्द्र सरकार द्वारा थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन के लिए मे. इप्सोस रिसर्च लिमिटेड को नियुक्त किया था। इसकी जांच में पता चला कि राज्य सरकार द्वारा जिन गांवों को पूर्णतः हर-घर-जल घोषित किया था वहां इस फर्म द्वारा जांच करने पर भारी अनियमितताएं पाई गईं। वहां न नल मिले, न जल मिला।
प्रमुख अभियंता ने सभी को दे दी क्लीनचिट
मिशन में हजारों करोड़ की गड़बड़ी की शिकायत पर जांच की खानापूर्ति कर प्रमुख अभियंता ने सबको क्लीनचिट दे दी है। इन हालातों में जरूरी है कि इसकी सीबीआई जांच कराई जाए।
कटारे ने की पीएचई मंत्री संपतिया उइके को बर्खास्त करने की मांग।
इस मिशन में गड़बड़ी के सूत्रधार पूर्व प्रमुख अभियंता केके सोनगरिया, आलोक अग्रवाल, महेन्द्र खरे के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कर जांच कराई जाए। साथ ही विभाग के पूर्व एवं वर्तमान प्रमुख सचिव व मंत्री के स्टाफ सहित जितने भी रेट रिवीजन हुए उन योजनाओं की कंसल्टेंन्सी व तकनीकी स्वीकृति जारीकर्ता अधिकारियों के विरुद्ध भी अपराध पंजीबद्ध कर जांच कराएं।
