MP: 200 करोड़ का घोटाला, EOW का ऐक्शन, LNCT समूह के संचालकों पर शिकंजा

इंदौर। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने एलएनसीटी समूह के शीर्ष संचालकों पर करीब 200 करोड़ रुपये के वित्तीय घोटाले का आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। यह मामला सामने आने के बाद भोपाल और इंदौर में शैक्षणिक जगत में भूचाल मच गया है। जानकारी के मुताबिक संस्था के पूर्व चेयरमैन अनिल संघवी (63 वर्ष, निवासी स्कीम नं. 74सी, विजय नगर, इंदौर) की शिकायत पर यह एफआईआर दर्ज हुई। संघवी ने अपने कार्यकाल में संस्था का फॉरेंसिक ऑडिट कराया था। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित एडहॉक समिति जिसमें दो न्यायाधीश शामिल थे, ने जांच के बाद इन वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि की थी।
जांच में पाया गया कि संस्था का उद्देश्य जनहित और शिक्षा-स्वास्थ्य सेवाओं के बजाय परिवार और निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाना था, इस दौरान उन्होंने 2021 से लेकर 2025 तक कई घोटाले किए। रिपोर्ट में चौकसे परिवार और सहयोगियों पर बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ियों और धोखाधड़ीपूर्ण लेन-देन के आरोप लगे। जिसके बाद ईओडब्ल्यू ने जय नारायण चौकसे, अनुपम चौकसे, धर्मेंद्र गुप्ता, श्वेता चौकसे, पूनम चौकसे, पूजाश्री चौकसे सभी निवासी निवासी भोपाल और आशीष जायसवाल, निवासी एम.एन.ए-12, रमा लाइफ सिटी, गणेश वाटिका के पास, सान्वी रोड, बिलासपुर (छ.ग.) के खिलाफ धोखाधड़ी सहित विभिन्न धारा में केस दर्ज किया है।
इस तरह की ठगी
32 करोड़ का बैंक लोन – श्री आस्था फाउंडेशन के नाम पर लिया गया, लेकिन इस्तेमाल एच.के. कल्चुरी ट्रस्ट (चौकसे परिवार का ट्रस्ट) का पुराना कर्ज चुकाने में किया गया। 21 दिन में 21.90 करोड़ सीधे पारिवारिक ट्रस्ट का कर्ज उतारने में खर्च किए। 12.15 करोड़ का टर्म लोन एलएनसीटी मेडिकल कॉलेज के नाम पर लिया, लेकिन निजी ट्रस्ट के ऋण उतारने में लगाया, 8.22 करोड़ बस-हॉस्टल फीस छात्रों से वसूली रकम निजी कंपनियों और परिवार के खातों में डायवर्ट, 49.74 लाख की छात्रवृत्ति छात्रों के लिए आई राशि सीधे चौकसे परिवार की कंपनी के खाते में भेजी गई।

50.67 करोड़ का संदिग्ध लेन-देन सिर्फ आंशिक वापसी दिखाई गई, 33.46 करोड़ और 8.75 करोड़ – निर्माण कार्य के नाम पर ठेकेदार कंपनियों को दिए गए, लेकिन वास्तविक काम नगण्य, 600 कर्मचारियों का रिकॉर्ड फर्जी पीएफ पोर्टल पर सिर्फ 4 नाम दर्ज,1.68 करोड़ की दवाइयां और 38 लाख की किताबें चौकसे परिवार की अपनी कंपनियों से खरीदी गईं इसके अलावा 20.17 करोड़ का अनसिक्योर्ड लोन एलएनसीटी यूनिवर्सिटी से दिखाया गया, लेकिन सिर्फ 2.50 करोड़ का हिसाब, 35 करोड़ की निकासी सिर्फ एक महीने (मई 2025) में कोटक महिंद्रा बैंक से उठाए गए।
भोपाल और इंदौर में घोटाले की चर्चा जोरों पर
एलएनसीटी समूह लंबे समय से मध्यप्रदेश के सबसे बड़े शैक्षणिक और स्वास्थ्य संस्थानों में गिना जाता है, लेकिन पहली बार इसके शीर्ष संचालकों पर भारी वित्तीय अनियमितताओं का मामला दर्ज हुआ है। इंदौर और भोपाल दोनों शहरों में इस घोटाले की चर्चा जोरों पर है। छात्रों, अभिभावकों और शिक्षाविदों के बीच यह सवाल गूंज रहा है कि जो संस्था भविष्य गढ़ने का दावा करती थी, उसने छात्रों की फीस और सरकारी मदद को ही अपने निजी लाभ का जरिया क्यों बना दिया?