श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर राज्य के दर्जे को लेकर फिर सियासत तेज है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए भाजपा का मुख्यमंत्री जरूरी है, तब मैं उसके लिए कुर्सी छोड़ने को भी तैयार हूं। केंद्र की मोदी सरकार को अपना इरादा साफ रखना चाहिए। वहीं, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और भाजपा ने मुख्यमंत्री की घेराबंदी कर उनके बयान का ड्रामा बताया।
बता दें कि उमर ने कहा था कि राज्य का दर्जा मिलते ही अगले दिन मैं विधानसभा भंग कर दूंगा। उन्होंने कहा कि केंद्र को स्पष्ट शब्दों में बताना चाहिए कि क्या वह राज्य का दर्जा तभी देगी जब यहां भाजपा का मुख्यमंत्री होगा। अगर ऐसा हैं मैं कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार हूं।
प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह यही कहते आए हैं कि पहले चुनाव हो, फिर राज्य का दर्जा मिलेगा, हमें यहां सरकार बनाए हुए आठ माह हो चुके हैं। चुनावी वादों से पीछे हटने के लगाए जा रहे आरोपों पर उमर ने कहा कि हमें लोगों ने पांच वर्ष के लिए चुना है। आरक्षण संबंधी सवाल पर उमर ने कहा कि कानूनी स्पष्टता के लिए मामले को कानून विभाग को भेज दिया है। हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कैबिनेट का फैसला अदालत में न अटके।
वहीं भाजपा प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि उमर राज्य का दर्जा पाने के लिए नहीं, बल्कि नेकां को टूटने से बचाने के लिए ये ड्रामा कर रहे हैं। अगर उन्हें सच में अपनी बात पर यकीन है, तब उमर को इस्तीफा दे देना चाहिए।
इसके साथ ही पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने कहा कि उमर का इस्तीफा देने की पेशकश का ऐलान सिर्फ छलावा है। नेकां और इसके नेताओं को सिर्फ सत्ता से मतलब है। इन्हें राज्य का दर्जा नहीं कुर्सी चाहिए। पांच अगस्त 2019 को संसद में नेकां के तीन सांसद थे, क्या किसी ने इस्तीफा दिया था? लोन ने तंज कसते हुए कहा कि हां, मुझे याद आया वर्ष 1989 में जब कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई तब तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक साहब और नेकां की पूरी मंत्रिपरिषद इस्तीफा देकर कश्मीर छोड़कर भाग गई थी।
उमर अब्दुल्ला का सियासी ऐलान…… अगर ऐसा हैं मैं कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार हूं
