रायपुर : छत्तीसगढ़ का महासमुंद जिला आज खेलों के क्षेत्र में एक नई पहचान गढ़ रहा है। खासकर तीरंदाजी जैसे पारंपरिक खेल प्रतिस्पर्धी में जिले के 23 प्रतिभाशाली खिलाड़ियों ने देश की प्रतिष्ठित खेल अकादमियों में प्रशिक्षण लेकर न केवल अपने सपनों को साकार कर रहे हैं, बल्कि जिले, राज्य और देश का नाम भी रोशन कर रहे हैं।
पद्मा साहू की प्रेरणादायक उड़ान
महासमुंद की पद्मा साहू, भारतीय खेल प्राधिकरण बहालगढ़, सोनीपत (हरियाणा) में दाखिला पाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं, आज जिले के युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। उनकी शुरुआत भी महासमुंद की धरती से ही हुई थी।
राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर चमके महासमुंद के सितारे
38वें नेशनल गेम्स, उत्तराखंड 2025 में महासमुंद की चांदनी साहू ने तीरंदाजी में व्यक्तिगत इंडियन राउंड में रजत पदक तथा टीम इवेंट में कांस्य पदक जीतकर जिले को गौरवान्वित किया। इसके लिए उन्हें मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा 3,20,000 रूपए (रजत) और 1,20,000 रूपए (कांस्य) की नकद राशि देकर सम्मानित किया गया।
31वीं सीनियर, 44वीं जूनियर और 40वीं सब-जूनियर नेशनल तीरंदाजी चैंपियनशिप में महासमुंद के खिलाड़ियों चांदनी साहू, सत्यभामा साहू, पद्मा साहू, जया साहू, नवलीन कौर, तोरण यादव, कमलेश साहू आदि ने हिस्सा लेकर जिले की प्रतिभा का प्रमाण दिया।
प्रशिक्षण केंद्रों में महासमुंद के सितारे
साईं रायपुर एवं कोदूराम वर्मा खेल अकादमी, रायपुर में 11 खिलाड़ी प्रशिक्षणरत हैं। खेलो इंडिया सेंटर, बिलासपुर में 11 खिलाड़ी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। कुल मिलाकर 23 खिलाड़ी देश व राज्य की शीर्ष खेल अकादमियों में उत्कृष्ट प्रशिक्षण ले रहे हैं।
यहीं से हुई शुरुआत – जिला स्तरीय केंद्रों का योगदान
एकलव्य आवासीय विद्यालय, भोरिंग, बॉल आश्रम, बिहाझर बागबाहरा में जहां एवन कुमार साहू, डॉ. सुनील भोई, डॉ. विकास अग्रवाल, डॉ. पुरेन्द्र चंद्राकर, पिरित साहू व अन्य प्रशिक्षकों के नेतृत्व में खिलाड़ियों को तराशा गया।
स्कूल स्तर से उठाया गया कदम
पीएम आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल बागबाहरा, बसना, शासकीय उच्च. माध्य. विद्यालय बकमा, कोमाखान, खोपली जैसे शालाओं में तीरंदाजी को बढ़ावा देकर छात्र-छात्राओं को शुरुआती मंच प्रदान किया गया।
खिलाड़ियों की सफलता में कलेक्टर विनय लंगेह का मार्गदर्शन एवं युवा कल्याण विभाग,SAI, भारतीय आर्चरी संघ, कैफीन होम लिमिटेड रायपुर व खेल अधिकारी मनोज धृतलहरे का भी विशेष योगदान रहा, जिनके प्रयासों से संसाधनों, प्रतियोगिताओं, प्रशिक्षण शिविरों और अकादमी प्रवेश का मार्ग प्रशस्त हुआ।