भिलाई, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के भिलाई में प्रसव के दौरान एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस दुखद घटना के बाद स्थानीय विधायक देवेंद्र यादव ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवार के लिए ₹25 लाख के मुआवजे की मांग की है। साथ ही, उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर इस मामले में दोषी डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की भी अपील की है।
जानकारी के अनुसार, दुर्ग जिले की रहने वाली एक महिला को प्रसव पीड़ा के बाद भिलाई के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टरों और स्टाफ की लापरवाही के कारण महिला की जान चली गई। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए दावा किया है कि उन्होंने महिला को बचाने की हर संभव कोशिश की थी, लेकिन उनकी स्थिति गंभीर थी।
विधायक देवेंद्र यादव का रुख:
घटना की जानकारी मिलते ही भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया। यादव ने तुरंत स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने महिला की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर उन पर कठोर कार्रवाई करने की मांग की।
अपने पत्र में, विधायक यादव ने कहा, “यह अत्यंत दुखद और गंभीर मामला है कि एक महिला की प्रसव के दौरान, जो एक जीवन देने वाली प्रक्रिया है, लापरवाही के कारण जान चली गई। यह दर्शाता है कि हमारे स्वास्थ्य संस्थानों में अभी भी जवाबदेही और गुणवत्ता की कमी है।” उन्होंने आगे कहा कि पीड़ित परिवार ने एक सदस्य खोया है और उन्हें आर्थिक और भावनात्मक दोनों तरह से बड़ी क्षति हुई है, इसलिए ₹25 लाख का मुआवजा उनके लिए कुछ राहत प्रदान करेगा।
परिजनों के आरोप और मांगें:
मृतका के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टरों ने सही समय पर उचित निर्णय नहीं लिए और स्टाफ का रवैया भी लापरवाह था। उनका कहना है कि यदि समय पर सही इलाज मिलता तो उनकी बेटी/पत्नी को बचाया जा सकता था। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन और संबंधित डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है और यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि भविष्य में किसी और परिवार को ऐसी त्रासदी का सामना न करना पड़े।
प्रशासनिक कार्रवाई और जांच:
विधायक देवेंद्र यादव के हस्तक्षेप के बाद, स्वास्थ्य विभाग ने मामले का संज्ञान लिया है। बताया जा रहा है कि विभाग ने घटना की जांच के लिए एक टीम गठित की है, जो अस्पताल के रिकॉर्ड, डॉक्टरों के बयान और परिजनों के आरोपों की विस्तृत पड़ताल करेगी। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियों और आम जनता को मिलने वाली चिकित्सा सुविधाओं की गुणवत्ता पर एक बार फिर बहस छेड़ रही है। परिजनों को न्याय और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की उम्मीद है।