MP : और तहसीलदार साहब ने भिंड शहर को ही मार डाला…!

भिंड। जिले की मौत का सर्टिफिकेट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. लोग कह रहे हैं कि लगता है इस बार पूरा भिंड ही चल बसा! वहीं, इस मामले में जब तहसीलदार मोहन लाल शर्मा से बात की गई, तो उन्होंने इसे “टाइपिंग मिस्टेक” करार दिया और दोष लोकसेवा केंद्र के सिर मढ़ दिया।

मध्य प्रदेश का एक जिला है भिंड , लेकिन अब उसकी ‘मौत, हो चुकी है. जी हां, ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि यहां के एक तहसीलदार ने भिंड का डेथ सर्टिफिकेट (Death Certificate ) जारी कर दिया है. इस बात के खुलासे ने सबको हैरानी में डाल दिया है, क्योंकि इस बार मृतक का नाम किसी व्यक्ति का नहीं, बल्कि खुद जिले का  नाम ‘भिंड’ लिखा गया है.

वहीं, इस  पूरे मामले पर तहसीलदार ने अपनी गलती मानने के बजाय पलड़ा झाड़ते हुए लोक सेवा केंद्र की गलती बतानी शुरू कर दी है. इसके साथ ही लोक सेवा केंद्र के संचालक के ऊपर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया गया है.
नाम, पता और स्थान सभी जगह लिख दिया भिंड
दरअसल, ये पूरा मामला शहर के चतुर्वेदी नगर का है. यहां रहने वाले गोविंद के पिता रामहेत का निधन वर्ष 2018 में हो गया था. अप्रैल 2025 में जब उनके परिवार को डेथ सर्टिफिकेट की आवश्यकता पड़ी, तो उन्होंने आवेदन किया. 5 मई 2025 को जब भिंड तहसीलदार कार्यालय से प्रमाण पत्र जारी हुआ, तो इसे देखकर आवेदक के साथ ही बाकी के दूसरे लोग चौंक गए, क्योंकि उस प्रमाण पत्र में मृतक का नाम “भिंड”, पता “भिंड” और स्थान “भिंड” दर्ज था.

सोशल मीडिया पर लोग ले रहे हैं चुटकी
अब यह गजब सर्टिफिकेट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो चुका है. लोग कह रहे हैं कि लगता है इस बार पूरा जिला ही चल बसा! जब तहसीलदार मोहन लाल शर्मा से बात की गई, तो उन्होंने इसे “टाइपिंग मिस्टेक” करार दिया और दोष लोकसेवा केंद्र के सिर मढ़ दिया.

लोकसेवा प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई
तहसीलदार ने इस मामले में लोकसेवा प्रबंधन को दोषी मानते हुए केंद्र के संचालक को नोटिस जारी कर दिया है और 25 हजार रुपये की पेनल्टी का शोकॉज नोटिस भी थमा दिया है. उनका दावा है कि आगे से इस तरह की लापरवाही न हो, इसके लिए सख्ती बरती जा रही है. नोटिस जारी करने से पहले तहसीलदार साहब यह भूल गए की मृत्यु प्रमाण-पत्र पर खुद के भी डिजिटल सिग्नेचर है.

कठघरे में तहसीलदार
सवाल यह है कि सिग्नेचर करने से पहले तहसीलदार साहब ने क्यों नहीं देखा. लापरवाही तो उनकी भी बनती है. हालांकि, अपर कलेक्टर एलके पांडेय ने तहसीलदार माखनलाल शर्मा की गलती मानते हुए तहसीलदार को तहसील कार्यालय से हटाकर भू-अभिलेख में अटैच कर दिया है.

अब सवाल ये है कि जब एक जिले का नाम मृत्यु प्रमाण पत्र में मृतक के रूप में आ सकता है, तो आम आदमी अपने कागज़ात की शुद्धता की उम्मीद आखिर कैसे करे? जबकि, सरकारी दस्तावेजों में ज़रा सी चूक भी आमजन के लिए भारी परेशानी का सबब हो सकती है. ऐसे में उम्मीद है कि इस वायरल मौत से व्यवस्था कुछ सबक लेगी!

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भिंड का मृत्यु प्रमाण पत्र

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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