बिहार: बिहार में भले ही साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, लेकिन यहां सियासी तैयारी अभी से शुरू हो चुकी है. सीएम नीतीश सत्ता में काबिज रहना चाहते हैं. यही कारण है कि वे चुनावी साल को देखते हुए कई बड़े फैसले ले रहे हैं. इसके साथ ही वे सभी वर्गो को साधने की कोशिश में लगे हुए हैं. अब एक बार फिर बिहार में चुनाव से पहले नीतीश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है.
सीएम नीतीश कुमार ने सवर्ण जातियों के विकास के लिए आयोग का गठन किया है. बीजेपी नेता महाचंद्र सिंह को आयोग का अध्यक्ष और जेडीयू नेता राजीव रंजन प्रसाद को उपाध्यक्ष बनाया गया है. इसके एक दिन पहले ही जेडीयू नेता गुलाम रसूल को बिहार का अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था. खास बात ये है सीएम का ये फैसला पीएम मोदी के दौरे के ठीक बाद हुआ है. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार के काराकाट में जनसभा थी. इस जनसभा के बाद ही इस आयोग को लेकर अधिसूचना जारी की गई है.
सीएम नीतीश पहले भी बना चुके ऐसा आयोग
सीएम नीतीश का ये फैसला सवर्ण वर्ग के हितों को साधने और उनकी आवाज़ को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा राजनीतिक कदम माना जा रहा है. आयोग का पहला अध्यक्ष BJP के वरिष्ठ नेता महाचंद्र सिंह को नियुक्त किया गया है, जबकि JDU के राजीव रंजन प्रसाद आयोग के उपाध्यक्ष बनेंगे. यह नियुक्ति आगामी चुनावों में दोनों पार्टियों की सहयोगात्मक रणनीति को दर्शाती है. सीएम नीतीश ने इससे पहले साल 2011 में सवर्ण आयोग बनाया था, हालांकि कुछ कारणों के चलते उसे बाद में निष्क्रिय कर दिया गया था.
क्या होगा इस आयोग का काम?
सीएम नीतीश ने जो आयोग बनाया है, उसका काम सवर्ण वर्ग के मुद्दों को उठाना और उनका समाधान होगा. सीएम नीतीश के इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो ये सब चुनावी प्रयोग है. सीएम नीतीश हर वर्ग को अपनी ओर लाना चाहते हैं. इसी के तहत ये फैसला लिया गया है.