MP : नागरिक आपूर्ति निगम पर 63 हजार करोड़ का कर्ज, रोज 14 करोड़ ब्याज का बोझ

भोपाल। नागरिक आपूर्ति निगम पर 63 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है और इसके लिए सरकार को रोज 14 करोड़ 17 लाख रुपए ब्याज चुकाना पड़ रहा है। यह राशि अगर एक दिन लेट होती है तो सरकार को ब्याज पर ब्याज भी चुकाना पड़ता है। उधर रीवा जिले के सिरमौर विधानसभा क्षेत्र में 939 मीट्रिक टन धान गोदाम में रखे हुए सड़ गया और यह बीमारी व महामारी की वजह बन रहा है।

सरकार ने इसे छत्तीसगढ़ की कम्पनी को बेचा है पर खराब हो चुके धान को नहीं ले जा रही है। इसके चलते सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ है।

विधायक सुशील कुमार तिवारी ने खाद्य मंत्री से सवाल किया था कि क्‍या म.प्र. नागरिक आपूर्ति निगम 77 सौ करोड़ के कर्ज में है? क्‍या कर्ज पर 11 करोड़ रुपए रोज ब्‍याज की दर से लगभग 330 करोड़ रुपए ब्‍याज प्रतिमाह देय होता है, जिसकी भरपाई की जा रही है या नहीं की जा रही? क्‍या गलत प्रबंधन के कारण वित्‍तीय संकट उत्‍पन्‍न हुआ है? यदि नहीं, तो क्‍या कारण है और इस वित्‍तीय संकट के लिये कौन दोषी है?

खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि वर्तमान में एमपी स्‍टेट सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन लिमिटेड की बैंकों से उधार राशि रुपए 62944.71 करोड़ है। इस उधार राशि पर प्रति दिन बैंक ब्‍याज राशि 14.17 रुपए करोड़ आ रही है। आउट स्‍टेंडिंग राशि पर ब्‍याज मासिक तौर पर देय होता है। बैंकों को ब्‍याज का भुगतान नियमित रूप से किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि प्रदेश में भारी मात्रा में खरीदी एवं विकेन्‍द्रीकृत खरीदी योजना आदि कारणों से ऋण का भार बढ़ा है।

छग की कम्पनी नहीं ले जा रही 939 मीट्रिक टन सड़ा धान

विधायक दिव्यराज सिंह ने विधानसभा में सवाल पूछा कि सिरमौर के उमरी गांव वाले वेयरहाउस में क्या पिछले एक साल से खराब अनाज पड़ा हुआ है? अगर हाँ, तो फिर विभाग ने इस सड़े हुए अनाज को अभी तक हटाया क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि अनाज की बदबू पूरे इलाके में फैल रही है। अगर इससे कोई बीमारी या महामारी फैलती है, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? उन्होंने यह भी पूछा कि आखिर यह सड़ा हुआ अनाज कब तक हटाया जाएगा।

मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने अपने जवाब में माना कि उमरी वेयरहाउस में एक साल से खराब धान पड़ी हुई है। वर्ष 2020-21 में खरीदी गई धान की मिलिंग फरवरी 2022 तक करानी थी, लेकिन समय पर मिलिंग नहीं हो सकी और भारत सरकार से समय बढ़ाने की अनुमति भी नहीं मिली। इसलिए बची हुई धान को टेंडर से बेचने का फैसला लिया गया।

e-auction के जरिए खरीफ वर्ष 2020-21 की धान का लॉट क्रमांक 279 (कुल 3682 मीट्रिक टन) केंद्र भेड़रहा, मार्कफेड कैप उमरी से बेचा गया। मेसर्स जय अंबे एग्रोटेक ने 935 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर बोली जीती थी। उन्हें 12 जुलाई 2025 तक पूरी धान उठा लेनी थी, लेकिन उन्होंने सिर्फ 2742.956 मीट्रिक टन धान ही उठाई। बाकी 939.044 मीट्रिक टन धान अभी भी नहीं उठाई गई।
समय पर धान न उठाने और अनुबंध की शर्तें तोड़ने पर 7 नवंबर 2025 को एमपी स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन ने जय अंबे एग्रोटेक को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कंपनी को कहा गया है कि वह तुरंत बाकी 939.044 मीट्रिक टन धान उठा ले। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि सड़ा हुआ अनाज अगर किसी बीमारी का कारण बनता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी कंपनी की होगी।
इस मामले की जांच के लिए एक टीम भी बनाई गई है।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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